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उद्धव सरकार ने राजनाथ से INS विराट के संरक्षण के लिए मांगी अनुमति

दुनिया के सबसे पुराने विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विराट को तीस साल की सेवा के बाद आधिकारिक तौर पर 6 मार्च 2017 को ही रिटायर कर दिया गया था.

INS  विराट के संरक्षण के लिए शिवसेना ने लिखा पत्र INS विराट के संरक्षण के लिए शिवसेना ने लिखा पत्र
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 9:12 PM IST
  • INS विराट के संरक्षण के लिए महाराष्ट्र सरकार तैयार
  • रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर मांगी अनुमति
  • शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने लिखा पत्र

शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर सेवा से मुक्त हो चुके विमानवाहक पोत आईएनएस विराट को संरक्षित करने का प्रस्ताव भेजा है. उन्होंने रक्षा मंत्रालय से इसके लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) मांगा है.  

उन्होंने कहा कि विमानवाहक पोत आईएनएस विराट ने लगभग 30 सालों तक देश को सेवा दी है. यह हमारे देश और नौसेना के लिए गौरव रहा है. ऐसे में नौसेना की विरासत को कबाड़ में बदलने से हमारी धरोहर नष्ट हो जाएगी. इसलिए अगर रक्षा मंत्री का NOC मिलता है तो महाराष्ट्र सरकार को ऐतिहासिक युद्धपोत के पुनरोद्धार और संरक्षण  करने में खुशी होगी.

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को संबोधित पत्र में चतुर्वेदी ने लिखा, हमें एक देश के तौर पर सेवा से मुक्त नौसेना के जहाज का इस्तेमाल नागरिकों को सैन्य इतिहास के बारे में बेहतर जानकारी देने के लिए करना चाहिए. यह दुख की बात है कि युद्धपोत को संग्रहालय का प्रस्ताव पहले ही दिया जा चुका है, लेकिन रक्षा मंत्रालय इसके लिए एनओसी नहीं दे रहा है.      

दुनिया के सबसे पुराने विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विराट को तीस साल की सेवा के बाद आधिकारिक तौर पर 6 मार्च 2017 को ही रिटायर कर दिया गया था. अब इसे तोड़ा जाएगा. पिछले साल जुलाई में, केंद्र सरकार ने संसद में कहा था कि आईएनएस विराट को स्क्रैप करने का निर्णय भारतीय नौसेना के उचित परामर्श में लिया गया है.

1987 में भारतीय नौसेना में शामिल किए गए सबसे लंबे समय तक सेवारत युद्धपोत को श्री राम ग्रुप ने पिछले महीने मेटल स्क्रैप ट्रेड कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा आयोजित एक नीलामी में 38.54 करोड़ रुपये में खरीदा था. कंपनी के अध्यक्ष मुकेश पटेल ने कहा कि संभवतः मुंबई के नेवल डॉकयार्ड से अगले महीने अलंग में ब्रेकिंग यार्ड के लिए रवाना किया जाएगा.

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लहरों के सिकंदर के नाम से मशहूर आईएनएस विराट भारत का दूसरा विमान वाहक पोत है, जिसने भारतीय नौसेना में 30 वर्ष तक सेवा दी है. इससे पहले उसने ब्रिटेन के रॉयल नेवी में 25 वर्षों तक सेवा दी. इसका ध्येय वाक्य 'जलमेव यस्य, बलमेव तस्य' था. जिसका मतलब होता है, 'जिसका समंदर पर कब्जा है वही सबसे बलवान है.'

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आईएनएस विराट एक प्रकार से चलता-फिरता शहर था. इस पर लाइब्रेरी, जिम, एटीएम, टीवी और वीडियो स्टूडियो, अस्पताल, दांतों के इलाज का सेंटर और मीठे पानी का डिस्टिलेशन प्लांट जैसी सुविधाएं थीं. 226 मीटर लंबा और 49 मीटर चौड़े आईएनएस विराट ने भारतीय नौसेना में शामिल होने के बाद जुलाई 1989 में ऑपरेशन जूपिटर में पहली बार श्रीलंका में शांति स्थापना के लिए ऑपरेशन में हिस्सा लिया था.

2001 में भारतीय संसद पर हमले के बाद ऑपरेशन पराक्रम में भी विराट की भूमिका थी. विराट ने छह दशक से ज्यादा समय समुद्र में बिताए. इस दौरान इसने दुनिया के 27 चक्कर लगाने में 1,094,215 किलोमीटर का सफर किया. आईएनएस विराट का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल है. ये दुनिया का एकलौता ऐसा जहाज है जो इतना बूढ़ा होने के बाद भी इस्तेमाल किया जा रहा था और बेहतर हालत में था. 

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इसे 'ग्रेट ओल्ड लेडी' के नाम से भी जाना जाता है. पश्चिमी नौसेना कमान की तरफ से एक बार बताया गया था कि यह इतिहास में सबसे ज्यादा सेवा देने वाला पोत है.

 

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