
महाराष्ट्र में महायुति को बंपर बहुमत मिलने के बाद भी बीजेपी और शिवसेना के बीच चल रहा कोल्ड वॉर थमने का नाम नहीं ले रहा है. ताजा मामला 'ऑफिस' को लेकर सामने आया है. दरअसल, सीएम फडणवीस ने मुख्यमंत्री सहायता डेस्क और मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता डेस्क स्थापित किए. इसके जवाब में डिप्टी सीएम शिंदे ने उपमुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता डेस्क बना दिया.
मंत्रालय बिल्डिंग यानी कि राज्य के प्रशासनिक मुख्यालय के सातवें फ्लोर पर यह सत्ता संघर्ष साफ नजर आ रहा है, जहां फडणवीस का "वार रूम" प्रमुख परियोजनाओं और महत्वपूर्ण बैठकों पर नजर रखता है, वहीं शिंदे ने पास में एक "समन्वय समिति कक्ष" स्थापित किया है, जहां वह महाराष्ट्र की प्रमुख परियोजनाओं की समीक्षा करते हैं.
क्या बोले सीएम देवेंद्र फडणवीस
जब इस मुद्दे पर फडणवीस से सवाल पूछा गया, तो उन्होंने इसे सामान्य बताया और कहा कि इस व्यवस्था में कुछ गलत नहीं है. उन्होंने कहा कि जब वह राज्य के डिप्टी सीएम थे तब उनका कार्यालय भी मुख्यमंत्री के कार्यालय के पास था. फडणवीस ने यह भी कहा कि सरकार सुचारू रूप से चल रही है.
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शिंदे गुट के नेताओं ने क्या कहा
वहीं, शिंदे गुट के नेताओं का कहना है कि दो अलग-अलग कार्यालयों का होना राज्य परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने और सार्वजनिक कल्याण में सुधार करने में मदद कर सकता है. इससे पहले, शिंदे को आपदा प्रबंधन समिति में शामिल नहीं किया गया था, जिसपर उन्होंने अपनी नाराजगी व्यक्त की थी. इसके बाद, नए नियम बनाए गए और उन्हें समिति में शामिल किया गया.
रायगढ़ और नासिक जिलों के गार्जियन मंत्रियों की नियुक्तियों को लेकर भी विवाद जारी है, जिसमें फडणवीस ने शिंदे गुट के विधायकों द्वारा विरोध किए जाने के बाद नियुक्तियों को स्थगित कर दिया था. शिवसेना के शिंदे गुट ने सरकार में शक्ति और संसाधनों के बंटवारे को लेकर अपने असंतोष को खुले तौर पर जाहिर किया है.