
कुर्ला बेस्ट बस दुर्घटना में शामिल ड्राइवर के मेडिकल परीक्षण से पता चला है कि उसे कोई मानसिक बीमारी नहीं थी और घटना के समय वह नशे में नहीं था. पुलिस ने बुधवार को इसकी जानकारी दी है. इस बस दुर्घटना में आठ लोगों की जान चली गई थी.
नगर निगम द्वारा संचालित बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट (BEST) की एक इलेक्ट्रिक बस 9 दिसंबर को मुंबई के कुर्ला इलाके में भीड़ में घुस गई थी. इस बस को संजय मोरे नाम का ड्राइवर चला रहा था. इस दुर्घटना में आठ लोगों की जान चली गई थी और 40 से अधिक लोग घायल हो गए थे. घटना में कई वाहन भी क्षतिग्रस्त हुए थे.
ड्राइवर का किया गया मनोवैज्ञानिक परीक्षण
मोरे लापरवाही से गाड़ी चलाने के आरोप में पुलिस हिरासत में है और उस पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है. कुर्ला पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि मामले की सुनवाई शुरू होने से पहले, ड्राइवर का हाल ही में सायन के एक अस्पताल में मनोवैज्ञानिक परीक्षण किया गया था ताकि यह पुष्टि की जा सके कि उसे कोई मानसिक बीमारी है या नहीं.
शराब के नशे में नहीं चला रहा था गाड़ी
अधिकारी ने कहा, टेस्ट रिपोर्ट से पुष्टि हुई कि उनकी मानसिक स्थिति सामान्य थी और उन्हें कोई मानसिक बीमारी नहीं थी. वह मस्तिष्क संबंधी किसी भी बीमारी से पीड़ित नहीं था. उन्होंने कहा कि इसके अलावा, मोरे की ब्लड टेस्ट रिपोर्ट से पता चला है कि दुर्घटना के समय वह शराब के नशे में गाड़ी नहीं चला रहा था.
अधिकारी ने कहा कि इससे पहले, मोरे ने दावा किया था कि बस के ब्रेक फेल होने के कारण दुर्घटना हुई, लेकिन पुलिस को क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) से एक रिपोर्ट मिली है, जिसमें कहा गया है कि वाहन ठीक काम कर रहा था और कोई ब्रेक फेल या कोई अन्य तकनीकी खराबी नहीं थी.
ट्रेनिंग की कमी बनी हादसे की वजह
बेस्ट प्रशासन ने दावा किया है कि इलेक्ट्रिक बस चलाने की अनुमति देने से पहले मोरे को तीन दिन की ट्रेनिंग दी गई थी. आरटीओ अधिकारियों को शक है कि ह्यूमन एरर और ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन बसों को चलाने के लिए उचित ट्रेनिंग की कमी इस दुर्घटना का कारण हो सकती है, जो हाल के इतिहास में बेस्ट बसों से जुड़ी सबसे भीषण दुर्घटना है.