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जलगांव रेल हादसा: मृतकों की संख्या संशोधित कर 12 की गई, सभी शवों की पहचान हुई

रेलवे बोर्ड ने गुरुवार को बताया कि पांच वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों की टीम ने ट्रेन दुर्घटना की जांच शुरू कर दी है. ट्रैक पर जान गंवाने वालों में सात नेपाल के थे. लच्छीराम खातरू पासी उन सात लोगों में शामिल थे. उनके परिवार को न केवल उनकी मौत का गम सहना पड़ा, बल्कि क्षत-विक्षत शवों से उनकी पहचान करने की बेहद दर्दनाक प्रक्रिया से भी गुजरना पड़ा.

जलगांव ट्रेन हादसे में 12 लोगों की मौत हो गई (फोटो- PTI) जलगांव ट्रेन हादसे में 12 लोगों की मौत हो गई (फोटो- PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 10:46 PM IST

महाराष्ट्र के जलगांव में हुए रेल हादसे को लेकर गुरुवार को अधिकारियों द्वारा पुष्टि किए जाने के बाद मृतकों की संख्या संशोधित कर 12 कर दी गई है. कारण, एक सिर और धड़, जिन्हें शुरू में अलग-अलग व्यक्तियों का माना जा रहा था, एक ही व्यक्ति के थे. राज्य सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि पहले यह आंकड़ा 13 पर पहुंचा था, क्योंकि दुर्घटना स्थल पर एक महिला का शव और एक सिर मिला था, लेकिन एक व्यक्ति ने शरीर के अंगों की पहचान अपनी मां के रूप में की.

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पीटीआई के मुताबिक यह त्रासदी तब हुई, जब बुधवार शाम को अलार्म चेन-पुलिंग की घटना के बाद 12533 ​​मुंबई जाने वाली पुष्पक एक्सप्रेस के कुछ यात्री ट्रेन से उतर गए और बगल की पटरियों पर कर्नाटक एक्सप्रेस की चपेट में आ गए.

अधिकारी ने कहा, "सरकारी मेडिकल कॉलेज (जलगांव में) ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि मृतकों की कुल संख्या 12 है, क्योंकि धड़ और शरीर एक ही मृतक (महिला) के हैं, जिसकी पहचान उसके बेटे ने की है. सभी शवों की पहचान कर ली गई है और उन्हें उनके परिजनों को सौंप दिया गया है." 

रेलवे बोर्ड ने गुरुवार को बताया कि पांच वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों की टीम ने ट्रेन दुर्घटना की जांच शुरू कर दी है. ट्रैक पर जान गंवाने वालों में सात नेपाल के थे. लच्छीराम खातरू पासी उन सात लोगों में शामिल थे. उनके परिवार को न केवल उनकी मौत का गम सहना पड़ा, बल्कि क्षत-विक्षत शवों से उनकी पहचान करने की बेहद दर्दनाक प्रक्रिया से भी गुजरना पड़ा. इस हादसे में जीवित बचे पासी के साथियों ने बताया कि कैसे वे खुद को बचाने के लिए दो ट्रेनों के बीच की तंग जगह में दुबके रहे. 

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इससे पहले, अधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराई गई सूची के अनुसार चार नेपाली पीड़ितों की पहचान कमला नवीन भंडारी (43) (जो मुंबई के कोलाबा में रहती थीं), जवाकला भाटे (60) (जो ठाणे के भिवंडी में रहती थीं), लच्छीराम खातरू पासी (40) और इम्तियाज अली (11) के रूप में हुई थी. जलगांव में रहने वाले पासी के भतीजे रामरंग पासी ने बताया कि उनके चाचा नेपाल के बांके जिले के नारायणपुर के रहने वाले थे और उनकी उम्र 50 साल के आसपास थी. 

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