
महाराष्ट्र विधानसभा की समिति के विभाजन की घोषणा की गई है, जिसमें 11 भाजपा विधायकों को विभिन्न समितियों में नियुक्त किया गया है. जबकि महायुति के सहयोगी दल शिवसेना (शिंदे गुट) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट) के विधायकों को अभी तक समितियों में स्थान नहीं मिला है.
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, कैबिनेट मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले, भाजपा के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण और विधायक रणधीर सावरकर के नेतृत्व में विधायकों को इन समितियों में नियुक्त किया गया है.
समितियों में इन 11 बीजेपी विधायकों को मिली जगह
1. सार्वजनिक उपक्रम समिति- राहुल कुल
2. पंचायत राज समिति- संतोष दानवे-पाटिल
3. आश्वासन समिति- रवि राणा
4. अनुसूचित जाति कल्याण समिति- नारायण कुचे
5. अनुसूचित जनजाति कल्याण समिति- राजेश पाडवी
6. महिला अधिकार और कल्याण समिति- मोनिका राजले
7. अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण समिति- किसन कथोरे
8. मराठी भाषा समिति- अतुल भातखलकर
9. विशेष अधिकार समिति: राम कदम
10. धर्मादाय निजी अस्पताल जांच समिति- नमिता मुंदडा
11. विधायक निवास व्यवस्था समिति- सचिन कल्याणशेट्टी
सहयोगी दलों को अपनी बारी का इंतजार
इस कदम को मंत्री पद से वंचित होने के बाद भाजपा विधायकों के लिए राजनीतिक रूप से पुनर्वास के अवसर के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी समेत महायुति के अन्य सहयोगी दल अभी भी अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं.
क्या बोले चंद्रशेखर बावनकुले?
हालांकि कैबिनेट मंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने दावा किया कि महायुति के हर सहयोगी को विधायी समितियों में प्रतिनिधित्व मिलेगा. बावनकुले ने स्पष्ट किया कि हमारे बीच सत्ता का उचित वितरण होगा और हमारे बीच कोई रस्साकसी नहीं है.
शिवसेना और एनसीपी के पास 9-9 समितियां
कुल 29 विधान समितियों में से भाजपा ने पहले ही 11 महत्वपूर्ण समितियों पर दावा कर दिया है, जबकि शिवसेना और एनसीपी के पास 9-9 समितियां हैं. विधानसभा अध्यक्ष ने शिवसेना और एनसीपी दोनों को समितियों के लिए अपने नाम प्रस्तुत करने के लिए कहा है, लेकिन उन्होंने अभी तक अपनी समितियों का दावा नहीं किया है और भाजपा के ऐलान के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. इस निर्णय से महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़ आने की संभावना है, क्योंकि इससे सत्ता का संतुलन भी प्रभावित हो सकता है.