
महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज होने के बाद भी महा विकास आघाड़ी गठबंधन को बीजेपी एक के बाद एक सियासी मात देती जा रही है. राज्यसभा चुनाव के बाद अब विधान परिषद चुनाव में भी बीजेपी ने महा विकास आघाड़ी को शिकस्त दी है. सूबे की 10 विधान परिषद सीटों में से बीजेपी 5 सीटें जीतने में कामयाब रही है. वहीं महा विकास आघाड़ी के एनसीपी-शिवसेना ने दो-दो सीटें जीती हैं. कांग्रेस को केवल एक सीट से संतोष करना पड़ा है.
बता दें कि महाराष्ट्र की 10 विधान परिषद सीटों के लिए 11 उम्मीदवार मैदान में थे. आंकड़ों के लिहाज से चार सीटें बीजेपी को मिलनी तय थीं और महा विकास आघाड़ी को पांच सीटें. ऐसे में मुख्य मुकाबला 10 वीं एमएलसी सीट के लिए कांग्रेस और बीजेपी के बीच था. राज्यसभा चुनाव में मिली मात से कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी ने अपने-अपने विधायकों को होटल में रखा था, फिर भी बीजेपी की सेंधमारी से बच नहीं सकी.
महाविकास अघाड़ी गठबंधन को राज्यसभा चुनाव में मिली हार से ज्यादा एमएलसी में चुनाव की शिकस्त चुभेगी, क्योंकि बीजेपी के पास अपनी पांचवीं सीट जीतने के लिए 17-18 वोटों की जरूरत थी जबकि कांग्रेस को 11 विधायकों के समर्थन की जरूत थी, जिनमें शिवसेना से तीन सरप्लस वोट भी है. इस तरह कांग्रेस को सिर्फ आठ विधायक चाहिए थे, जो वह जुटा नहीं सकी. इस तरह से कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा तो बीजेपी ने अपना पांचवें एमएलसी जिताने में सफल रही.
महाविकास अघाड़ी गठबंधन को बीजेपी ने पिछले दल दिनों में दूसरा झटका दिया है. इससे पहले भी महा विकास आघाड़ी को राज्यसभा चुनाव में बीजेपी ने मात दी थी. 10 जून को 6 सीटों के लिए हुए राज्यसभा चुनाव में शिवसेना के दूसरे प्रत्याशी संजय पवार को बीजेपी के धनंजय महादिक ने मात दी थी. विपक्ष में रहते हुए बीजेपी ने छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों को लुभाकर राज्यसभा की तीन सीटों पर कब्जा जमाया था तो इस बार पांच एमएलसी सीटें अपने नाम कर ली है. इस तरह से बीजेपी ने एक बाद एक सियासी मात महा विकास आघाड़ी को दे रही है.
हालांकि, विधान परिषद चुनाव को लेकर कांग्रेस और एनसीपी नेताओं ने पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के साथ मीटिंग की थी. इसके बाद तीनों पार्टियों ने अपने विधायकों को मुंबई के होटलों में रखा था. इसके बावजूद महा विकास आघाड़ी अपने विधायकों को क्रास वोटिंग करने से नहीं रोक सकी. इसके साथ ही महाराष्ट्र में उद्धव सरकार के लिए चिंता बढ़ गई है.
महाराष्ट्र के विधानसभा आंकड़ों को देखें तो शिवसेना के 55, कांग्रेस के 44 और एनसीपी के पास 52 विधायक हैं. एमएलसी की एक सीट जीतने के लिए 26 वोटों की जरूरत थी. इस तरह से शिवसेना के दो और एनसीपी के दो और कांग्रेस की एक एमएलसी सीट जीतने के बाद शिवसेना के तीन वोट और कांग्रेस कांग्रेस के 18 वोट सरप्लस हो रहे थे.
हालांकि, एनसीपी के दो एनसीपी विधायक अनिल देशमुख और नवाब मलिक को सुप्रीम कोर्ट ने एमएलसी चुनावों में वोटिंग करने की अनुमति नहीं दी थी. इसके अलावा एक शिवसेना विधायक का निधन हो चुका है. कांग्रेस को दूसरी एमएलसी सीट जीतने के लिए महज 8 वोटों की जरूरत थी.
वहीं, 106 विधायकों के साथ बीजेपी आराम से चार सीटें जीती, लेकिन पांचवीं सीट के लिए पार्टी को दलबदलुओं और निर्दलीय उम्मीदवारों के समर्थन की जरूरत थी. बीजेपी के समर्थक विधायकों को भी मिलाने के बाद 113 का आंकड़ा पहुंच रहा था. इस तरह 4 एमएलसी बनाने के बाद 9 अतरिक्त वोट बच रहे थे. पांचवीं सीट के लिए इस लिहाज से 17 वोटों की जरूरत थी. लेकिन, बीजेपी ने महा विकास आघाड़ी विधायकों की क्रास वोटिंग से 134 वोट हासिल किए. इस तरह बीजेपी ने अपने पांचवें उम्मीदवार को भी विजयी करवा दिया.
महाराष्ट्र बीजेपी ने सत्ताधारी महा विकास आघाड़ी गठबंधन को 10 दिन के अंदर एक तरीके से दो बार मात दी है. इसी के साथ शिवसेना में बगावत का बिगुल बज गया है. शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे बागी हो चुके हैं. माना जा रहा है कि एकनाथ शिंदे ही शिवसेना विधायकों से एमएलसी चुनाव में क्रास वोटिंग कराई है. शिंदे सूरत में हैं और उनके साथ करीब विधायक होने का दावा किया जा रहा है. शिंदे के साथ इसमें शिवेसना और निर्दलीय विधायकों के होने का दावा किया जा रहा है. ऐसे में उद्धव सरकार के लिए सियासी तौर पर खतरा मंडराने लगा है.