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महाराष्ट्र की राजनीतिक में क्लाइमेक्स! अगले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी सबकी निगाहें

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष महाराष्ट्र के सियासी घमासान को लेकर अभी भी कम से कम चार अलग-अलग याचिकाएं लंबित हैं. सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला सुनाएगा.

फाइल फोटो फाइल फोटो
सृष्टि ओझा
  • मुंबई,
  • 09 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 7:03 PM IST
  • 30 जून को एकनाथ शिंदे ने ली थी सीएम पद की शपथ
  • 4 जुलाई को विधानसभा में हासिल किया बहुमत

महाराष्ट्र में करीब एक महीने तक चले राजनीतिक घटनाक्रम ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींच लिया था. उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन इसके बाद भी अभी राज्य में राजनीतिक संकट खत्म नहीं हुआ है. अभी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई होनी है. 

अभी यह देखना बाकी है कि क्या सुप्रीम कोर्ट उद्धव गुट को कोई राहत देगा. शीर्ष अदालत के समक्ष अभी भी कम से कम चार अलग-अलग याचिकाएं लंबित हैं. सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला सुनाएगा. अदालत इन सभी मामलों पर 11 जुलाई को सुनवाई करेगी. महाराष्ट्र की राजनीति में अबतक क्या हुआ है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट आने वाले दिनों में किन याचिकाओं पर सुनवाई करेगा, इसके बारे में बताते हैं.

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विधानसभा सदस्यों की अयोग्यता का नोटिस 

उद्धव ठाकरे और शिंदे गुट के बीच कानूनी लड़ाई एकनाथ शिंदे और भरत गोगावले व 14 अन्य शिवसेना नेताओं की याचिका से शुरू हुई थी, जिसमें डिप्टी स्पीकर द्वारा जारी अयोग्यता नोटिस को चुनौती दी गई थी. एकनाथ शिंदे की ओर से अजय चौधरी को पार्टी के नेता के रूप में मान्यता देने को चुनौती दी गई थी. इसको लेकर तर्क दिया था कि डिप्टी स्पीकर संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत किसी भी सदस्य को हटाने की मांग करने वाले प्रस्ताव के लंबित रहने के दौरान उसे अयोग्य नहीं ठहरा सकते. 

सुप्रीम कोर्ट ने 27 जून को अंतरिम उपाय के रूप में एकनाथ शिंदे और महाराष्ट्र राज्य विधानसभा में 15 अन्य बागी विधायकों के लिए डिप्टी स्पीकर के अयोग्यता नोटिस पर लिखित जवाब दाखिल करने का समय 12 जुलाई तक बढ़ा दिया था. 

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फ्लोर टेस्ट पर बवाल

उद्धव ठाकरे जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे और एकनाथ शिंदे बागी हो गए थे. उन्होंने दावा किया कि उद्धव सरकार सदन में विश्वास हो चुकी है. उसके बाद राज्यपाल ने उद्धव सरकार से फ्लोर टेस्ट देने का निर्देश दिया था. इसको लेकर शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट में राज्यपाल के फ्लोर टेस्ट के निर्देश के खिलाफ याचिका दायर की. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. हालांकि कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा था कि अगर बाद में यह पाया जाता है कि बिना अधिकार के फ्लोर टेस्ट किया गया था, तो इसे रद्द किया जा सकता है.  

व्हिप को लेकर विवाद 

यह याचिका शिवसेना के व्हिप की स्थिति से संबंधित है. दरअसल महाराष्ट्र विधानसभा के नए अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने उद्धव गुट के चीफ व्हिप सुनील प्रभु को हटा दिया था और उनकी जगह भरत गोगावले को शिवसेना का चीफ व्हिप नियुक्त कर दिया था. इसको लेकर सुनील प्रभु की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेके माहेश्वरी ने 4 जुलाई 2022 को इसे 11 जुलाई को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है. 

एकनाथ शिंदे ने ली मुख्यमंत्री पद की शपथ 

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महाराष्ट्र की राजनीतिक परिस्थितियां ऐसी बनीं कि शिवसेना से बागी हुए मंत्री एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली. हालांकि शिवसेना के महासचिव सुभाष देसाई ने राज्यपाल के 30 जून को शिंदे को शपथ लेने के लिए आमंत्रित करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. उन्होंने सवाल उठाया कि राज्यपाल ने शिंदे के नेतृत्व वाले 39 बागी विधायकों को किस उद्देश्य से मुख्यमंत्री बनाने के लिए आमंत्रित किया. इसे असंवैधानिक कार्यवाही बताते हुए और अध्यक्ष के चुनाव के संबंध में 3 और 4 जुलाई को हुई विधानसभा की कार्यवाही को रद्द करने की भी मांग की गई. हालांकि विश्वास प्रस्ताव में शिंदे को बहुमत (164) मिला था. 

इसके साथ ही याचिका में अदालत से शिंदे और अन्य विधायकों के खिलाफ स्पीकर/डिप्टी स्पीकर के समक्ष लंबित सभी अयोग्यता याचिकाओं का रिकॉर्ड मंगाने और उन पर खुद फैसला करने की भी मांग की गई है. इसके लिए तर्क दिया गया है कि बागी विधायकों ने न तो कोई नया दल बनाया और न ही इसे किसी भी राजनीतिक दल में विलय किया.  भले ही मान लिया जाए कि विधायक दल की ताकत भले ही उनके पास दो तिहाई हो, लेकिन 10वीं अनुसूची के चौथे पैराग्राफ के अनुरूप नहीं है. याचिका के अनुसार, राज्यपाल को कानून के तहत "शिवसेना कौन है" को पहचानने का अधिकार नहीं है क्योंकि यह चुनाव आयोग का डोमेन है और चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे द्वारा शिवसेना और उसके नेतृत्व की मान्यता का समर्थन किया है.
 

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