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डिलीवरी के 12 घंटे बाद ही चुनाव प्रचार करने उतरी उम्मीदवार

चुनावों की खातिर नेता क्या कुछ नहीं करते. उनकी हर संभव कोशिश रहती है कि प्रचार में कोई कमी न रह जाए. कुछ ऐसा ही हाल नजर आया पुणे में महाराष्ट्र नव निर्माण सेना की प्रत्याशी रुपाली पाटिल का. रुपाली ने डिलीवरी के दिन ही फिर से अपना प्रचार शुरू कर दिया है.

महाराष्ट्र नव निर्माण सेना महाराष्ट्र नव निर्माण सेना
पंकज खेळकर
  • पुणे,
  • 12 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 8:54 AM IST

चुनावों की खातिर नेता क्या कुछ नहीं करते. उनकी हर संभव कोशिश रहती है कि प्रचार में कोई कमी न रह जाए. कुछ ऐसा ही हाल नजर आया पुणे में महाराष्ट्र नव निर्माण सेना की प्रत्याशी रुपाली पाटिल का. रुपाली ने डिलीवरी के दिन ही फिर से अपना प्रचार शुरू कर दिया है.

दरअसल, शनिवार सुबह प्रत्याशी रुपाली पाटिल को अचानक प्रसूति का दर्द शुरू होने के बाद तुरंत अस्पताल में भर्ती किया गया था. अस्पताल में लाते ही रुपाली की डिलीवरी हुई थी. डिलीवरी के 12 घंटे के बाद ही इस मनसे की नगरसेविका और प्रत्याशी ने चुनाव मैदान में जाने का तय किया और प्रचार शुरू कर दिया है.

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चुनाव से पहले मिली खुशखबरी
पुणे महापालिका चुनाव का मतदान 21 फरवरी को होना है. जिसके लिए हर पार्टी के प्रत्याशी वोटर्स को लुभाने के लिए प्रचार जोर-शोर से कर रहे हैं. लेकिन, महाराष्ट्र नव निर्माण सेना की प्रत्याशी रुपाली पाटिल को चुनाव पहले ही बड़ी खुशखबरी मिल गई है. चुनाव के नतीजे फरवरी 23 को आने हैं लेकिन रुपाली पाटिल को शनिवार की सुबह संतान प्राप्ति होने से वे सातवें आसमान पर हैं.

डॉक्टर ने बताया था 5 मार्च
महाराष्ट्र नव निर्माण सेना की प्रत्याशी रुपाली पाटिल पिछले नौ महिने से गर्भवती थीं. वे पीछे कई दिनों से लगातार प्रचार यात्रा कर रही थीं. डॉक्टर ने डिलीवरी डेट मार्च 5 बताने से रुपाली बिना किसी डर के दिन के अधिकतर घंटे प्रचार करने में जुट गई थीं.

प्रचार से लौटते वक्त हुआ लेबर पेन
शुक्रवार मध्य रात प्रचार खत्म करके घर लौटते समय जब उनको अचानक प्रसूति कर दर्द शुरू हुआ तो डॉक्टर के कहने पर शनिवार को तड़के अस्पताल में एडमिट किया गया और अस्पताल पहुंचते ही तुरंत उनकी डिलीवरी हो गई.

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तुरंत प्रचार पर लौटीं
बिना कोई दवाई, बिना पैन किलर इंजेक्शन दिए, नॉर्मल डिलीवरी होने से मनसे की ये प्रत्याशी बेहद खुश हैं. अब रुपाली पाटिल तुरंत प्रचार करने लौट आईं. उनका कहना है कि अगर गांवों में महिलाएं डिलीवरी के बाद तुरंत खेतों के काम में जुट सकती हैं तो शहर में इतनी सुविधा होने के बाद वे क्यों प्रचार के लिए नहीं जा सकतीं.

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