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महाराष्ट्रः किसानों पर पड़ी ओलावृष्टि की मार, नुकसान जानने के लिए पंचनामा शुरू

महाराष्ट्र के 12 जिलों में हुई ओलावृष्टि से फसल के नुकसान का अनुमान लगाने के लिए सरकार ने पंचनामा शुरू कर दिया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक तीन लाख हेक्टेयर फसल की बर्बादी हुई है.

देवेंद्र फड़नवीस देवेंद्र फड़नवीस
नंदलाल शर्मा/पंकज खेळकर
  • नई दिल्ली ,
  • 17 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 3:52 AM IST

महाराष्ट्र के 12 जिलों में हुई ओलावृष्टि से फसल के नुकसान का अनुमान लगाने के लिए सरकार ने पंचनामा शुरू कर दिया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक तीन लाख हेक्टेयर फसल की बर्बादी हुई है.

महाराष्ट्र के 89 हजार किसान पहले से ही कर्ज से परेशान थे, अब बीते रविवार से हुई आसमानी आफत के कारण किसानों की मुश्किलें और भी बढ़ गई हैं. ओलों की मार से गेहूं, चना, अंगूर और संतरें की फसलें बर्बाद हो गई हैं. मराठवाड़ा और विदर्भ के 12 जिलों में आसमानी आफत ने तबाही मचाई है, जिसका शिकार हमेशा की तरह किसान हुआ है.

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बीते रविवार को इस सफेद तूफान से मराठवाड़ा के जालना, परभणी, बीड, लातूर, उस्मानाबाद, नांदेड़ और हिंगोली जिलों में तकरीबन दो लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई है. विदर्भ के बुलढाणा, वाशिम, अमरावती, यवतमाल, अकोला और वाशिम में लगभग 92 हजार हेक्टेयर की खड़ी फसल बर्बाद हुई है.

आजतक ने मराठवाड़ा के जालना जिले के मंठा तहसील के किनखेड़ा गांव में उन किसानों के खेत का मुआयना किया, जहां सबसे ज्यादा तबाही हुई है. किनखेड़ा गांव, जालना शहर से 80 किलोमीटर की दूरी पर है. मंठा तहसील के तहसीलदार के मुताबिक 12 जिलों में से जालना जिले के मंठा तहसील के किनखेड़ा इलाके में सबसे ज्यादा फसल को नुकसान हुआ है.

स्थानीय किसान पंडित खरात की एक एकड़ खेत में चने की खेती की है. इस हफ्ते ही कटाई करके फसल को बाजार में बेचने की तैयारी थी. पंडित के मुताबिक एक एकड़ चने की फसल उगाने के लिए चार महीने की मेहनत और साढ़े नौ हजार रुपये खर्च हुए हैं. साथ ही पंडित ने बाजार से बीस हजार का कर्जा ले रखा है.

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एक एकड़ में पांच क्विंटल चने की फसल होती है. ओलावृष्टि के कारण सारे खेत में चने के दाने फैले हुए है. पंडित के मुताबिक अब उसे सिर्फ 2700 रुपये मिलेंगे. ओलावृष्टि पंडित खरात के लिए मुँह का निवाला छीनने वाली बात हो गई है.  

किनखेड़ा गांव के किसान भारत ने बताया कि ज्वार की फसल की कटाई पंद्रह मार्च तक होने वाली थी. इस ढाई एकड़ खेत से भारत राठौड़ को सात क्विंटल ज्वार होने का अनुमान था. ओलावृष्टि के बाद अब सिर्फ ढाई क्विंटल ज्वार हाथ आएगी - यानी 9 हजार रुपये की जगह सिर्फ ढाई हजार रुपये हाथ आएंगे.

स्थानीय किसान अशोक मुरकुटे ने बताया कि जालना जिले के पालक मंत्री बबन राव लोनिकर आये तो थे, लेकिन बर्बाद हुए खेतों का मुआयना किये बगैर मुख्य सड़क से ही चले गए. सब किसानों को उम्मीद थी कि डावोस से लौटे मुख्यमंत्री ओलों की मार से परेशान किसानों का हाल देखने आएंगे, लेकिन पांच दिनों के बाद भी देवेंद्र फडणवीस नहीं आये.

मंठा तहसील के तहसीलदार किनखेड़ा गांव मे बर्बाद हुई फसल का पंचनामा करने आये थे. आजतक से बातचीत करते हुए तहसीलदार ने तीन तरह से किसानों को मुआवजा देने की बात कही, जिसमें गैर सिंचित खेत के लिये 6.8 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर का मुआवजा, वहीं सिंचित खेत के लिये 13.5 हजार रुपये प्रति हेक्टर और फलों की खेती के लिये 18 हजार रुपये प्रति हेक्टर देने की बात कही है.

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इन सबके बावजूद किसानों की शिकायत है कि अभी तक पिछला पैसा नहीं मिला तो इस नुकसान का कब मिलेगा? इसका भरोसा नहीं रहा.

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