
महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के एक किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढहने के मामले में दो लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. शिकायत में ठेकेदार और आर्टिसरी कंपनी के मालिक जयदीप आपटे और स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट डॉक्टर चेतन पाटिल पर लापरवाही और काम की खराब गुणवत्ता के साथ-साथ प्रतिमा के आसपास के लोगों को संभावित रूप से नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया है.
जयदीप आपटे कल्याण में रहते हैं, जबकि डॉक्टर पाटिल कोल्हापुर के रहने वाले हैं. दोनों पर भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं, विशेष रूप से धारा 109, 110, 125 और 318 (3) (5) के तहत मामला दर्ज किया गया है. प्रतिमा ढहने के संबंध में एक एसिस्टेंट इंजीनियर और पीडब्ल्यूडी अधिकारी अजीत पाटिल ने सिंधुदुर्ग पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है.
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घटना के बाद ठेकेदार के घर पर लगा ताला
आजतक ने ठेकेदार और आर्टिसरी कंपनी के मालिक जयदीप पाटिल से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने किसी कॉल-मैसेज का रिस्पॉन्स नहीं दिया. इनके अलावा, घटना के बाद से कल्याण में उनके आवास पर ताला लगा हुआ है.
एफआईआर में कहा गया है कि पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने 20 अगस्त को ठेकेदार जयदीप आपटे को एक ईमेल भेजा था, जिसमें उन्हें नट और बोल्ट पर जंग लगने के बारे में सचेत किया गया था और कहा गया था कि प्रतिमा को खतरा है. हालांकि, इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई.
पीएम मोदी ने 8 महीने पहले किया उद्घाटन
छत्रपति शिवाजी महाराज की 35-फीट ऊंची प्रतिमा का औपचारिक उद्घाटन 8 महीने पहले 4 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. इसका उद्घाटन नौसेना दिवस समारोह के साथ किया गया था. शिवाजी महाराज के दूरदर्शी प्रयासों को श्रद्धांजलि देते हुए, यह प्रतिमा महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के एक किले में स्थापित की गई थी.
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नौसेना ने मरम्मत-पुनर्थापना के लिए भेजी टीम
भारतीय नौसेना ने भी छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को हुए नुकसान के बारे में गहरी चिंता जाहिर की है. राज्य सरकार और संबंधित विशेषज्ञों के साथ मिलकर नौसेना ने इस घटना की वजह का पता लगाने और जल्द से जल्द प्रतिमा की मरम्मत और पुनर्स्थापना को लेकर जरूरी उपाय करने के लिए एक टीम भेजी है. इससे पहले, पुलिस और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी हालात का जायजा लेने के लिए घटनास्थल पर पहुंचे थे.
शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर 3600 करोड़ का खर्च
छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित करने पर 3600 करोड़ रुपये की लागत आई थी. 1 नवंबर 2018 महाराष्ट्र कैबिनेट ने प्रोजेक्ट को एडमिनिस्ट्रेटिव अप्रूवल दी थी और 3700.84 करोड़ रुपये के खर्च को मंजूरी दी गई थी, जिसमें साइट का सर्वेक्षण और जांच से लेकर पुलिस द्वारा सुरक्षा उपाय शामिल थे.
प्रोजेक्ट के 2018 में एडमिनिस्ट्रेटिव अप्रूवल से पहले 2013 की बाद की अवधि में परियोजना पर कुल 36.86 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे. प्रधानमंत्री मोदी ने 2016 में इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया था, जिसपर 8 करोड़ रुपये की लागत आई थी.