महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर आज मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके गुट के विधायकों के खिलाफ अयोग्यता मामले में फैसला सुनाया है. स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि 2022 के विद्रोह के दौरान उद्धव ठाकरे के पास एकनाथ शिंदे को शिवसेना विधायक दल के नेता पद से हटाने की शक्ति नहीं थी, और निर्वाचन आयोग के फैसले के आधार पर उन्होंने पार्टी के 1999 के संविधान को "वास्तविक संविधान" माना क्योंकि यह चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में था. 1999 के संविधान के अनुसार, पार्टी प्रमुख के हाथों में सत्ता की शक्ति नहीं रही थी.
इस पूरे मामले में जो सबसे खास सवाल था कि, क्या 21 जून की एसएसएलपी बैठक से विधायकों की अनुपस्थिति अयोग्यता का कारण बनती है? इस पर स्पीकर ने कहा कि, इस आधार पर मेरा मानना है कि शिंदे गुट को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि शिंदे गुट ही असली पार्टी थी और गुट के उभरने के बाद से ही सुनील प्रभु सचेतक नहीं रहे.
स्पीकर ने शिव सेना संविधान में नेतृत्व ढांचे की बात जोर देकर कही. उन्होंने कहा कि, असली पार्टी का फैसला निर्वाचन आयोग कर चुका है. 2018 का लीडरशिप स्ट्रक्चर ही विश्वस्त है. उसमें पक्ष प्रमुख यानी पार्टी अध्यक्ष की व्याख्या की गई है. हमने भी उसे ही मान्यता दी है. वही उच्चतम पद है. राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 19 सदस्य होंगे. 14 चुने जाएंगे पांच मनोनीत होते हैं. शिवसेना विधायकों की अयोग्यता मामले में फैसला सुनाते हुए राहुल नार्वेकर ने सुप्रीम कोर्ट का भी उल्लेख करते हुए आभार जताया. स्टाफ और वकीलों का भी आभार और धन्यवाद किया.
स्पीकर ने यह भी कहा था कि 'एकनाथ शिंदे को हटाने का अधिकार उद्धव को नहीं है. बता दें कि, करीब 18 महीने पहले शिंदे समेत 39 विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी, जिसकी वजह से 57 साल पुरानी पार्टी शिवसेना में विभाजन हो गया था और महाविकास अघाड़ी सरकार गिर गई थी. इस घटना के बाद दोनों गुटों ने एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की थीं.
अपना फैसला पढ़ते हुए स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि, 'महेश जेठमलानी ने भी 2018 में कोई चुनाव न होने की बात कही. ECI के आदेश से परे मैं नहीं जा सकता. निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर जो जानकारी दी गई है उसी को मान्यता दी जा रही है. मेरे पास बहुत सीमित मुद्दा है. दसवीं अनुसूची के मुताबिक स्पीकर के रूप में अधिकारों का प्रयोग कर रहा हूं. डिप्टी स्पीकर के पास शिकायत आई. इसके बाद 21 जून 2022 को शिवसेना में दो फाड़ होने की बात सामने आई. दोनों धड़ों की व्हिप जारी हुई. सुप्रीम कोर्ट के आगे भी मामला गया. सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पीकर को ही ये बताने को कहा कि कौन से धड़े की व्हिप मान्य होगी?'
ECI के रिकॉर्ड में भी शिंदे गुट को ही असली शिवसेना का दर्जा दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए मैने निर्वाचन आयोग के निर्णय का भी ध्यान रखा है. उद्धव ठाकरे ने निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती दी थी. शिवसेना का 1999 का संविधान ही सर्वमान्य और सर्वोपरि है. संशोधन निर्वाचन आयोग के रिकॉर्ड पर नहीं है. नार्वेकर ने उद्धव ठाकरे गुट के वकील देवदत्त कामत की भी दलीलों का जिक्र किया.
शिवसेना विधायकों की अयोग्यता मामले में फैसला सुनाते हुए राहुल नार्वेकर ने सुप्रीम कोर्ट का भी उल्लेख करते हुए आभार जताया. स्टाफ और वकीलों का भी आभार और धन्यवाद किया
प्रारंभिक मुद्दों पर पहले आदेश सुनाया जा रहा है. यह पूरा आदेश पांच भाग या ग्रुप में हैं . सबसे पहले ग्रुप में सुप्रीम कोर्ट में सुभाष देसाई वाले मामले का जिक्र है. कौन सा गुट असली या मूल है जिसका व्हिप मान्य होगा. सुप्रीम कोर्ट ने भी इसका हवाला दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने जो सिद्धांत प्रतिपादित किए उसमें स्पीकर ने कोई टिप्पणी नहीं की.
