
महाराष्ट्र में हुए ग्राम पंचायत चुनाव के नतीजे अब लगभग साफ हो गए हैं. शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), दोनों ही सबसे अधिक सीटें जीतने के दावे कर रही हैं. शिवसेना का दावा है कि वह सबसे अधिक सीटों पर विजयी रही है तो वहीं बीजेपी भी नंबर वन पार्टी होने का दावा कर रही है. बीजेपी के दावे को ही सही मान लिया जाए, तब भी यह साफ है कि शिवसेना के नेतृत्व वाला सत्ताधारी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सबसे बड़े गठबंधन के तौर पर उभरा है.
महाराष्ट्र के 34 जिलों की 13833 ग्राम पंचायत सीटों पर चुनाव हुआ था, जिसमें से 13769 सीट्स के नतीजे सोमवार यानी 18 जनवरी की शाम तक घोषित किए जा चुके थे.घोषित नतीजों के मुताबिक बीजेपी को सबसे अधिक 3263 सीटों पर जीत मिली है. वहीं, एमवीए सरकार का नेतृत्व कर रही शिवसेना को 2808, कांग्रेस को 2151 और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) को 38 सीटों पर जीत हासिल हुई है. 2510 सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों के खाते में गई हैं. बीजेपी ने बड़ी संख्या में अपने समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों की जीत का दावा करते हुए कहा है कि कुल मिलाकर उसे 5721 सीटें मिली हैं. वहीं, दूसरी तरफ एमवीए में शामिल घटक दलों की कुल सीटें देखें तो 7958 पहुंचती हैं.
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आपको बता दें कि महाराष्ट्र में 34 जिलों में 12,711 ग्राम पंचायतों में शुक्रवार को हुए चुनाव 79 फीसदी मतदान हुआ था. राज्य की ग्राम पंचायतों में 31 मार्च 2020 को चुनाव होने वाले थे, लेकिन कोरोना की वजह से 17 मार्च 2020 को चुनाव कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया. इसके बाद पंचायत चुनाव की घोषणा दिसंबर में गई थी.
पंचायत चुनाव के नतीजों को लेकर शिवसेना के मुखपत्र सामना में भी तंज कसा गया है. शिवसेना ने लिखा है कि भारतीय जनता पार्टी को अब समझना चाहिए कि राज्य में बीजेपी के साथी ईडी, सीबीआई और आईटी विभाग राजनीतिक जीत नहीं दिला सकते हैं. शिवसेना ने लिखा कि बीजेपी की ओर से लगातार महा विकास अघाड़ी सरकार को बदनाम करने की कोशिश की गई, लेकिन जनता ने एक बार फिर वोट के जरिए अपना रुख साफ कर दिया है.
चुनाव के नतीजे आने के बाद हर दल ने अपनी जीत का दावा किया है, गठबंधन का कहना है कि महा विकास अघाड़ी के खाते में सबसे अधिक सीटें हैं. जबकि बीजेपी नेताओं का कहना है कि उनके सिंबल और समर्थित प्रत्याशियों की जीत सबसे अधिक हुई है.