
कुणाल कामरा की हालिया कॉमेडी पर सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक बिरादरी तक दो हिस्सों में बंटी नजर आ रही है. सत्तारूढ़ दल के नेता- कार्यकर्ता इसे कॉमेडी के दायरे से बाहर निकलकर पॉलिटिकल स्टेटमेंट बता रहे हैं और इसकी आलोचना कर रहे हैं. ये धड़ा इस कॉमेडी के लिए कुणाल कामरा से माफी की मांग कर रहा है.
वहीं विपक्षी पार्टियों के नेता कामरा की कॉमेडी को अभिव्यक्ति की आजादी का नाम दे रहे हैं. उनका तर्क है कि एक कलाकार को आलोचना, तंज और टिप्पणी का अधिकार होना चाहिए. उद्धव ठाकरे ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि कुणाल कामरा ने कुछ गलत कहा है. जो गद्दार है, वो गद्दार है. ठाकरे ने कहा कि कुणाल ने व्यंग्य नहीं हकीकत पेश की है.
हालांकि उद्धव ठाकरे के लिए 2020 में स्थिति दूसरी थी. तब अपनी सरकार की आलोचना से तिलमिलाये तत्कालीन महाराष्ट्र और बीजेपी सांसद और अभिनेत्री कंगना की ठन गई थी.
कंगना ने जब की थी उद्धव की आलोचना
तब कंगना रनौत ने महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनकी सरकार की तीखी आलोचना की थी, खासकर सुशांत सिंह राजपूत मामले और मुंबई पुलिस की भूमिका को लेकर.
कंगना ने एक ट्वीट में लिखा था कि वो मुंबई में खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं और साथ ही यह भी लिखा था कि वो मुंबई पुलिस पर भरोसा नहीं करती हैं.
अभिनेत्री कंगना मुंबई की तुलना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से की थी. कंगना ने लिखा था कि, "मैं कभी भी ग़लत नहीं होती और मेरे दुश्मनों ने इसे बार-बार साबित किया है. इसलिए मेरी मुंबई अब पीओके है." इसके बाद संजय राउत ने कंगना पर आरोप लगाया था कि वो महाराष्ट्र का अपमान कर रही हैं. तब कंगना ने उद्धव ठाकरे को "नेपोटिज्म का सबसे खराब प्रोडक्ट " तक कहा था.
इसके बाद शिवसेना की सत्ता वाली BMC दस्ते ने ने कंगना के बांद्रा स्थित ऑफिस में कथित अवैध निर्माण पर बुलडोजर एक्शन किया था और बंगले के एक हिस्से को तोड़ दिया. यह कार्रवाई कंगना की ओर से किए गए ट्वीट के बाद हुई थी.
आज मेरा घर टूटा है, कल तेरा घमंड टूटेगा
कंगना ने इसे बदले की कार्रवाई करार दिया और कहा,"उद्धव ठाकरे तुझे क्या लगता है...कि तूने फिल्म माफिया के साथ मिलकर मेरा घर तोड़ के मुझसे बहुत बड़ा बदला लिया है. आज मेरा घर टूटा है कल तेरा घमंड टूटेगा. ये वक्त का पहिया है याद रखना हमेशा एक जैसा नहीं रहता. और मुझे लगता है कि तुमने मुझपर बहुत बड़ा एहसान किया है."
कंगना के खिलाफ उनके बयानों के लिए कई शिकायतें दर्ज की गईं. 10 सितंबर 2020 को विक्रोली पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ एक शिकायत दर्ज हुई, जिसमें उन पर उद्धव ठाकरे को बदनाम करने का आरोप लगा.
इस शिकायत में कहा गया है कि उन्होंने महाराष्ट्र सीएम के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया है.
बॉम्बे हाईकोर्ट के वकील नितिन माने ने यह शिकायत दर्ज करवाई थी. शिकायत में उन्होंने कहा था है कि कंगना ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया है. इस शिकायत को भारतीय दंड संहिता की धारा 499 के तहत दर्ज करवाई गई है. यह मानहानि का मामला है.
इस विवाद के दौरान केंद्र सरकार ने कंगना को Y+ श्रेणी की सुरक्षा दी. बाद में, बॉम्बे हाई कोर्ट ने बीएमसी की कार्रवाई को "दुर्भावनापूर्ण" करार देते हुए रोक लगा दी और कंगना को मुआवजे का हकदार ठहराया.
कार्टून फॉर्वर्ड करने पर रिटायर्ड नेवी ऑफिसर की पिटाई
अभिनेत्री कंगना रनौत-उद्धव ठाकरे की भिड़ंत के बाद एक और मामला सामने आया.
62 वर्षीय रिटायर्ड नौसेना अधिकारी मदन शर्मा ने एक व्यंग्यात्मक कार्टून फॉरवर्ड किया था, जिसमें उद्धव ठाकरे, शरद पवार और सोनिया गांधी को दिखाया गया था. ये मामला 10 सितंबर 2020 का है. इसे शिवसेना की गुंडागर्दी के उदाहरण के रूप में देखा गया.
