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दोनों की सियासी मजबूरी... आखिर नवाब मलिक को लेकर क्यों आमने-सामने हैं फडणवीस और अजित पवार?

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के विधायक और पूर्व मंत्री नवाब मलिक को लेकर बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस और एनसीपी नेता अजित पवार आमने-सामने हैं. फडणवीस ने अजित पवार को पत्र लिखकर कहा है कि एनसीपी विधायक नवाब मलिक को अपने गुट में शामिल नहीं करें.

नवाब मलिक को लेकर महाराष्ट्र में दो डिप्टी CM आमने-सामने नवाब मलिक को लेकर महाराष्ट्र में दो डिप्टी CM आमने-सामने
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:31 PM IST

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के विधायक और पूर्व मंत्री नवाब मलिक को लेकर महाराष्ट्र के दो डिप्टी सीएम आमने-सामने आ गए हैं. दरअसल मलिक मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जमानत पर जेल से बाहर आ गए हैं जिसे लेकर बीजेपी नेता और राज्य में उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अजित पवार को पत्र लिखा है. अपने पत्र में फडणवीस ने अजित पवार से कहा है कि वह नवाब मलिक को अपने गुट में शामिल नहीं करें, क्योंकि उनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं.

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नवाब मलिक एनसीपी के वरिष्ठ नेता हैं और 7 दिसंबर को वह पहली बार महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन वह विधान भवन परिसर में वह अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट के सदस्यों के बगल में पिछली पंक्ति की बेंचों पर बैठे नजर आए. 64 वर्षीय नवाब मलिक का अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के नेता अनिल पाटिल ने गर्मजोशी से स्वागत किया था.जैसे ही यह तस्वीर वायरल हुई तो सोशल मीडिया पर उन्हें लेकर लोगों ने बीजेपी से सवाल पूछना शुरू कर दिया था.

फडणवीस का खुला खत

इसके बाद फडणवीस नेअजित पवार को पत्र लिखकर इसे अपने एक्स अकाउंट पर शेयर किया और कहा, "सत्ता आती-जाती रहती है लेकिन देश महत्वपूर्ण है। अगर उन पर (नवाब मलिक) लगे आरोप साबित नहीं हुए तो हमें उनका  स्वागत करना चाहिए. नवाब मलिक को अभी सिर्फ़ मेडिकल आधार पर ज़मानत मिली है, वो दोषमुक्त नहीं हुए हैं. इस स्थिति में उनको महायुती में रहना उचित नहीं होगा. हालांकि, उनसे हमारी कोई व्यक्तिगत शत्रुता नहीं है. लेकिन हमारी स्पष्ट राय है कि जब उन पर ऐसे आरोप हैं तो उन्हें अपने गठबंधन का हिस्सा बनाना सही नहीं है." 

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पवार गुट के नेता बोला- नहीं लिखना चाहिए था खुला खत

अजित पवार गुट के दिलीप वलसे पाटिल ने अब फडणवीस के बयान पर प्रतिक्रया दी है. पाटिल ने कहा, 'पार्टी को यह तय करने की जरूरत है कि नवाब मलिक कहां हैं, ट्रेजरी बेंच पर बैठे हैं, इसलिए वह हमारे पक्ष में हैं. अब वास्तव में उनकी स्थिति क्या है, अजित पवार स्पष्ट करेंगे.. शिंदे ने फड़णवीस का समर्थन किया है, यह उनका रुख है.. हम अपना रुख तय करेंगे. फड़णवीस को इस तरह खुला पत्र नहीं लिखना चाहिए था.'

वहीं नवाब मलिक विवाद पर बीजेपी विधायक आशीष शेलार ने कहा, 'बीजेपी पहले भी ये बात साफ कर चुकी है, जब सत्ता हमारे पास नहीं थी.. और हमने इस संबंध में उन्हें पत्र भी लिखा है.. हमें उम्मीद है और पता है कि वह इसका समर्थन करेंगे.'

संजय राउत ने ली चुटकी

शिवसेना उद्धव गुट के नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने इस पूरे मसले पर चुटकी ली है. उन्होंने कहा, 'कल राज्य के मुख्यमंत्री ने दूसरे उपमुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा .. नागपुर में सदन में दोनों एक साथ बैठे हैं और पत्र लिख रहे हैं .. पत्राचार कर रहे हैं .. क्या जमाना आया है .. बाजू बाजू में बैठे हैं और पत्र लिख रहे हैं .. यह ठीक नहीं है .. नवाब मलिक के ऊपर ऐसे ऐसे आरोप है यह तो ढोंग है .. आप खड़े होकर कहिए अजित पवार को कि हम नवाब मलिक को बर्दाश्त नहीं करेंगे .. बीजेपी ढोंगी है, अगर नवाब मलिक पर दाऊद गैंग से संबंध रखने का आरोप है तो प्रफुल्ल पटेल पर भी तो वहीं आरोप है. वो कैसे बीजेपी को भाते हैं?'

