
नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नहीं बुलाए जाने से विपक्षी दल मोदी सरकार के खिलाफ लगातार हमलावर हैं. कुछ विपक्षी दल ने उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होने का फैसला किया है. इस बीच, शनिवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने मोदी सरकार पर संसद भवन निर्माण के दौरान भरोसे में नहीं लेने का आरोप लगाया है.
उन्होंने कहा, मैं कई वर्षों से सांसद रहा हूं. हम अखबार में पढ़ते हैं कि एक नया संसद भवन बनाया जाएगा. इतना महत्वपूर्ण निर्णय लेते समय संसद सदस्यों को भरोसे में लेने की जरूरत थी.
'भूमिपूजन में भी आमंत्रित क्यों नहीं किया?'
पवार ने कहा कि भूमिपूजन के दौरान भी किसी को आमंत्रित नहीं किया गया. अब संसद भवन बनकर तैयार है. विपक्ष को भरोसे में लेना चाहिए था. इसलिए हम कुछ दलों के बहिष्कार करने के फैसले को स्वीकार करते हैं.
कहा जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने दोनों गुटों के बजाय चुनाव आयोग से शिवसेना पार्टी के गठन की मांग की है. इस बारे में पूछे जाने पर शरद पवार ने कहा, इसका मतलब है कि निर्णय लेने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. वहीं, देश के 4 राज्यों में समान नागरिक संहिता कानून लागू किए जाने पर की चर्चा पर पवार ने कहा, यह गलत है. इस खबर में कोई सच्चाई नजर नहीं आ रही है. ऐसा कुछ नहीं हुआ.
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नए संसद भवन का पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन
बता दें कि देश के नए संसद भवन का 28 मई को उद्घाटन होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस भवन का उद्घाटन करेंगे लेकिन अब इस खूबसूरत बिल्डिंग को लेकर देश में सियासत छिड़ गई है. वे पीएम मोदी की आलोचना कर रहे हैं. एनसीपी और कांग्रेस समेत 21 विपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है. इस सियासी ड्रामे के बाद एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार ने पहली बार अपनी स्थिति स्पष्ट की है.
संसद की नई बिल्डिंग से जुड़ा हालिया विवाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ट्वीट के बाद शुरू हुआ, जिसमें कहा गया कि इस बिल्डिंग का उद्घाटन पीएम नहीं बल्कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को करना चाहिए. यह ट्वीट राहुल ने 21 मई को किया था.
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28 मई की तारीख पर भी उठाए सवाल
कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने उद्घाटन की तारीख पर भी सवाल उठाए हैं. दरअसल, 28 मई को वीर सावरकर की जयंती है. उनका जन्म 28 मई 1883 को हुआ था. इस साल 28 मई को उनकी 140वीं जयंती मनाई जाएगी. अब यह देखने वाली बात होगी कि क्या यह महज संयोग है कि नए संसद भवन का उद्घाटन वीर सावरकर की जयंती पर हो रहा है या फिर यह सुनियोजित है.
- कांग्रेस का कहना है कि 28 मई को हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर की जयंती है, इसी दिन नए संसद भवन का उद्घाटन करना राष्ट्र निर्माताओं का अपमान है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया,‘हमारे सभी राष्ट्र निर्माताओं का अपमान. गांधी, नेहरू, पटेल, बोस आदि को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया है. डॉक्टर आंबेडकर का भी तिरस्कार है.’
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कांग्रेस समेत 21 विपक्षी दलों ने किया बायकॉट
21 विपक्षी दलों ने बायकॉट का ऐलान किया है. इन दलों में कांग्रेस, डीएमके (द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम), AAP, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), समाजवादी पार्टी, भाकपा, झामुमो, केरल कांग्रेस (मणि), विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची, रालोद, टीएमसी, जदयू, एनसीपी, सीपीआई (एम), आरजेडी, AIMIM, AIUDF (ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, नेशनल कॉन्फ्रेंस, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और मरुमलार्ची द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके) शामिल हैं.
ये दल कार्यक्रम में होंगे शामिल
जगन मोहन रेड्डी की YSRCP और टीडीपी उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होंगे. वाईएसआरसीपी (युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी) से सांसद विजयसाई रेड्डी और टीडीपी (तेलुगु देशम पार्टी) के शीर्ष नेतृत्व ने इसकी पुष्टि की है. इन दलों के अलावा नवीन पटनायक की बीजू जनता दल और अकाली दल इस कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं.
28 महीने में बनकर तैयार हुई बिल्डिंग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया था. इस कार्य के लिए संसद के दोनों सदनों, राज्यसभा और लोकसभा ने 5 अगस्त 2019 को आग्रह किया था. नई संसद (New Parliament) को बनाने का टेंडर टाटा प्रोजेक्ट को साल 2020 के सितंबर में दिया गया था. इसकी लागत 861 करोड़ रुपये मानी गई थी. फिर बाद में कुछ अतिरिक्त कामों के चलते यह कीमत 1,200 करोड़ रुपये तक पहुंची थी. चार मंजिला संसद भवन में सदस्यों के लिए लाउंज, पुस्तकालय, समिति कक्ष के साथ ही पार्किंग के लिए भी पर्याप्त जगह होगी. संसद के वर्तमान भवन में लोकसभा में 550 जबकि राज्यसभा में 250 माननीय सदस्यों की बैठक की व्यवस्था है. भविष्य की जरूरतों को देखते हुए संसद के नवनिर्मित भवन में लोकसभा में 888 जबकि राज्यसभा में 384 सदस्यों की बैठक की व्यवस्था की गई है.