
महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस की गठबंधन सरकार बनाने की कवायद ही हो रही थी कि शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली. देवेंद्र फडणवीस सीएम बन गए हैं और अजित पवार उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. हालांकि एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने साफ कर दिया है कि यह हमारी पार्टी का फैसला नहीं है.
इसका मतलब साफ है कि महाराष्ट्र के मराठा क्षत्रप कहे जाने वाले शरद पवार के सियासी विरासत पर काबिज होने के लिए अजित पवार ने आखिरकार एनसीपी को तोड़ ही दिया है. शरद पवार के बाद सुप्रिया सुले ने भी कह दिया है कि एनसीपी टूट गई है. सुप्रिया ने कहा कि परिवार और पार्टी बंट गई है.
अजित पवार का बीजेपी को समर्थन देने के फैसले को भले ही शरद परिवार के इस कलह को जोड़कर देखा जा रहा है. हालांकि, शरद पवार की सियासी विरासत का असल उत्तराधिकारी अजित पवार ही माने जाते रहे है.
2009 में डिप्टी सीएम बनने की जताई थी इच्छा
अजित को महाराष्ट्र में एक महत्वाकांक्षी नेता के रूप में देखा जाता है और माना जाता है कि उनके पास महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने के सभी गुण हैं. महाराष्ट्र में साल 2009 में हुए विधानसभा चुनावों के ठीक बाद अजित ने उप मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जताई थी. हालांकि, उस दौरान उनकी जगह छगन भुजबल को महाराष्ट्र का उप मुख्यमंत्री पद के लिए चुना गया था.
महाराष्ट्र की सियासत में बदलाव हुआ. नाटकीय रूप से दिसंबर 2010 में अजित की इच्छा पूरी हुई और वे उप मुख्यमंत्री बने. फिर साल 2013 में उनका नाम एक विवाद से जुड़ा. अजित का नाम एक सिंचाई घोटाले में आया और फिर उन्हें अपने पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया. हालांकि, बाद में दोबारा अजित पवार डिप्टी सीएम बने.
अजित पवार की जगह बेटी को तरजीह
वहीं, शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने राजनीति में कदम रखा और उन्होंने अपने को स्थापित भी कर लिया. शरद पवार अब अजित पवार की जगह अपनी बेटी सुप्रिया सुले को अधिक तरजीह दे रहे थे. वो सुप्रिया सुले को अपनी राजनीतिक विरासत सौंपना चाहते थे, अजित पवार भी यह बात बाखूबी जानते थे, इसलिए उन्होंने अपना राजनीतिक भविष्य सुरक्षित करना ज्यादा बेहतर समझा और एनसीपी को तोड़कर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने का फैसला किया है.
अजित पवार को ऐसा लगने लगा कि उन्हें अब कम तरजीह मिल रही है. इस बीच एनसीपी ने महाराष्ट्र की बीजेपी-शिवसेना सरकार के खिलाफ यात्रा निकाली, लेकिन उसका नेतृत्व अजित पवार को सौंपने के बजाय शरद पवार ने पार्टी के दो दूसरे नेताओं को दिया था. अजित के दिल में यह बात पक्के तौर पर घर कर गई कि उन्हें किनारे लगाने की कोशिश हो रही है, इसलिए अजित पवार ने चुनाव से विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. उसी दिन यह बात साबित हो गई थी कि पवार परिवार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा.
राजनीतिक उत्तराधिकारी कौन होगा?
हालांकि, सुप्रिया सुले पहले प्रदेश की राजनीति में ध्यान नहीं देती थीं. वह अपने संसदीय क्षेत्र बारामती में ही सक्रिय रहती थीं, लेकिन इस चुनाव में जिस तरह से सक्रिय हुईं और पिता के साथ कंधे से कंधे मिलाकर साथ नजर आईं. इसी के साथ यह सवाल उठने लगा था कि एनसीपी में शरद पवार का राजनीतिक उत्तराधिकारी कौन होगा? अजीत पवार या सुप्रिया सुले?
हालांकि, उस वक्त सुप्रिया ने कहा था कि अजीत पवार उनके बड़े भाई हैं और वे हमारे नेता हैं. मेरा कार्य क्षेत्र दिल्ली तक सीमित होगा, इसके बाद उस वक्त इन चर्चाओं पर विराम लग गया था, लेकिन अजित पवार ने जिस तरह से पार्टी को तोड़कर सरकार बनाई है, इसे पवार की विरासत की काबिज होने की जंग के तौर पर देखा जा रहा है.