विधायकों की अयोग्यता के मामले में अपना फैसला सुनता हुए महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि, 'एकनाथ शिंदे को हटाने की ताकत उद्धव ठाकरे के पास नहीं थी. शिवसेना प्रमुख के पास पार्टी के किसी भी नेता को हटाने का अधिकार नहीं है. एकनाथ शिंदे को विधायक दल के नेता पद से हटाया जाना स्वीकार नहीं किया जा सकता.'
महाराष्ट्र विधानसभा में स्पीकर राहुल नार्वेकर अयोग्यता मामले में फैसला सुना रहे हैं. उन्होंने कहा कि, 1999 के संविधान को ध्यान में रखना होगा क्योंकि 2018 का संविधान ईसीआई से पहले नहीं था. स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष बताए गए कई हलफनामों पर विचार किया है और पार्टियों द्वारा दिए गए तर्कों पर भरोसा किया है. ईसीआई से पहले संविधान पर विचार करना होगा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था और इसलिए इसकी मांग की गई थी.
विधायकों की अयोग्यता के मामले में महाराष्ट्र के सीएम शिंदे ने कहा कि इस मामले में शाम चार बजे आधिकारिक बयान दूंगा. उन्होंने कहा कि मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहता हूं कि हमारे पास बहुमत है. विधानसभा में 50 सदस्य यानी 67% और लोकसभा में 13 सांसद यानी 75% है. इसी आधार पर, चुनाव आयोग ने हमें मूल शिवसेना के रूप में मान्यता दी है और धनुष-बाण चुनाव चिन्ह आवंटित किया है. हमें उम्मीद है कि स्पीकर हमें योग्यता के आधार पर पारित करेंगे."
विधायकों की अयोग्यता मामले में फैसले से पहले आदित्य ठाकरे ने स्पीकर पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने पूछा कि आप किस संविधान का पालन करते हैं. नार्वेकर का मुख्यमंत्री से वर्षा बंगले पर मिलना वैसा ही है जैसे कोई न्यायाधीश अभियुक्त से मिलता है. महाराष्ट्र में ऐसा कभी नहीं हुआ. आज एक महत्वपूर्ण दिन है. देश के संविधान के मुताबिक अगर जाएंगे तो 40 गद्दारों को बाहर किया जाएगा. ये परिणाम पार्टी के लिए नहीं बल्कि देश के लिए महत्वपूर्ण है. नार्वेकर को अपने पद को बदनाम नहीं करना चाहिए बल्कि संविधान का पालन करना चाहिए.
(इनपुट- दीपक सूर्यवंशी)
शिवसेना के बागी विधायकों की अयोग्यता के स्पीकर के फैसले से पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न हमारे पास हैं. ये हमें इसलिए मिले क्योंकि हमारे पास बहुमत था. इसके साथ ही शिंदे ने फिक्सिंग के आरोपों पर कहा, "कुछ लोग मैच फिक्सिंग का आरोप लगा रहे हैं. उनके विधायक भी स्पीकर से मिले. स्पीकर विधानसभा क्षेत्र के काम से मिलने आए थे. यह एक आधिकारिक मुलाकात थी."
सीएम ने कहा कि वो जो कहते हैं, उसमें कोई तथ्य नहीं है. अगर फैसला उनके पक्ष में आता है तो वे खुश होंगे.
(इनपुट- मुस्तफा)
स्पीकर के फैसले से पहले शिंदे गुट के मंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि हमारा पक्ष सही है, हमने सही ढंग से रखा है. जो भी हियरिंग हुई इस पर आज फैसला आएगा. अगर पक्ष में फैसला आया ठीक, नहीं तो हम अपील करेंगे. हमने हर बार सही तरह से पक्ष रखा.
वहीं संजय राउत और उद्घव ठाकरे को लेकर कहा कि उनके पास बोलने के लिए और कुछ नहीं है. अध्यक्ष किसी से भी मिल सकते है. विधि मंडल के प्रमुख मुख्यमंत्री है उसके पास कई काम होते हैं. संजय राउत की बात पर बहुत ध्यान देने की जरूरत नहीं है.
