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'इस्तीफा नहीं देता तो CM बन जाता...लेकिन गद्दार लोगों के साथ सरकार कैसे चलाता', SC के फैसले पर बोले उद्धव

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उद्धव ठाकरे ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जिन्हें पार्टी ने सबकुछ दिया उन्होंने गद्दारी की. कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए उद्धव ने कहा कि मैंने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया. उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे ने पीठ में छुरा भोंका.

'ये जो देश को फिर से गुलाम बनाना चाहते हैं, उन्हें घर भेजेंगे..', सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोले उद्धव ठाकरे 'ये जो देश को फिर से गुलाम बनाना चाहते हैं, उन्हें घर भेजेंगे..', सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोले उद्धव ठाकरे
मुस्तफा शेख
  • मुंबई,
  • 11 मई 2023,
  • अपडेटेड 2:25 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने आज महाराष्ट्र मामले पर अहम फैसला सुनाते हुए राज्यपाल, स्पीकर तथा व्हिप के फैसले को गलत ठहराया. इस फैसले के बाद उद्धव ठाकरे ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जिन्हें पार्टी ने सबकुछ दिया उन्होंने ही हमारे साथ गद्दारी की. उद्धव ठाकरे ने कहा, 'अगर इस्तीफा नहीं देता तो गद्दार लोगों के साथ कैसे सरकार चलाता. जिन लोगों को मेरे पिताजी, पार्टी ने सबकुछ दिया, और और ऐसे गद्दार लोग मेरे खिलाफ अविश्वास लाएं कैसे विश्वास करूं. इस मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री में अगर जरा सी भी नैतिकता बची है तो उन्हें तुरंत इस्तीफा देना चाहिए. लड़ाई तो आज से शुरू हुई है.'

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असली शिवसेना मेरी

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, 'लोकतंत्र की हत्या करने के विरोध में जो हैं उनके खिलाफ सभी लोग एक साथ आ रहे हैं, और इसी के तहत आज नीतीश और तेजस्वी यहां आए हैं. आज सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है कि सत्ता के लिए किसी भी हद तक जाने वाले गद्दार लोगों का असली चेहरा सुप्रीम कोर्ट सामने लाया है. किस तरह स्पीकर और राज्यपाल की भूमिका गलत थी वो कोर्ट ने बताया. कोर्ट ने राज्यपाल को लेकर जो टिप्पणी की है वो बहुत गंभीर है. राज्यपाल को अंसेबली का सेशन बुलाने का अधिकार नहीं था ये कोर्ट ने कहा है. ये भी साफ हो गया है कि असली शिवेसना मेरी ही रहेगी.'

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जनता हमारा इंतजार कर रही है

बीजेपी और एकनाथ शिंदे गुट पर हमला करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, 'इस देश में प्रजातंत्र की रक्षा करना हमारा काम है. कोर्ट ने साफ कर दिया है अगर मैंने इस्तीफा नहीं दिया होता तो मैं वापस मुख्यमंत्री बन जाता. मैं अपने लिए लड़ाई नहीं लड़ रहा हूं, मैं जनता और, अपने देश, अपने राज्य के लिए लड़ रहा हूं. राजनीति में विवाद तो होते रहते हैं, हमारा पहला काम है देश को बचाना. हम मिलकर इनके खिलाफ लड़ेंगे जो अपने देश को फिर से गुलाम बनाना चाहते हैं, उन्हें घर भेजेंगे, मुझे पक्का भरोसा है कि पूरी जनता हमारा इंतजार कर रही है. '

आपको बता दें कि महाराष्ट्र की राजनीति में उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे सहित शिवसेना के 16 विधायकों की सदस्यता, गवर्नर और स्पीकर की भूमिका जैसे मामलों को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ी बेंच को भेज दिया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल और स्पीकर पर सख्त टिप्पणी करते हुए उनकी भूमिका पर सवाल उठाए हैं.  

उद्धव नहीं देते इस्तीफा तो कुर्सी होती बहाल

उद्धव ठाकरे ने अगर इस्तीफा नहीं दिया होता तो सरकार बहाल का आदेश हो सकता था. कोर्ट ने कहा कि डिप्टी स्पीकर को फैसले से रोकना सही नहीं है. हम इससे सहमत नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया. महाराष्ट्र में हम पुरानी स्थिति को बहाल नहीं कर सकते. विधायकों की अयोग्यता पर हम फैसला नहीं ले सकते. इस पर फैसला महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर लें.

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महाराष्ट का मामला क्या है?

पिछले साल जून के महीने में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के 15 विधायकों के साथ उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत की थी. शिंदे सहित शिवसेना के 16 विधायक पहले सूरत फिर गुवाहाटी में जाकर ठहरे थे. उस समय उद्धव ने शिंदे को वापस आने और बैठकर बातचीत का प्रस्ताव दिया था, लेकिन इसे शिंदे ने स्वीकार नहीं किया और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. राज्यपाल ने शिंदे-बीजेपी गठबंधन सरकार को मान्यता देकर शपथ दिला दी थी. 

ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में एकनाथ शिंदे और उनके 15 विधायकों को अयोग्य करार देने के लिए याचिका दायर की थी. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो इसे संविधान पीठ में ट्रांसफर किया गया. पीठ में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल हैं. 

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 17 फरवरी को दोनों गुटों की याचिकाओं पर सुनवाई की. 21 फरवरी से कोर्ट ने लगातार 9 दिन यह केस सुना था. 16 मार्च को सभी पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था और अब इस मामले को बड़ी बेंच में भेज दिया है.  

 

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