
हालांकि शिवसेना ने आदित्य ठाकरे को आगे कर चुनाव लड़ा था, लेकिन अब स्थिति बदल गई है. बीजेपी से रिश्ता खत्म होने के बाद शिवसेना अब अपने धुर विरोधी कांग्रेस और एनसीपी जैसे राजनीतिक दलों के साथ मिलकर सरकार बना रही है. शरद पवार जैसे राजनेता के साथ समंजस्य बैठाकर सरकार चलाना और बीजेपी जैसे मजबूत विपक्ष को साधना नए सीएम के लिए बड़ी चुनौती होगी.
ऐसे बनी सहमति
महाराष्ट्र सरकार बनाने को लेकर शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के बीच लगातार बातचीत चल रही है. तीनों दलों के बीच कॉमन मिनिमम प्रोग्राम (सीएमपी) को लेकर सहमति बन रही है. इस फॉर्मूले के तहत शिवसेना को पूरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री पद मिलेगा, जबकि कांग्रेस और एनसीपी के एक-एक डिप्टी सीएम होंगे. इसके अलावा मंत्रिमंडल में एनसीपी को 14, कांग्रेस को 12 मंत्री पद मिलेंगे. शिवसेना के खाते में मुख्यमंत्री पद के अलावा 14 मंत्री पद की सहमति बनी है.
महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के बीच सरकार बनाने का फॉर्मूला तय हो गया है. इसके साथ ही 'ठाकरे परिवार' से मुख्यमंत्री बनना भी तय है, लेकिन नाम पर संशय अब बन गया है. सवाल ये है कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे खुद सत्ता की कमान संभालेंगे या फिर ठाकरे परिवार की तीसरी पीढ़ी के रूप में आदित्य के नाम पर ही सीएम पद के लिए मुहर लगेगी?
शिवसेना ने आदित्य ठाकरे के नाम पर विधानसभा चुनाव लड़ा था. इसी के मद्देनजर आदित्य मुंबई की वर्ली विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और जीतकर विधायक बने. चुनाव नतीजे आने के बाद सीएम पद के लिए शिवसेना बीजेपी के साथ 25 साल पुराने नाते को तोड़कर कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने जा रही है. ऐसे में कांग्रेस और एनसीपी के लिए आदित्य ठाकरे को सीएम बनाए जाने पर सहमत होना मुश्किल नजर आ रहा है.
आदित्य ठाकरे के सामने भी होगी चुनौती
एनसीपी प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस के दिग्गज व अनुभवी नेताओं के साथ गठबंधन सरकार चलाना आदित्य ठाकरे के लिए आसान नहीं होगा. वो भी तब जब बीजेपी जैसा मजबूत विपक्ष उनके सामने होगा. उधर, केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार है, जिससे शिवसेना पहले ही बाहर आ चुकी है. ऐसे में आदित्य ठाकरे जिनका सियासत में अभी पदार्पण ही हुआ है उनके लिए आगे की राह बहुत ही चुनौतीपूर्ण हो सकती है.
यही वजह है कि शिवसेना आदित्य ठाकरे की जगह उद्धव ठाकरे को सीएम बनाने का दांव चल सकती है. उद्धव ठाकरे सहयोगी दलों के साथ बेहतर ढंग से सरकार चला सकते हैं, वे बीजेपी जैसे मजबूत विपक्ष से भी निबटना जानते हैं. हालांकि यहां भी एक पेंच है. उद्धव सीएम बनते हैं तो बीजेपी को सवाल खड़े करने का मौका मिल जाएगा कि उन्होंने गठबंधन अपनी खुद की राजनीतिक लालसा में आकर ही तोड़ा है.
यही नहीं, यह पहली बार होगा कि जब ठाकरे परिवार किंग मेकर की भूमिका छोड़कर सीधे सत्ता पर काबिज होगा. ऐसे में ठाकरे परिवार पर विपक्ष सीधा हमला करेगा, इससे ठाकरे परिवार और मातोश्री के उस रुतबे में कमी आ सकती है, जिसके दम पर शिवसेना की राजनीति चलती है. यही वजह है कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? इसे लेकर राजनीतिक विश्लेषक पक्के तौर पर कुछ भी कह पाने की स्थिति में नहीं हैं.