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वहीं एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने नवाब मलिक विवाद पर कहा, 'बीजेपी ने नवाब मलिक के साथ जो किया वह गलत है.. नवाब मलिक ने ड्रग माफिया के खिलाफ लड़ाई लड़ी.. बीजेपी 'भ्रष्ट जुमला पार्टी' बन गई है और नवाब मलिक उन्हें बेनकाब करते रहे.. हर कोई तब तक निर्दोष है जब तक वे दोषी साबित नहीं होती है,. तो बीजेपी झूठे आरोप कैसे लगा सकती है? मुझे विश्वास है कि कोर्ट न्याय करेगा और नवाब मलिक को न्याय मिलेगा.. हम उनके और उनके परिवार के साथ खड़े हैं.'

मलिक क्यों हैं एनसीपी के लिए जरूरी

दरअसल नवाब मलिक एनसीपी के पुराने नेता और अजित पवार के करीबी रहे हैं. उनकी अहमियत का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जब वो जेल से बाहर निकले तो अजित पवार और शरद पवार दोनों गुटों के नेता उन्हें अपने गुट में शामिल करने के लिए उतावले दिखे. छगन भुजबल और अजित पवार जहां नवाब मलिक के घर पहुंचे थे तो वहीं पवार गुट के नेता अनिल देशमुख भी नवाब मलिक से मुलाकात करने पहुंचे थे.

दरअसल नवाब मलिक एनसीपी के लिए इसलिए जरूरी हैं क्योंकि अल्पसंख्यकों के बीच में उनकी एक शानदार छवि रही है. नवाब मलिक ही एनसीपी के वो नेता हैं जिनकी बदौलत एनसीपी ने कांग्रेस के मुस्लिम वोटबैंक में जबरदस्त सेंधमारी की थी. मुंबई की  अणुशक्ति सीट से वह विधायक हैं और पांच बार विधानसभा पहुंच चुके हैं. महागठबंधन सरकार में उन्हें एनसीपी कोटे से मंत्री बनाया गया था.

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फडणवीस क्यों बना रहे हैं मलिक से दूरी?

दरअसल जब महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी की सरकार थी तो उस समय देवेंद्र फडणवीस नेता प्रतिपक्ष थे और उन्होंने उनके जमीन सौदे को डी कंपनी से जोड़ते हुए एनसीपी विधायक नवाब मलिक पर गंभीर आरोप लगाए थे. फडणवीस नवाब मलिक पर भारत के घोषित आतंकवादी दाऊद इब्राहिम से संबंध होने के आरोप लगा चुके हैं. वहीं जब आर्यन ड्रग्स केस में जब एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े जांच कर रहे थे तो तब नवाब मलिक ने कहा था कि सालभर में आपकी नौकरी जाएगी. इसके बाद नवाब मलिक ने फडणवीस की पत्नी अमृता पर भी निशाना साधा. मलिक ने एक फोटो साझा करते हुए लिखा कि आखिर बीजेपी और ड्रग पेडलर का क्या कनेक्शन है?

इसके बाद फडणवीस ने जोरदार पलटवार करते हुए मलिक पर आरोपों की बौछार कर दी थी और उन्होंने मलिक के संबंध जमीन की खरोद फरोख्त से लेकर दाउद इब्राहीम तक के साथ जोड़ दिए थे. बाद में कुर्ला की एक जमीन को लेकर ईडी ने लंबी पूछताछ के बाद मलिक को गिरफ्तार कर लिया था. अब जब एनसीपी में दो गुट (अजित पवार और शरद पवार) हो चुके हैं तो नवाब मलिक उस अजित पवार गुट में आ गए हैं जो महायुती (बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी गठबंधन) सरकार में शामिल है. यानि नवाब मलिक और फडणवीस अब एक ही तरफ खड़े हैं.

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ऐसे में  लोगों ने जब मलिक को लेकर सोशल मीडिया पर सवाल पूछना शुरू हुआ तो फिर फडणवीस को सफाई देनी पड़ी. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि फडणवीस के पत्र पर क्या जवाब देते हैं.


 

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