
महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग ने चौंकाने वाली खबर दी है. विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों में स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत ने कहा है कि राज्य में इस साल अप्रैल से अक्टूबर के बीच 4800 से ज्यादा नवजात शिशुओं की मौत हुई है. स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत विधानसभा में बीजेपी विधायक सचिन कल्याण शेट्टी के सवालों का जवाब दे रहे थे.
स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत ने कहा कि महाराष्ट्र में इस साल अप्रैल से अक्टूबर के बीच 4872 नवजात बच्चों की मौत हुई है. जो शिशु मरे हैं उनकी उम्र पैदा होने से लेकर महज 28 दिनों तक थी. उन्होंने कहा है कि औसत आधार पर देखें तो रोजाना 23 बच्चों की मौत हुई है.
जिन जिलों इलाकों में बच्चों की मौत सबसे ज्यादा हुई है वे क्षेत्र हैं- मुंबई, ठाणे, सोलापुर, अकोला और नंदुरबार.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि 4,872 मौतों में 16 प्रतिशत यानी कि 795 शिशुओं की मौत श्वास संबंधी दिक्कतों से हुई. उन्होंने दावा कि शिशुओं के इलाज के लिए 52 सेंटर संचालित है. उन्होंने कहा कि सभी बीमार बच्चों को सरकारी अस्पतालों में दवा, टेस्ट और ट्रांसपोर्ट मुफ्त में मुहैया कराया गया है.
नवजात मृत्यु दर में कमी, लेकिन...
बता दें कि देश में नवजात मृत्यु दर में लगातार गिरावट आई है. यह 2019 में प्रति 1000 जीवित जन्मों में 22 थी जो 2020 में प्रति 1000 जीवित जन्मों में 20 हो गई. यानी कि भारत में 2019 में हर 1000 में 22 बच्चों की मौत जन्म के बाद हो जाती थी, 2020 में ये आंकड़ा 20 हो गया.
शहरी क्षेत्रों में नवजात बच्चों की मृत्यु दर प्रति हजार पर 12 और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति हजार 23 है.
यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में एक साल में पैदा होने वाले कुल 2.5 करोड़ बच्चों का लगभग पांचवां हिस्सा भारत में जन्म लेता है. इन शिशुओं में से हर मिनट एक शिशु की मृत्यु हो जाती है. रिपोर्ट के अनुसार नवजात शिशुओं की मृत्यु में भारत की हिस्सेदारी 1990 में विश्वभर में नवजात शिशुओं की मृत्यु का एक तिहाई थी, आज कुल एक चौथाई से भी कम है. 1990 की तुलना में 2016 में भारत में हर माह,नवजात शिशुओं की मृत्यु में लगभग 10 लाख की कमी आई है.