
India Today Conclave Mumbai: इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में छत्रपति शिवाजी महाराज और राजनीति में उनकी भूमिका पर विस्तृत चर्चा हुई है. समझने का प्रयास हुआ है कि आखिर क्यों हर राजनीतिक दल शिवाजी महाराज को अपनी राजनीति का हिस्सा बनाना चाहता है. इस मुद्दे पर बात करने के लिए कार्यक्रम में लेखक, इतिहासकार और नेता जुड़े थे. सभी के अपने तर्क रहे, लेकिन एक बात समान थी कि शिवाजी महाराज की लेगेसी को हर कोई भुनाना चाहता है.
लोकसभा सांसद अमोल कोल्हे इस बारे में बताते हैं कि शिवाजी महाराज की महानता तो ऐसी है कि उन्हें एक क्षेत्र, या फिर एक जाति तक सीमित नहीं किया जा सकता है. हमारे स्कूलों की भी ये दिक्कत है कि वे ये पूछते हैं कि शिवाजी पैदा कब हुए थे, लेकिन ये नहीं पूछते कि शिवाजी ने क्या सिखाया था, उनसे क्या सीखा जा सकता है? ये सारा विचारधारा और माइंडसेट का खेल है.
वहीं Shivaji: India's Great Warrior King किताब लिखने वालें वैभव पुरांद्रे मानते हैं कि शिवाजी महाराज ने हमेशा सभी धर्मों का सम्मान किया था. जब वे अपने कार्यकाल के दौरान एक बार सूरत दौरे पर गए थे, उन्होंने साफ कहा था कि किसी भी चर्च को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए. ये उनकी आदत थी, वे हिंदू थे, लेकिन सम्मान सभी का करते थे.
वे अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए ये भी बताते हैं कि शिवाजी महाराज ही भारतीय नौसेना के सबसे बड़े सूत्रधार भी रहे थे. उनके मुताबिक 1000 साल पहले चोला राजा की अपनी नेवी हुआ करती थी. लेकिन उसके बाद कितने हिंदू राजा आए, मुगल भी आए, लेकिन कोई अपनी नेवी नहीं बना सका. शिवाजी महाराज ने ये कर दिखाया था. 28 की उम्र में उन्हें ऐसा करने का विचार आया था और 42 की उम्र तक तो उनके पास कई शिप मौजूद थे. ये उनका विजेन था कि उन्होंने उस समय भी नेवी की अहमियत को समझ लिया था. उनके पास कोई टेक्नोलॉजी नहीं थी, लेकिन उन्होंने ब्रिटिश से मदद ली और एक मजबूत नेवी तैयार की.
वहीं शिवाजी के नाम का राजनीति में इस्तेमाल होने वाली बात पर लेखक मन्नु एस पिलाई बताते हैं कि छत्रपति शिवाजी महाराज एक आइकन थे. उनकी महानता ऐसी थी कि हर कोई उनसे जुड़ना चाहता था. इसी वजह से वर्तमान में भी कई राजनीतिक दल उनके नाम का इस्तेमाल लगातार करते रहते हैं. वे इसे कोई बहुत बड़ी बात नहीं मानते हैं.