
महाराष्ट्र के वर्धा में साहित्य सम्मेलन कार्यक्रम के दौरान विदर्भ राज्य की मांग को लेकर सीएम एकनाथ शिंदे के सामने दो लोगों ने नारेबाजी की. जिसके बाद पुलिस ने दोनों को हिरासत में ले लिया. घटना वर्धा के आचार्य विनोबा भावे ग्रामीण अस्पताल में 'थ्री टेस्ला एमआरआई' के उद्घाटन के दौरान हुई.
उधर, शिवसेना पर किसका अधिकार होगा, शिवसेना का चुनावी चिन्ह किसका, ये सवाल पिछले कई महीनों से महाराष्ट्र की राजनीति में सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है. इस मुद्दे पर समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है और चुनाव आयोग भी इसकी सुनवाई कर रहा है. सोमवार को चुनाव आयोग ने इस मामले में फिर दोनों पक्षों को अपनी दलीलें रखने का मौका दिया. उद्धव गुट की तरफ से 17 दलीलें पेश की गईं.
कहा गया कि उनके पास पूर्व बहुमत है, पार्टी पर पूरी तरह से उनका अधिकार है और शिंदे गुट द्वारा सिर्फ संविदान का उल्लंघन किया गया है.
उद्धव गुट की क्या दलीलें रहीं?
सुनवाई के दौरान उद्धव गुट की तरफ से कहा गया कि शिंदे गुट द्वारा जो याचिका दायर की गई है, असल में उसका कोई आधार ही नहीं है. इस समय उनके सभी विधायकों पर निलंबन की तलवार लटक रही है, ऐसे में सुनवाई किन तर्कों पर करेंगे. यहां तक कहा गया है कि दूसरे पक्ष की याचिका से सबूत नहीं मिल जाता कि मूल पार्टी में कोई बंटवारा हुआ हो. आंकड़ों के आधार पर बताया गया कि दो लेजिस्लेटिव विंग में तो पूर्ण बहुमत है, 12 एमलसी हैं, 3 राज्यसभा के सांसद हैं. लोकसभा में भी हमारे पास ही बहुमत है. संगठन में भी हमारे पास पूर्ण बहुमत है.
पिछली सुनवाई के दौरान ठाकरे गुट ने कहा था कि याचिका लगाते समय उनके पास नंबर स्पष्ट नहीं थे. उन्होंने उसी वजह से 42 पेज की अर्जी दाखिल कर पार्टी पर अपना दावा किया था. पेशगी तौर पर विरोधी गुट की अर्जी आने पर ठाकरे गुट को भी सुनने की अपील की थी. वहीं दूसरी तरफ शिंदे गुट का कहना है कि सदन यानी विधानसभा में और शिवसेना संगठन ने भी उनका नंबर काफी ज्यादा है.