मुंबई के कांदिवली इलाके में रहने वाले रिटायर्ड नेवी ऑफिसर मदन शर्मा ने एक कार्टून को वॉट्सऐप पर फॉरवर्ड किया था. इसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव पर तंज कसा गया था. कार्टून में उद्धव के अलावा सोनिया गांधी और शरद पवार के स्केच थे. इसके बाद, शिवसैनिकों ने नेवी ऑफिसर के घर पर हमला बोल दिया और उनके साथ मारपीट की. इसमें उन्हें गंभीर चोटें आईं थी.
इस हमले में उन्हें आंख और चेहरे पर चोटें आईं, और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया.
हमले के बाद इस घटना की शिकायत कांदिवली पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई. बाद में, सार्वजनिक दबाव और बीजेपी की आलोचना के कारण छह आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. लेकिन उन्हें तुरंत जमानत दे दी गई थी.
ये मामला इतना भड़का था कि मदन शर्मा ने परिवार और नेवी के कुछ पूर्व ऑफिसर के साथ तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की थी. शर्मा ने कानून व्यवस्था का मुद्दा उठाते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की थी.
इसी दौरान आलोचना झेल रही तत्कालीन उद्धव सरकार ने मदन शर्मा पर हमला करने वालों को फिर से गिरफ्तार कर लिया था. इस बार उन्हें धारा 452 (घर में घुसकर मारपीट, चोट पहुंचाने) के तहत गिरफ्तार किया गया.
तब मदन शर्मा ने कहा था कि शिवसैनिकों ने मुझे बात करने के लिए बुलाया था. लेकिन बात नहीं की और ताबड़तोड़ मारना शुरू कर दिया. शिवसैनिक बोल रहे थे कि ये आरएसएस और भाजपा का चमचा है.
इस मामले में रक्षामंत्री ने ट्वीट कर कहा था कि पूर्व सैनिकों पर इस तरह के हमले पूरी तरह से अस्वीकार्य और निंदनीय हैं.
इस घटना ने शिवसेना की आलोचना को और तेज कर दिया, लोगों ने कहा कि वे असहमति को बर्दाश्त नहीं कर सकते.
40 दिन जेल में रहीं पवार पर पोस्ट करने वाली अभिनेत्री
मराठी अभिनेत्री केतकी चितले ने मई 2022 में फेसबुक पर एक कविता पोस्ट की, जिसमें शरद पवार पर कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी की गई थी. यह कविता उनकी उम्र और राजनीतिक प्रभाव को लेकर व्यंग्य करती थी. हालांकि, केतकी ने दावा किया कि उन्होंने यह कविता खुद नहीं लिखी थी, बल्कि इसे केवल शेयर किया था.
इस पोस्ट में केवल उपनाम पवार और उनकी 80 वर्ष की उम्र का जिक्र किया गया था. अभी एनसीपी नेता 84 वर्ष के हैं. पोस्ट में पवार की ओर कथित तौर पर इशारा करते हुए लिखा गया था.
शरद पवार की पार्टी, एनसीपी, और उनके समर्थकों ने इसे अपमानजनक माना. इसके बाद, महाराष्ट्र में उनके खिलाफ कई FIR दर्ज की गईं. ठाणे पुलिस ने उन्हें 14 मई 2022 को गिरफ्तार कर लिया. चितले के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 500, 501, 505 (2), 153 ए के तहत मामला दर्ज किया गया. इस बीच पुणे में भी राकांपा के एक कार्यकर्ता की शिकायत पर चितले के खिलाफ इसी मामले में एक मामला दर्ज किया गया. इसमें मानहानि का भी मामला शामिल है.
नवी मुंबई के कलंबोली पुलिस थाने के बाहर एनसीपी की महिला शाखा की कार्यकर्ताओं ने उन पर काली स्याही और अंडे फेंके. ये घटना तब हुई जब उन्हें ले जाया जा रहा था.
इस पोस्ट के लिए केतकी को करीब 40 दिन जेल में रखा गया. जून 2022 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दी. अदालत ने कहा कि उनकी पोस्ट व्यक्तिगत आलोचना थी, न कि सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाली.
इस दौरान शरद पवार ने कहा था कि वह चितले को नहीं जानते हैं और यह भी नहीं जानते कि उस पोस्ट में क्या है.
जेल से बाहर निकलने के बाद चितले ने कहा था कि उन्होंने तो सिर्फ पोस्ट को फेसबुक से कॉपी कर अपनी प्रोफाइल पर अपलोड किया था. चितले ने कहा कि सिर्फ एक पोस्ट के लिए उनके खिलाफ 22 एफआईआर दर्ज की गई है.
अभिनेत्री केतकी ने कहा था कि मैंने जो कुछ भी पोस्ट किया वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अनुसार था. अगर लोगों ने इसकी गलत व्याख्या की है तो वह कुछ नहीं कर सकती. उन्होंने कहा कि वे बिना किसी वजह के सलाखों के पीछे थी.
ये तीनों घटनाएं उस समय की है जब महाराष्ट्र सरकार (MVA) की सरकार थी और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे.