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महाराष्ट्र MLC चुनाव: शिवसेना ने अपने विधायकों को होटल में किया शिफ्ट, आदित्य ठाकरे भी पहुंचे

एमएलसी चुनाव के लिए 13 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया था, जिनमें से भाजपा समर्थित एक उम्मीदवार सदाभाऊ खोत और एनसीपी के एक उम्मीदवार शिवाजीराव गर्जे ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली. विधान परिषद की 10 सीटों पर 11 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं. महाविकास अघाड़ी ने छह उम्मीदवार उतारकर सियासी घमासान की बुनियाद रख दी है. 

20 जून को होने हैं विधान परिषद के चुनाव (फाइल फोटो) 20 जून को होने हैं विधान परिषद के चुनाव (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • मुंबई,
  • 18 जून 2022,
  • अपडेटेड 4:34 AM IST
  • एक सीट पर होगा मुकाबला, बीजेपी के 5 प्रत्याशी मैदान में
  • बैठक के बहाने सभी विधायकों को बुलाया फिर रोक लिया

महाराष्ट्र में विधान परिषद चुनाव से पहले शिवसेना ने गुरुवार को अपने विधायकों को पूर्वोत्तर मुंबई के पवई में एक लग्जरी होटल में शिफ्ट कर दिया है. बताया जा रहा है कि पिछले हफ्ते हुए राज्यसभा चुनाव में भाजपा के बाजी मारने के चलते शिवसेना ने ऐहतियात के तौर पर यह फैसला किया है. वहीं गुरुवार देर रात शिवसेना के विधायक और केबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे भी होटल पहुंच गए.

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सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी (एमवीए) का नेतृत्व करने वाली पार्टी ने अपने विधायकों को शीर्ष नेताओं के साथ बैठक के लिए बुलाया था. बैठक के बाद शिवसेना नेता अनिल देसाई ने मीडिया से कहा कि पार्टी के सभी विधायकों को राज्य के उच्च सदन के लिए 20 जून को होने वाले चुनाव और मतदान प्रक्रिया के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में सामान्य निर्देश दिए गए. उन्होंने कहा, सभी निर्दलीय विधायक और छोटे दल महा विकास अघाडी का पूरी तरह समर्थन कर रहे हैं.

10 सीटों के लिए 11 उम्मीदवार मैदान में

राज्यसभा चुनाव की तरह ही विधान परिषद मुकाबला करीबी होने की उम्मीद है क्योंकि विधान परिषद की 10 खाली सीट के लिए 11 उम्मीदवार मैदान में हैं. MLC चुनाव की दौड़ में भाजपा के 5 उम्मीदवार- प्रसाद बालक, श्रीकांत भारतीय, प्रवीण दरेकर, उमा खापरे, राम शिंदे शामिल हैं. जबकि, कांग्रेस, शिवसेना और राकांपा से दो-दो उम्मीदवार मैदान में हैं.

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शिवसेना से सचिन अहिर और नंदूरबार के शिवसेना जिला प्रमुख आमशा पाडवी नामांकन दाखिल कर चुके हैं. एनसीपी से रामराजे नाईक निंबालकर और एकनाथ खड़से नामांकन दाखिल कर चुके हैं.

20 जून को 30 सीटों पर चुनाव

20 जून को 30 सीटों पर चुनाव हैं, जिनमें 13 सीटें उत्तर प्रदेश, 10 महाराष्ट्र और 7 सीटें बिहार की हैं. उत्तर प्रदेश में 13 में से 12 सीटें 6 जुलाई को खाली हो रही हैं, जिनमें उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की सीट भी है. सीएम योगी आदित्यनाथ की सीट 22 मार्च को खाली हो गई थी. बीजेपी ने बिहार से हरि साहनी और अनिल शर्मा को टिकट दिया गया है.

कहां, क्या है सीटों का गणित

बिहार में 7 सीटों पर चुनाव है. इसमें से 2 पर बीजेपी और 2 पर जदयू को जीत मिलती दिख रही है. राजद ने 3 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. लेकिन अगर कांग्रेस अपना उम्मीदवार उतारती है, तो एक सीट पर राजद का खेल खराब हो सकता है. 

महाराष्ट्र की 10 सीटों में से 4 पर बीजेपी का जीतना तय माना जा रहा है. इसके अलावा एनसीपी 2 और कांग्रेस का 1 पर जीतना तय माना जा रहा है. शिवसेना 2 सीटों पर जीत सकती है. आखिरी सीट पर पेंच फंस सकता है. वहीं यूपी की 13 सीटों में से 9 पर बीजेपी और 4 पर सपा का जीतना तय माना जा रहा है. 

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जीत के लिए कितने वोट की जरूरत?

महाराष्ट्र में एमएलसी के लिए एक उम्मीदवार को चुनाव जीतने के लिए कम से कम 27 वोटों की जरूरत होगी. आंकड़ों के लिहाज से शिवसेना और एनसीपी मिलकर अपने दो-दो यानी कुल चार प्रत्याशी जिताने के लिए सक्षम हैं. कांग्रेस भी अपना एक उम्मीदवार आसानी से जिता लेगी, लेकिन उसे अपने दूसरे उम्मीदवार को जिताने के लिए 10 वोटों की अतरिक्त जरूरत होगी. 

वहीं, विधायकों की संख्या के आधार पर बीजेपी चार एमएलसी सीट आसानी से जीत लेगी, लेकिन अपना पांचवां उम्मीदवार जिताने के लिए उसे 22 अतिरिक्त मतों की जरूरत पड़ेगी. इस तरह से 10वीं एमएलसी सीट के लिए कांग्रेस और बीजेपी के बीच सियासी संग्राम होगा.

ऐसे में बीजेपी राज्यसभा चुनाव की तरह विधान परिषद चुनाव में भी जीतने का समीकरण बैठा रही है तो कांग्रेस निर्दलीय के साथ-साथ सपा, AIMIM और बहुजन अघाड़ी के सहारे जीतने की उम्मीद लगाए है. 

शिवसेना के नेतृत्व वाले महा विकास अघाड़ी के पास कुल 169 विधायकों का समर्थन है, जिसमें शिवसेना के 55, एनएसपी के 51, कांग्रेस के 44, सपा के 2, पीजीपी के 2 और AIMIM के दो विधायकों का समर्थन है. इसके अलावा 13 निर्दलीय विधायकों का समर्थन है. 

वहीं, बीजेपी के पास 106 विधायक हैं और 7 निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ आंकड़ा 113 विधायक तक पहुंच रहा है. लेकिन हाल के राज्यसभा चुनाव में वह पहली प्राथमिकता के मतों में कुल 123 विधायकों का समर्थन जुटाने में कामयाब रही. राज्यसभा चुनाव में पार्टी के विधायकों को अपने मत अपनी पार्टी के चुनाव एजेंट को दिखाकर ही डालने होते हैं जबकि विधान परिषद चुनाव में मतदान गुप्त होता है. ऐसे में क्रॉस वोटिंग की संभावना बन सकती है, जिसके चलते देखना होगा कि कौन किस पर भारी पड़ता है? 

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(इनपुट: एजाज़ खान)

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