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महाराष्ट्र: एकनाथ खडसे को एमएलसी बनाकर बीजेपी को घेरने का पवार का पावर प्लान

महाराष्ट्र में उद्धव सरकार बनने के बाद से बीजेपी और महाविकास अघाड़ी के बीच सियासी शह-मात का खेल चल रहा है. ऐसे में बीजेपी और देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले एकनाथ खडसे को एनसीपी ने अपने साथ मिलाया और अब उन्हें एमएलसी बनाने की कवायद में है. शरद पवार उन्हें विधान परिषद में भेजकर उत्तर महाराष्ट्र में अपने सियासी आधार को मजबूत करना चाहते हैं.

एकनाथ खड़से और शरद पवार एकनाथ खड़से और शरद पवार
ऋत्विक भालेकर
  • मुंबई,
  • 08 जून 2022,
  • अपडेटेड 1:37 PM IST
  • एकनाथ खडसे को MLC बनाने के सियासी समीकरण
  • महाराष्ट्र के बड़े ओबीसी नेता माने जाते हैं खडसे
  • फडणवीस के खिलाफ खडसे के इस्तेमाल का प्लान

महाराष्ट्र की सियासत में देवेंद्र फडणवीस की आलोचना करने के बाद बीजेपी छोड़कर एनसीपी में एंट्री करने वाले एकनाथ खडसे पिछले दो साल से राजनीतिक पुनर्वास का इंतजार कर रहे हैं. महाराष्ट्र की दस विधान परिषद सीटों पर 20 जून को चुनाव होने हैं, जिसे लेकर गुरुवार को नामांकन का आखिरी दिन है. ऐसे में माना जा रहा है कि एकनाथ खडसे के एमएलसी बनने की लॉटरी लग सकती है. 

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ओबीसी के बड़े नेता हैं एकनाथ

महाराष्ट्र की सियासत में एकनाथ खडसे बीजेपी का ओबीसी चेहरा माने जाते थे, लेकिन देवेंद्र फडणवीस का पार्टी में सियासी कद बढ़ने से वो खुद को उपेक्षित समझने लगे थे. ऐसे में 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद खडसे ने बीजेपी छोड़कर एनसीपी का दामन थाम लिया. अब माना जा रहा है कि शरद पवार  की उत्तरी महाराष्ट्र में पार्टी संगठन को मजबूत करने और बीजेपी को निशाने पर लेने के लिए एकनाथ खडसे को मंत्रिमंडल में शामिल कराने की रणनीति है. 

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने दो साल पहले बीजेपी में एकनाथ खडसे की सियासी हालत को पहचाना और उन्हें एनसीपी में लाने का दांव चला. इसी के बाद से एकनाथ खडसे को देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ खुलकर विरोध करते देखा जा रहा है. ऐसे में अब अगर एकनाथ खडसे विधान परिषद में आते हैं तो वह एक बार फिर से बीजेपी और खासकर देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ आक्रामक होंगे.

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खडसे बीजेपी छोड़कर एनसीपी में आए

एकनाथ खडसे बीजेपी छोड़कर एनसीपी में शामिल होने के बाद केंद्रीय जांच एजेंसी के निशान पर आ गए थे. वह ईडी की पूछताछ और बीमारी के कारण बहुत सक्रिय नहीं हो सके. एनसीपी में शामिल होने के बाद से यह बात चल रही थी कि विधान परिषद के माध्यम से एकनाथ खडसे विधायक बनेंगे और फिर राज्य में मंत्री पद प्राप्त करेंगे. ऐसे में उन्हें एमएलसी बनाने की चर्चा तेज है. 

बता दें कि एकनाथ खडसे के एनसीपी में शामिल होने के बाद ही उन्हें राज्यपाल कोटे से एमएलसी के लिए मनोनीत कराने का कदम उठाया गया.  जनवरी 2021 में एकनाथ खडसे का नाम विधान परिषद के 12 सदस्यों की सूची में उद्धव सरकार ने शामिल कर राज्यपाल भगतसिंह कोशियारी को भेजा था. हालांकि, एक साल से ज्यादा समय गुजर जाने के बाद भी राज्यपाल ने सूची पर कोई फैसला नहीं लिया. ऐसे में अब विधान परिषद की खाली सीटों पर एकनाथ खडसे को एनसीपी से मौका दिए जाने की संभावना है. 

महाराष्ट्र की 10 एमएलसी सीटों पर चुनाव

महाराष्ट्र की 10 विधान परिषद सीटों के लिए 20 जून को चुनाव है. विधायकों के आंकड़े के लिहाज से एनसीपी को दो सीटें मिलनी हैं तो शिवसेना के खाते में भी दो सीटें आएंगी और कांग्रेस को एक सीट मिल सकती है. वहीं, बीजेपी के खाते में चार से पांच सीटें मिल सकती हैं. बीजेपी ने एमएलसी के लिए पांच उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है, जिसमें प्रवीण यशवंत दारेकर, रामशंकर शिंदे, श्रीकांत भारतीय, उमेश गिरीश खापरे और प्रसाद मिनेश लाड का नाम शामिल है.  

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एनसीपी से दो MLC दावेदार माने जा रहे

वहीं, एनसीपी को मिलने वाली दो एमएलसी सीटों में रामराजे निंबालकर का नाम लगभग तय है. इसकी वजह यह है कि निंबालकर विधान परिषद के सभापति पद पर हैं. इसके अलावा दूसरी विधान परिषद सीट के लिए एकनाथ खडसे की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है. मंगलवार को एकनाथ खडसे ने शरद पवार से मुंबई के वाय बी चव्हाण सेंटर में मुलाकात भी की है, जिसके बाद से उनके विधान परिषद जाने की चर्चा और भी तेज हो गई है. 

एनसीपी को उत्तरी महाराष्ट्र में एकनाथ खडसे के रूप में एक मजबूत नेता मिला है. इसलिए अब एनसीपी के पास इस क्षेत्र में अपनी पार्टी का विस्तार करने का मौका है. स्थानीय निकाय चुनावों के आगाज के चलते एकनाथ खडसे को विधान परिषद में भेजा जाता है तो एनसीपी के लिए अपना प्रभाव बढ़ाना आसान हो जाएगा. साथ ही देवेंद्र फडणवीस के करीबी पूर्व मंत्री गिरीश महाजन के सामने चुनौती देने का भी मौका है. 

महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार में एनसीपी कोटे से मंत्री अनिल देशमुख और नवाब मलिक जेल में हैं. एक युवती की मौत पर हुए बवाल के बाद शिवसेना के संजय राठौर को मंत्री पद गंवाना पड़ा है. कांग्रेस के नेताओं को भी निशाना बनाया जा रहा है. ऐसे में संभावना है कि एनसीपी ने एकनाथ खडसे को मंत्री बनाकर बीजेपी के खिलाफ खड़ा करने का लक्ष्य रखा है.

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