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महाराष्ट्र की सियासत की थ्रिलर स्टोरी: जब NCP के दो युवा नेताओं ने BJP को किया था 'चेकमेट'

सुधीर सूर्यवंशी की एक किताब 'चेकमेट: हाऊ द बीजेपी वन एंड लॉस्ट द स्टेट' आई है. इस किताब में नवंबर 2019 में महाराष्ट्र में बीजेपी की हाथ से सत्ता के फिसल जाने जाने की थ्रिलर स्टोरी को बताया गया है.

एनसीपी विधायकों को लेकर एयरपोर्ट पहुंचे धीरज और सोनिया (फाइल फोटो) एनसीपी विधायकों को लेकर एयरपोर्ट पहुंचे धीरज और सोनिया (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 6:07 PM IST
  • NCP विधायकों के रेस्क्यू पर आई किताब चेकमेट
  • 2019 में NCP के दो युवा नेताओं ने किया था रेस्क्यू

महाराष्ट्र की सियासत किसी थ्रिलर फिल्म से कम नहीं रही है. कभी पांच साल में तीन बार सीएम बदले जाते हैं तो कभी धुर-विरोधी पार्टियां मिलकर सरकार बना लेती हैं. महाराष्ट्र की सियासत पर एक किताब आई है, जिसने 2019 के उन राज से पर्दा उठा दिया है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के हाथ में आई सत्ता कैसे फिसल गई थी.

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हाल ही में महाराष्ट्र के ही पत्रकार सुधीर सूर्यवंशी की एक किताब 'चेकमेट:  हाऊ द बीजेपी वन एंड लॉस्ट द स्टेट' आई है. इस किताब में नवंबर 2019 में महाराष्ट्र की राजनीति में हुए उथल-पुथल का जिक्र किया गया है और महाराष्ट्र में बीजेपी की हाथ से सत्ता के फिसल जाने जाने की थ्रिलर स्टोरी को बताया गया है.

क्या है पूरी कहानी
2019 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर तो सामने आई थी, लेकिन शिवसेना के साथ गठबंधन टूटने की वजह से सरकार बनाने की स्थिति में नहीं थी. बाद में एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस ने मिलकर महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी मोर्चा का सरकार का गठन किया. 

खुद एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार इस गठबंधन और सरकार के शिल्पकार थे, लेकिन बीजेपी ने महाविकास अघाड़ी सरकार को गिराने और अपनी सरकार बनाने के लिए एक प्लान तैयार किया. सुधीर सूर्यवंशी की किताब में बताया गया है कि कैसे 2019 में बीजेपी ने सरकार बनाने की कोशिश की और एनसीपी के युवा नेताओं ने सत्ता बचा ली.

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दरअसल, 2019 का विधानसभा चुनाव बीजेपी ने शिवसेना के साथ मिलकर लड़ा था. बीजेपी 105 सीटों पर जीती और शिवसेना के खाते में 56 सीट आई. बीजेपी ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने की कोशिश की लेकिन शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद की डिमांड रख दी थी. इसके बाद यह गठबंधन टूट गया.

शिवसेना, एनसीपी (54 सीट) और कांग्रेस (44 सीट) के साथ सरकार बनाने की कवायद करने लगी. यह सारी कवायद चल रही थी, तभी शरद पवार के भतीजे अजित पवार को अपने वाले में लाकर बीजेपी नेता देवेंद्र फणनवीस ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के सामने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया.

यही नहीं राज्यपाल ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजित पवार को उप-मुख्यमंत्री के पद की शपथ भी दिलवा दी. अचानक हुई इतने बड़े सियासी हलचल के शरद पवार ने अपने घर पर एनसीपी के विधायकों की बैठक बुला ली. इस बैठक में कुछ विधायक नहीं पहुंचे, जिनके बारे में पता चला कि वो चार्टर प्लेन से हरियाणा के गुरुग्राम के लिए उड़ान भर चुके हैं.

अब लड़ाई शुरू हुई एनसीपी के विधायकों को वापस लाने की. शरद पवार ने पार्टी के कद्दावर और अनुभवी नेताओं की जगह इस लड़ाई की कमान राष्ट्रवादी युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष धीरज शर्मा को सौंपी. धीरज शर्मा ने राष्ट्रवादी विद्यार्थी कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया दूहन को विधायकों की लोकेशन पता लगाने का जिम्मा सौंपा.

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सोनिया दूहन ने यह पता लगा लिया कि इन विधायकों को कहां रखा गया है. सभी विधायक गुरुग्राम के एक बड़े होटल में ठहराए गए थे. उनसे मिलने की किसी को इजाजत नहीं थी, न ही उनसे संपर्क करने का कोई रास्ता था. हरियाणा में बीजेपी की ही बीजेपी सरकार थी, लेकिन इसके बावजूद सोनिया और धीरज ने विधायकों को निकालने का प्लान तैयार किया.

सोनिया ने विधायकों के कमरों का पता लगाया. इस सीक्रेट प्लान में करीब 180 लोगों की टीम शामिल की गई, जिसमें स्थानीय महिलाएं भी शामिल थीं. सोनिया दूहन किसी तरह होटल के एक सीनियर अधिकारी को अपने साथ लाने में कामयाब हो गईं. उसने उन्हे होटेल का पीछे का एक रास्ता बताया जो सीधा बगल के एक होटल में खुलता था.

बाद में इन युवा नेताओं ने होटल के लॉन्ड्री विभाग के प्रभारी को अपने भरोसे में लिया और उनके जरिए विधायकों से संपर्क किया. विधायकों को इसी माध्यम से सूचना पहुंचाई गई कि शरद पवार ने विधायकों को बाहर निकालने के लिए उन्हें भेजा है. सोनिया दूहन खुद इस पूरे अभियान की निगरानी कर रही थीं.

जब ये विधायक बचते बचाते नीचे आए तो सोनिया दूहन ने उनसे पीछे के रास्ते की जानकारी देते हुए उनसे बाहर निकलने के लिए कहा. तब तक धीरज शर्मा अपनी कार लेकर दरवाजे के बाहर पहुंच चुके थे. जैसे विधायक वहां से निकले धीरज शर्मा उन्हे लेकर वहाँ से निकले और सभी विधायकों को महाराष्ट्र पहुंचा दिया गया.

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इस दौरान सोनिया दूहन ने बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ ही पुलिस को चकमा दिया. विधायकों के महाराष्ट्र पहुंचते ही एनसीपी में होने वाली टूट बच गई और महाराष्ट्र की सत्ता बीजेपी के हाथ से फिसल गई.

 

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