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कांग्रेस-शिवसेना में ठनी, 'सामना' में लिखा- नाना पटोले स्पीकर होते तो नहीं गिरती MVA सरकार

शिवसेना (UBT) के मुखपत्र सामना में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले को लेकर तीखी प्रतिक्रिया छपी है. सामना में लिखा गया है कि नाना पटोले अगर स्पीकर बने रहते तो शिंदे गुट को शांत किया जा सकता था. इस पर कांग्रेस ने कहा कि शिवसेना (UBT) को गठबंधन सहयोगियों के आंतरिक फैसलों को सम्मान करना चाहिए.

उद्धव ठाकरे और नाना पटोले (फाइल फोटो) उद्धव ठाकरे और नाना पटोले (फाइल फोटो)
पंकज उपाध्याय
  • मुंबई,
  • 10 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 8:27 AM IST

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले पर की गई टिप्पणी को लेकर महाराष्ट्र में कांग्रेस पार्टी ने शिवसेना (UBT) गुट पर तीखी प्रतिक्रिया की है. शिवसेना (UBT) के मुखपत्र सामना ने राज्य कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले को महाराष्ट्र में एमवीए सरकार के पतन के लिए काफी हद तक जिम्मेदार ठहराया था. 

कांग्रेस प्रवक्ता अतुल लोंडे ने कहा कि शिवसेना की ओर से इस तरह की टिप्पणी करना सही नहीं है और गठबंधन सहयोगी के रूप में उन्हें कांग्रेस पार्टी द्वारा किए गए आंतरिक फैसलों का सम्मान करना चाहिए.  

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पार्टी प्रवक्ता ने कहा, 'कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले के विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफे पर 'सामना' में की जा रही आलोचना उचित नहीं है. नाना पटोले ने जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लिया. इस्तीफा देने का फैसला कांग्रेस की तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनियाजी गांधी की सलाह पर लिया गया था. शिवसेना को सहयोगी दल के फैसले का सम्मान करना चाहिए जो गठबंधन का मूल नियम है.' 

कांग्रेस नेता ने कहा कि शिवसेना में लिखा गया है कि अगर नाना पटोले विधानसभा अध्यक्ष बने रहते तो अगली घटना टल जाती, राजनीति में इस 'अगर-तो' का कोई मतलब नहीं है. यह कहना भी सही नहीं है कि विधानसभा अध्यक्ष पद से नाना पटोले का इस्तीफा ही एकमात्र कारण है, जिससे एमवीए सरकार मुश्किल में आ गई. कांग्रेस पार्टी को क्या निर्णय लेना चाहिए, यह कांग्रेस पार्टी का आंतरिक मामला है. 

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सामना में शिवसेना (UBT) ने क्या लिखा? 

'सामना' में लिखा गया था कि नाना पटोले ने जल्दबाजी में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इससे एमवीए में परेशानी हुई क्योंकि अगर नाना सदन के स्पीकर के रूप में रहते तो शिंदे गुट द्वारा विद्रोह को शांत किया जा सकता था. संपादकीय में कहा गया है कि नाना पटोले का इस्तीफा एमवीए सरकार की परेशानी की मुख्य वजह थी. 

नाना पटोले को ठहराया जिम्मेदार

अघाड़ी सरकार के लिए विधानसभा अध्यक्ष का पद महत्वपूर्ण था. अगर वह स्पीकर पद पर होते तो कई शर्मिंदगी से बचा जा सकता था और पार्टी बदलने वालों को अयोग्य ठहराना आसान होता. पटोले के इस्तीफे के बाद राज्यपाल द्वारा विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव नहीं कराया गया था और इसका फायदा शिंदे गुट को मिला.  

सामना में लिखा, 'इसलिए विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का फैसला जल्दबाजी और अपरिपक्व था. बाद में पटोले कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बने, लेकिन महाराष्ट्र में जो सरकार ठीक से चल रही थी, वह उनके एक फैसले से हमेशा के लिए मुश्किल में पड़ गई और इस सच्चाई को स्वीकार करना ही होगा.' 

 

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