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महाराष्ट्र में भी लंपी वायरस का कहर, 10 महीने में 11 हजार से ज्यादा मवेशियों की जान गई

महाराष्ट्र की एनडीए सरकार में राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे-पाटिल ने प्रश्नकाल के दौरान बताया कि राज्य के 36 जिलों में से 33 में लंपी वायरस का कहर देखने को मिला है. यहां 291 तहसीलों में मवेशी लंपी वायरस की चपेट में आकर संक्रमित हुए हैं और मौत की सूचना मिली है.

सांकेतिक तस्वीर. सांकेतिक तस्वीर.
aajtak.in
  • नागपुर,
  • 27 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 10:42 PM IST

राजस्थान, यूपी, एमपी और गुजरात के बाद महाराष्ट्र में भी लंपी वायरस का कहर देखने को मिला है. यहां इस साल करीब 1,78,072 मवेशी संक्रमित हुए हैं और अक्टूबर तक 11,547 की मौत हो चुकी है. इस संबंध में सरकार ने मंगलवार को विधान परिषद में जानकारी दी है. सरकार ने ये भी दावा किया है कि मवेशियों के मारे जाने पर मुआवजा भी बांटा गया है.

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महाराष्ट्र की एनडीए सरकार में राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे-पाटिल ने प्रश्नकाल के दौरान बताया कि राज्य के 36 जिलों में से 33 में लंपी वायरस का कहर देखने को मिला है. यहां 291 तहसीलों में मवेशी लंपी वायरस की चपेट में आकर संक्रमित हुए हैं और मौत की सूचना मिली है. बता दें कि विधान परिषद में डॉ. मनीषा कयांडे, महादेव जानकर, एकनाथ खड़से और अन्य ने लंपी वायरस के संबंध में सवाल उठाया था. जिसके जवाब में मंत्री की तरफ से जानकारी दी गई है.

गाय के मरने पर दिया 30 हजार रुपए मुआवजा

मंत्री ने आगे बताया कि लंपी वायरस बीमारी से बचाने के लिए करीब 1.39 करोड़ मवेशियों को गॉट पॉक्स-वायरस का टीका लगाया गया है. विखे-पाटिल ने बताया कि महाराष्ट्र में 1,39,92,304 मवेशियों में से 2.71 प्रतिशत पशु लंपी वायरस से संक्रमित हुए हैं. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के दिशा-निर्देशों के अनुसार, प्रति मृत गाय के लिए 30,000 रुपये, मृत बैल के लिए 25,000 रुपये और मृत बछड़े के लिए 16,000 रुपये का मुआवजा दिया गया है.

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टीका लगाकर सुरक्षित किए गए मवेशी

बताते चलें कि लंपी वायरस के कहर से राजस्थान, यूपी, एमपी, केरल समेत कई राज्यों में मवेशियों की मौत हुई है. उसके बाद सरकारों की तरफ से वैक्सीनेशन के कार्य में तेजी लाई गई और मवेशियों को सुरक्षित किया गया. ये रोग खून पीने वाले कीड़ों, जैसे कुछ मक्खियों और मच्छरों द्वारा फैलता है और बुखार का कारण बनता है. बाद में मवेशियों में मृत्यु भी हो जाती है.

मवेशियों की त्वचा पर गांठें होती जाती हैं

विशेषज्ञों के अनुसार इसके लक्षणों में बुखार, त्वचा पर गांठें, दूध का उत्पादन कम होना, भूख ना लगना और आंखों से पानी आना शामिल है. महाराष्ट्र के जलगांव, अहमदनगर, धुले, अकोला, औरंगाबाद, बीड, कोल्हापुर, सांगली, वाशिम, जालना, नंदुरबार और मुंबई उपनगरों में टीकाकरण की प्रक्रिया पूरी की गई है. अक्टूबर में आए आंकड़ों के अनुसार, 97 प्रतिशत मवेशियों का टीकाकरण किया जा चुका है.

 

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