
यूक्रेन में जारी संकट के बीच हजारों भारतीय छात्र अब भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं. कुछ ने यूक्रेन के पड़ोसी देशों में शरण ले ली है तो कुछ ऐसे भी हैं, जिनके घरवालों का उनसे संपर्क ही नहीं हो पा रहा है. ऐसा ही एक केस माहाराष्ट्र के औरंगाबाद से सामने आया है. उस्मानाबाद में रहने वाली कलिंदा थिटे ने एजेंसी को बताया कि उनकी बेटी निकिता इस वक्त यूक्रेन में फंसी हुई है. मंगलवार रात उनका निकिता से आखिरी बार फोन पर कॉनटेक्ट हुआ था. इसके बाद से निकिता से संपर्क नहीं हो पा रहा है.
पेशे से शिक्षिका कलिंदा ने कहा कि उसे आखिरी बार 2 दिन पहले निकिता का संदेश मिला था. उन्होंने बताया कि निकिता कीव से 830 किलोमीटर दूर लुगांस्क स्टेट मेडिकल कॉलेज में MBBS की चौथी वर्ष की छात्रा है. उन्होंने आगे बताया कि निकिता की ऑनलाइन क्लास चल रही थीं, इसलिए वह किराए के अपार्टमेंट में अपने दोस्तों के साथ कीव में रह रही थी. रूसी हमले शुरू होने पर उसे एक बंकर में भेज दिया गया था. यहां वह अपने दोस्तों के साथ थी. कलिंदा ने बताया कि उन्हें निकिता का आखिरी संदेश सोमवार को मिला था कि वह सुरक्षित है और दूतावास जा रही है. उसने व्हाट्सएप के जरिए अपनी लोकेशन भी साझा की थी. लेकिन अब उसके दोस्तों से भी संपर्क नहीं हो पा रहा है. निकिता की मां ने सरकार से उसे भारत लाने की अपील की है.
शरणार्थी शिवरों में परेशानियां
रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट के शरणार्थी कैंप में पहुंची आजतक की टीम को लोगों ने बताया कि यहां बिजली और पानी की शॉर्टेज है. बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन इस बात की तसल्ली है कि वे किसी तरह यूक्रेन बॉर्डर को पास कर रोमानिया पहुंच गए. यहां बहुत से ऐसे लोग भी हैं, जो यूक्रेन से भारत में अपने घर जाने के लिए आए थे, लेकिन यहां वॉलंटियर बने लोगों का जज्बा देखकर खुद भी वॉलंटियर बन गए.
MBBS की छात्रा ने हंगरी में संभाला मोर्चा
यूक्रेन के ओडेसे इलाके में चौथे साल की MBBS स्टूडेंट सिमरन हंगरी में शरणार्थियों की सेवा कर रही हैं. वे हरियाणा के करनाल की रहने वाली हैं. सिमरन 2 दिन की यात्रा के बाद हंगरी के जाहोनी सीमा तक पहुंचीं. और फिर वह दोस्त कार्तिक के साथ बुडापेस्ट पहुंचने में कामयाब रहीं. सिमरन को भारत सरकार द्वारा प्रबंध किए गए विमान से वतन लौटना था, लेकिन जिस हॉस्टल में उसे ठिकाना मिला, वहां उसने बतौर वॉलंटियर काम करना शुरू कर दिया. दरअसल हुआ यूं कि हंगरी में भारत के दूतावास ने बुडापेस्ट में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों और स्थानीय नागरिकों से मदद मांगी, तो सिमरन ने बतौर वॉलंटियर हॉस्टल में मोर्चा संभाल लिया.