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रत्नागिरी डैम हादसा: NDRF का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, अबतक 19 शव बरामद

एनडीआरएफ की टीम लापता लोगों की तलाश में लगी है. मंगलवार देर रात तिवारे डैम टूट गया था. इस कारण 12 मकान पानी में पह गए थे और 7 गांवों में बाढ़ जैसे हालत पैदा हो गए थे.

रत्नागिरी बांध पर बचाव अभियान जारी (फोटो-ANI) रत्नागिरी बांध पर बचाव अभियान जारी (फोटो-ANI)
aajtak.in
  • मुंबई,
  • 05 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 8:26 PM IST

महाराष्ट्र के रत्नागिरी में तिवारे डैम टूटने से हुए इस हादसे में अब तक 19 लोगों की मौत हो गई है, जबकि अभी भी 9 लोग लापता बताए जा रहे हैं. राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीम लापता लोगों की तलाश में लगी है.

ऑपरेशन शाम 7 बजे के बाद बंद कर दिया गया था, अब शनिवार सुबह 7 बजे से एनडीआरएफ की टीम दोबारा सर्च ऑपरेशन शुरू  करेगी.

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बता दें, मंगलवार देर रात तिवारे डैम टूट गया था. इस कारण 12 मकान पानी में पह गए थे और 7 गांवों में बाढ़ जैसे हालत पैदा हो गए थे. महाराष्ट्र सरकार ने डैम टूटने की घटना की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घटना की उच्चस्तरीय जांच का आदेश दिया है. राज्य के जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन ने घटनास्थल का दौरा किया और बांध की मरम्मत और हादसे में घर गंवाने वाले ग्रामीणों को घर देने में तेजी से काम करने का भरोसा दिलाया.

विपक्ष के नेता कांग्रेस के विजय वेडेट्टिवर ने राज्य सरकार के संबंधित अधिकारियों, शिवसेना के उस विधायक जिसकी कंपनी ने बांध बनाया है, पर हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की है. उन्होंने मंत्री महाजन के इस्तीफे की मांग की.

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भारी बारिश के कारण तिवेर बांध मंगलवार रात स्तर से ऊपर बहने लगा और कुछ समय बाद ही रात करीब 9.30 बजे यह टूट गया. इसके बाद कम से कम सात गांवों में बाढ़ आ गई, भेंडेवाड़ी में दर्जनभर घर बह गए, जिनमें 14 परिवार रह रहे थे. जिला मुख्यालय से लगभग 90 किलोमीटर दूर पहाड़ी क्षेत्र में स्थित ये प्रभावित गांव दादर, अकले, रिकटोली, ओवाली, करकवने और नंदीवासे हैं. इन गांवों की कुल अनुमानित जनसंख्या लगभग 3,000 है.

यह बांध साल 2000 में बना था और इसकी क्षमता 2,452 टीएमसी थी. मंगलवार रात गांवों में बाढ़ आ गई थी लेकिन अब बांध का पानी कम होने और बारिश की रफ्तार कम होने से स्थिति सामान्य है. पुणे और सिंधुदुर्ग से अग्निशमन और एनडीआरएफ की टीमों के अलावा आस-पास के क्षेत्रों के स्वयंसेवी लोगों ने युद्ध स्तर पर बचाव अभियान शुरू कर दिया. आला पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी घटनास्थल के लिए रवाना हो गए.

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