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कर्ज माफी के बाद भी किसानों की मौत का सिलसिला जारी

किसानों के पास बुवाई के लिए पैसे नहीं हैं और अभी तक बारिश का कोई अता पता नहीं है. बच्चे को पढ़ाई के लिए पैसे भेजने को नहीं है.

भारी पड़ा 50 हजार का कर्ज भारी पड़ा 50 हजार का कर्ज
नंदलाल शर्मा
  • अकोला (महाराष्ट्र),
  • 23 जून 2017,
  • अपडेटेड 4:10 PM IST

पिछले कई सालों से सूखे की मार झेल किसानों के लिए जीना मुश्किल हो गया है. ऐसी हालात में मजबूर किसानों में संकट का सामना करने की हिम्मत नहीं बची है. कर्ज माफी होने के बाद किसानों को अब तक नया कर्ज नहीं मिला है. साथ ही 10 हजार नगद की कोई जानकारी नहीं है.

किसानों के पास बुवाई के लिए पैसे नहीं हैं और अभी तक बारिश का कोई अता पता नहीं है. बच्चे को पढ़ाई के लिए पैसे भेजने को नहीं है. इतनी परेशानियों से घिरे महाराष्ट्र के अकोला के शिरला गांव के दो एकड़ खेत के मालिक 58 साल के किसान बलकार का दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई.

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विडंबना ये है कि मौत से कुछ देर पहले किसान गांव के दुकानदार से 5 हजार रुपये उधार मांग कर लाए थे. कुछ पैसे अपने पास रखे और कुछ पैसे पुणे में बच्चे को पढ़ाई के लिए भेजे. लेकिन इस उधार का तनाव का इतना हो गया कि यह किसान उसे संभाल नहीं पाया.

बलकार की 2 एकड़ की खेती पर 50 हजार का कर्ज था और साहूकार का कभी कुछ कर्ज उन पर था. इस वजह से बलकार काफी परेशान थे. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक इस किसान की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई.

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