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शिंदे-उद्धव केस: गवर्नर-स्पीकर की भूमिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल, मामला बड़ी बेंच को भेजा

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र की राजनीति से जुड़े मामले को बड़ी बेंच को भेज दिया है, लेकिन गवर्नर और स्पीकर की भूमिका पर बड़े सवाल खड़े किए हैं. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया. महाराष्ट्र में हम पुरानी स्थिति को बहाल नहीं कर सकते.

महाराष्ट्र: एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र: एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली ,
  • 11 मई 2023,
  • अपडेटेड 3:53 PM IST

महाराष्ट्र की राजनीति में उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे सहित शिवसेना के 16 विधायकों की सदस्यता, गवर्नर और स्पीकर की भूमिका जैसे मामलों को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ी बेंच को भेज दिया है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल और स्पीकर पर सख्त टिप्पणी करते हुए उनकी भूमिका पर सवाल उठाए हैं.  

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले को बड़ी बेंच में भेजा जाएगा. सीजेआई ने कहा, अरुणाचल के नबाम रेबिया मामले को उठाए सवाल को बड़ी बेंच में भेजना चाहिए, क्योंकि उसमें और स्पष्टता की आवश्यकता है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उद्धव ठाकरे को विधायकों ने अपना नेता माना था. ऐसे में स्पीकर को स्वतंत्र जांच करने के बाद फैसला लेना चाहिए था. 

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गवर्नर की भूमिका पर एससी का सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पार्टी कलह में पड़ना गवर्नर का काम नहीं है. गवर्नर की जिम्मेदारी संविधान की सुरक्षा की भी होती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल के पास विधानसभा में फ्लोर टेस्ट बुलाने के लिए कोई पुख्ता आधार नहीं था. फ्लोर टेस्ट को किसी पार्टी के आंतरिक विवाद को सुलझाने के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि राज्यपाल के पास ऐसा कोई संचार नहीं था, जिससे यह संकेत मिले कि असंतुष्ट विधायक सरकार से समर्थन वापस लेना चाहते हैं. राज्यपाल ने शिवसेना के विधायकों के एक गुट के प्रस्ताव पर भरोसा करके यह निष्कर्ष निकाला कि उद्धव ठाकरे अधिकांश विधायकों का समर्थन खो चुके है. 

उद्धव नहीं देते इस्तीफा तो कुर्सी होती बहाल

उद्धव ठाकरे ने अगर इस्तीफा नहीं दिया होता तो सरकार बहाल का आदेश हो सकता था. कोर्ट ने कहा कि डिप्टी स्पीकर को फैसले से रोकना सही नहीं है. हम इससे सहमत नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया. महाराष्ट्र में हम पुरानी स्थिति को बहाल नहीं कर सकते. विधायकों की अयोग्यता पर हम फैसला नहीं ले सकते. इस पर फैसला महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर लें.

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स्पीकर की भूमिका पर कोर्ट की टिप्पणी

शिंदे-उद्वव मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि गोगावाले (शिंदे समूह) को शिवसेना पार्टी के मुख्य सचेतक के रूप में नियुक्त करने का स्पीकर का फैसला अवैध था.  व्हिप को पार्टी से अलग करना ठीक नहीं है. सिर्फ विधायक तय नहीं कर सकते कि पार्टी का मुख्य सचेतक कौन होगा.  पार्टी में असंतोष के आधार पर फ्लोर टेस्ट नहीं होना चाहिए. विधायकों की असुरक्षा के आधार पर फ्लोर टेस्ट नहीं हो सकता. असली पार्टी का दावा ठीक नहीं है. स्पीकर, चुनाव आयोग के फैसले को आधार नहीं बना सकते. ऐसी शक्ति का इस्तेमाल न हो जो संविधान ने दी ही नहीं. 

महाराष्ट्र का मामला क्या है?
पिछले साल जून के महीने में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के 15 विधायकों के साथ उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत की थी. शिंदे सहित शिवसेना के 16 विधायक पहले सूरत फिर गुवाहाटी में जाकर ठहरे थे. उस समय उद्धव ने शिंदे को वापस आने और बैठकर बातचीत का प्रस्ताव दिया था, लेकिन इसे शिंदे ने स्वीकार नहीं किया और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. राज्यपाल ने शिंदे-बीजेपी गठबंधन सरकार को मान्यता देकर शपथ दिला दी थी. 

ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में एकनाथ शिंदे और उनके 15 विधायकों को अयोग्य करार देने के लिए याचिका दायर की थी. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो इसे संविधान पीठ में ट्रांसफर किया गया. पीठ में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल हैं. 

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सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 17 फरवरी को दोनों गुटों की याचिकाओं पर सुनवाई की. 21 फरवरी से कोर्ट ने लगातार 9 दिन यह केस सुना था. 16 मार्च को सभी पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था और अब इस मामले को बड़ी बेंच में भेज दिया है.  

सुप्रीम कोर्ट ने मामला बड़ी बेंच को भेजा
सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने इस मामले को बड़ी बेंच के पास भेज दिया है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि 2016 का नबाम रेबिया मामले में कहा गया था कि स्पीकर को अयोग्य ठहराने की कार्रवाई शुरू नहीं की जा सकती है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब उनके निष्कासन का प्रस्ताव लंबित है तब  मामले में एक बड़ी पीठ के संदर्भ की जरूरत है. 

कोर्ट के इस निर्णय के बाद फिलहाल एकनाथ शिंदे समेत 16 विधायकों के भविष्य पर फैसला टल गया है. अब सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच शिवसेना विधायकों की अयोग्यता के मामले पर फैसला सुनाएगी. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले को सात जजों की बड़ी बेंच के पास भेज दिया है.

 

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