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महाराष्ट्र: मीनारा मस्जिद के नए ट्रस्टी की नियुक्ति पर विवाद, अबू आसिम आजमी ने बताया अवैध

सपा विधायक अबू आसिम आज़मी ने इस मुद्दे को उठाया. ऐसे में माना जा रहा है कि वे महाराष्ट्र विधानसभा के आगामी बजट सत्र के दौरान इस मुद्दे को उठाएंगे और बॉम्बे हाईकोर्ट का भी रुख करेंगे. आजमी ने कहा कि मुंबई में एक सदी से भी ज़्यादा पुरानी मीनारा मस्जिद में नए गैर मेमन समुदाय के ट्रस्टी की नियुक्ति एक अवैध आदेश है और यह ट्रस्ट डीड का उल्लंघन करता है.

मिनारा मस्जिद मामले पर अबू आजमी ने सवाल उठाए हैं मिनारा मस्जिद मामले पर अबू आजमी ने सवाल उठाए हैं
विद्या
  • मुंबई,
  • 18 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 7:59 PM IST

महाराष्ट्र राज्य वक्फ बोर्ड द्वारा शहर की सबसे महत्वपूर्ण मस्जिदों में से एक मीनारा मस्जिद के प्रबंधन को संभालने के लिए एक नए बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की नियुक्ति को मंजूरी को लेकर विवाद बढ़ता नजर आ रहा है. मुस्लिम समुदाय और समाजवादी पार्टी सहित राजनीतिक दलों ने इस फैसले की निंदा की है और आगामी विधानसभा के बजट सत्र के दौरान यह मुद्दा उठने के साथ ही बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख करने की बात कही है.

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नेताओं ने वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जुनैद सईद की आलोचना करते हुए आशंका जताई है कि भविष्य में अन्य मस्जिदों में भी इस तरह की मनमानी कार्रवाई हो सकती है. यह घटनाक्रम केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार द्वारा वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया गया है. सपा विधायक अबू आसिम आज़मी ने इस मुद्दे को उठाया. ऐसे में माना जा रहा है कि वे महाराष्ट्र विधानसभा के आगामी बजट सत्र के दौरान इस मुद्दे को उठाएंगे और बॉम्बे हाईकोर्ट का भी रुख करेंगे. 

आजमी ने कहा कि मुंबई में एक सदी से भी ज़्यादा पुरानी मीनारा मस्जिद में नए गैर मेमन समुदाय के ट्रस्टी की नियुक्ति एक अवैध आदेश है और यह ट्रस्ट डीड का उल्लंघन करता है. यह पूरी तरह से मनमाना आदेश है क्योंकि यह मौजूदा ट्रस्टियों की सुनवाई किए बिना आया है और गैर मेमन को ट्रस्ट में नियुक्त नहीं किया जा सकता.

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उन्होंने कहा कि मीनारा मस्जिद ट्रस्ट एक ट्रस्ट है जिसकी स्थापना वर्ष 1879 में बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा बनाई गई योजना के तहत की गई थी. इसके बाद, महाराष्ट्र पब्लिक ट्रस्ट एक्ट 1950 के अधिनियमन के बाद ट्रस्ट को बॉम्बे चैरिटी कमिश्नर को हस्तांतरित कर दिया गया. तब से ट्रस्ट महाराष्ट्र पब्लिक ट्रस्ट एक्ट 1950 के अनुसार संचालित किया जा रहा है और यह इंग्लिश ट्रस्ट की प्रकृति का है और इसलिए राज्य वक्फ बोर्ड के पास ऐसा आदेश पारित करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है. 

उन्होंने कहा कि वर्तमान ट्रस्टियों के खिलाफ यह आरोप है कि उन्होंने 83 संपत्तियों को अवैध रूप से बेचा है जो पूरी तरह से झूठा है. हालांकि ट्रस्टियों ने अपने चॉल के 83 किरायेदारों से सहमति ले ली है और सक्षम अधिकारियों से आवश्यक एनओसी प्राप्त करने के बाद उक्त चॉल को विकसित करने के इच्छुक हैं. हम जल्द ही व्यक्तिगत रूप से मीनारा मस्जिद का दौरा करेंगे और हजरत खालिद अशरफ, हजरत मोइनमियां, मौलाना जहीरुद्दीन खान साहब और सईद नूरी जैसे प्रमुख धार्मिक विद्वानों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे और कार्रवाई का तरीका तय करेंगे.

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