
एनसीपी नेता अजित पवार ने चुनाव में ईवीएम के इस्तेमाल का समर्थन किया है. पवार ने कहा कि मुझे ईवीएम पर पूरा भरोसा है. कोई एक व्यक्ति ईवीएम में हेरफेर नहीं कर सकता है, यह एक बड़ी प्रणाली है. हारने वाली पार्टी ईवीएम को दोष देती है, लेकिन यह लोगों का जनादेश है.
दरअसल एनसीपी नेता से पूछा गया कि एमवीए में शामिल शिवसेना (उद्धव) के मुखपत्र सामना में ईवीएम को लेकर निशाना साधा गया है. सामना में केंद्र सरकार को बांग्लादेश की तरह ईवीएम की जगह बैलेट बॉक्स से चुनाव कराने की चुनौती दी. इसको लेकर अजित पवार ने कहा कि मुझे व्यक्तिगत रूप से ईवीएम पर पूरा भरोसा है. अगर ईवीएम खराब होती छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, पंजाब, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में विपक्षी दलों की सरकार नहीं होती.
पवार ने कहा कि ईवीएम में हेरफेर करना एक व्यक्ति द्वारा संभव नहीं है, क्योंकि ये बड़ी प्रणाली है. अगर किसी तरह यह साबित हो जाता है कि ईवीएम से छेड़छाड़ की गई तो देश में बहुत बवाल हो जाएगा. इसलिए मुझे नहीं लगता कि कोई ऐसा करने की हिम्मत करेगा. कभी-कभी कुछ लोग चुनाव हार जाते हैं, लेकिन उन्हें लगता है कि वो हार नहीं सकते और फिर ईवीएम पर आरोप लगाने लगते हैं और इससे छुटकारा पा लेते हैं, लेकिन यह लोगों का वास्तविक जनादेश है.
पीएम की डिग्री और सावरकर पर क्या बोले पवार?
वहीं पीएम मोदी की डिग्री और सावरकर जैसे मुद्दों पर एनसीपी का स्टैंड पूछे जाने पर अजित पवार ने कहा कि जिस पार्टी के केवल दो सांसद थे, उसने पीएम मोदी के नेतृत्व में साल 2014 में जनादेश से सरकार बनाई और देश के दूर-दराज वाले इलाकों में पहुंच गई तो क्या ये मोदी का करिश्मा नहीं है. उनके खिलाफ बहुत बयान दिए गए, लेकिन वो और भी लोकप्रिय हो गए और उनके नेतृत्व में बीजेपी ने कई राज्यों में चुनाव जीता. अब 9 साल बाद इन मुद्दों को निकालने का क्या फायदा, जनता उनके काम को देख रही है, जहां राजनीति में शिक्षा का सवाल है तो इसका ज्यादा महत्व नहीं माना जाता है.
चार पूर्व सीएम का दिया हवाला
अजित पवार ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्रियों का हवाला देते हुए कहा कि वसंतदादा पाटिल की तरह चार ऐसे सीएम हैं, जो ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन उनका प्रशासन चलाने का तरीका शानदार था. उनके शासन काल में कई शिक्षण संस्थान, कॉलेज खोले गए. इसलिए राजनीति में पढ़ा-लिखा होना कोई शर्त नहीं है. इसलिए इस मामले में मेरा स्टैंड क्लीयर है. आपको जो अर्थ निकालना हो, निकाल सकते हैं, ये मेरी चिंता का विषय नहीं है.