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मणिपुर वीडियो पर नासिक में बवाल, रोड जाम, पथराव और उपद्रव में 10 पुलिसकर्मी घायल

मणिपुर की 4 मई की घटना को लेकर देशभर में नाराजगी देखने को मिली थी. इस घटना के विरोध में नासिक के सताना में विरोध-प्रदर्शन के दौरान बवाल हो गया है. यहां एकलव्य आदिवासी संगठन, कुछ अन्य आदिवासी संगठनों और वंचित बहुजन अगाड़ी ने शनिवार को मार्च का आयोजन किया था. इस दौरान पुलिस से झड़प के बाद विवाद गहरा गया.

मणिपुर में चल रही जातीय हिंसा के बीच इम्फाल में आदिवासी समुदाय ने रैली निकाली. (फोटो- पीटीआई) मणिपुर में चल रही जातीय हिंसा के बीच इम्फाल में आदिवासी समुदाय ने रैली निकाली. (फोटो- पीटीआई)
aajtak.in
  • नासिक,
  • 30 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 3:46 AM IST

मणिपुर के परेशान करने वाले वीडियो के विरोध में महाराष्ट्र के नासिक में बवाल हो गया है. यहां सताना शहर में शनिवार शाम को निकाले गए मार्च में हिंसक झड़प हो गई. घटना में 10 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. तोड़फोड़ और हंगामा हुआ है. पुलिस को हालात पर काबू पाने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा. घटना के बाद तनाव की स्थिति बन गई है. पुलिस का कहना है कि अब हालात काबू में हैं.

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बता दें कि मणिपुर में 3 मई को जातीय हिंसा की शुरुआत हुई थी. हिंसा के दूसरे दिन दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर परेड कराई गई थी. इन दोनों महिलाओं के साथ गैंगरेप भी किया गया था. एक महिला के पिता और भाई ने घटना को विरोध किया तो उन दोनों की हत्या कर दी गई थी. हाल ही में पूरे घटनाक्रम का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसके बाद लोगों ने नाराजगी जताई थी. मणिपुर पुलिस ने मामले में आरोपियों को गिरफ्तार किया है.

विरोध मार्च में हजारों युवा शामिल हुए

इसी वीडियो की घटना के विरोध में महाराष्ट्र के नासिक में शनिवार शाम को एकलव्य आदिवासी संगठन, कुछ अन्य आदिवासी संगठनों और वंचित बहुजन अगाड़ी ने मार्च हिंसक निकाला. विरोध प्रदर्शन के बाद पथराव की घटना हो गई. इसमें करीब 10 पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं. बताते हैं कि विरोध के दौरान हजारों युवा अर्द्ध नग्न होकर मार्च में शामिल हुए. जब यह मार्च तहसील कार्यालय के पास पहुंचा, तो कुछ प्रदर्शनकारियों ने सताना पुलिस स्टेशन के सामने धरना शुरू कर दिया और स्थानीय भाजपा विधायक दिलीप बोरसे को बुलाकर ज्ञापन देने की मांग उठाई.

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विधायक को बुलाने पर अड़ गए प्रदर्शनकारी

बताया गया है कि विरोध-प्रदर्शन शाम करीब 4 बजे खत्म हो गया था. संगठन के सदस्य स्थानीय तहसीलदार को ज्ञापन देने के बाद वापस लौटने लगे थे. लेकिन, भीड़ में कुछ लोगों ने स्थानीय विधायक को मिलने की मांग की और सड़क पर जाम लगा दिया. आरोप है कि पुलिस के आक्रामक रुख के बाद मार्च करने वाले कुछ लोग भड़क गए और पथराव शुरू कर दिया.

पुलिस और राहगीरों पर पथराव करने का आरोप

वहीं, पुलिस का कहना है कि आदिवासी संगठनों के पास धरना-प्रदर्शन की अनुमति नहीं थी. इन लोगों को बताया कि विधायक मुंबई में हैं और वहां विधानसभा सत्र में हिस्सा ले रहे हैं. बातचीत के दौरान तीखी बहस होने लगी. इसी बीच, पुलिस और वहां से गुजर रहे वाहनों पर पथराव शुरू कर दिया गया.

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पथराव करने वालों पर पुलिस का एक्शन

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, पुलिस अधीक्षक शाहजी ने बताया कि हालात पर काबू पाने के लिए हल्का लाठीचार्ज करना पड़ा. घटना में दस पुलिसकर्मी घायल हो गए. पुलिस ने पथराव करने वाले 31 लोगों को हिरासत में लिया है. तुरंत अतिरिक्त पुलिसबल बुलाया गया. स्थिति अब शांतिपूर्ण है. घटना के बाद शहर में तनाव फैल गया. दुकानों और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद कर दिए गए. पुलिस का कहना है कि उपद्रव करने वालों की पहचान की जा रही है. सख्त एक्शन लिया जाएगा.

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(प्रवीण ठाकरे के इनपुट के साथ)

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