(इनपुट- मुस्तफा)
महाराष्ट्र की राजनीति में आज बड़ा दिन है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत 40 विधायकों को दलबदल विरोधी कानूनों के तहत अयोग्य घोषित करने के मामले में स्पीकर राहुल नार्वेकर अपना फैसला सुनाएंगे. ऐसे में यह सवाल तेजी से चलने लगा है कि अगर स्पीकर ने शिंदे और उनके विधायकों को अयोग्य घोषित किया तो महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री की कुर्सी कौन संभाल सकता है. यह चर्चाएं इसलिए भी मायने रखती हैं, क्योंकि बीजेपी ने साफ कहा है कि सरकार पर कोई संकट नहीं है.
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इससे पहले शिवसेना उद्धव गुट की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि फैसला सुनाने से तीन दिन पहले विधानसभा स्पीकर और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच मीटिंग हुई है. उद्धव गुट ने कहा कि फैसले से पहले स्पीकर का सीएम से मिलना अनुचित है. स्पीकर को निष्पक्ष तरीके से कार्य करना आवश्यक है. हालांकि स्पीकर का वर्तमान कार्य निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी निष्पक्षता पर सवाल उठाता है. हालांकि स्पीकर ने इन आरोपों का खंडन कर दिया था. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री होने के नाते उनसे कुछ कार्यों को लेकर चर्चा करनी थी.
संजय राउत ने कहा कि हमारा कहना है कि इस राज्य के मुख्यमंत्री गैरकानूनी तरीके से सत्ता में बैठे हैं. वे हमारे हिसाब से एक अपराधी हैं. आज फैसला है और देश के प्रधानमंत्री 12 जनवरी को महाराष्ट्र आ रहे हैं इसका मतलब क्या है? अगर आपको पता है कि आज फैसला आने वाला है, संविधान कहता है कि ये सरकार गैरकानूनी है. संविधान के हिसाब से फैसला हो तो सरकार गैरकानूनी हो सकती है और सरकार बर्खास्त हो सकती है फिर भी पीएम यहां आ रहे हैं इसका मतलब पीएम को फैसले के बारे में जानकारी है.
शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कहा है कि विधानसभा स्पीकर का एक प्रोटोकॉल होता है. अगर विधानसभा स्पीकर एक पीठासीन पद पर बैठे हैं तो अपनी कुर्सी छोड़कर, जो आरोपी हैं जिनपर हमने याचिका दायर की है, उनसे जाकर मुलाकात नहीं कर सकते. राउत ने आरोप लगाया कि दिल्ली से लेकर यहां तक इस मामले में मैच फिक्सिंग हो रही है.
शिवसेना विधायकों की अयोग्यता से पहले कांग्रेस के सीनियर नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि स्पीकर को इस मामले पर कुछ सप्ताह पहले ही निर्णय ले लेना चाहिए था, लेकिन राजनीतिक विचार-विमर्श के कारण निर्णय में देरी हुई. भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस अवसर का उपयोग महाराष्ट्र में नेतृत्व परिवर्तन को प्रभावित करने के लिए करेगा. यह भाजपा के लिए तय करने का समय है कि उनके लोकसभा अभियान का नेतृत्व कौन करेगा. कानूनी स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के 16 विधायकों द्वारा संविधान की 10वीं अनुसूची का उल्लंघन किया गया है और उन्हें अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए.
महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिवसेना विधायकों की अयोग्यता मामले में अपने फैसले से पहले कहा कि फैसला निर्णायक होगा. उन्होंने कहा, "10th शेड्यूल को परिभाषित करने वाला फैसला होगा."
विधानसभा अध्यक्ष ने उद्धव ठाकरे पर भी पलटवार किया है. ठाकरे की ओर से लगाए गए आरोपों पर नार्वेकर ने कहा कि उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद पर रह चुके हैं लिहाजा उन्हें मालूम होना चाहिए कि विधानसभा अध्यक्ष का दायित्व क्या होता है, बोर्ड के कई अहम विषयों पर मुख्यमंत्री से चर्चा करनी पड़ती है. उसके बावजूद उद्धव ठाकरे इस तरह के बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं.
2019 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने बीजेपी गठबंधन के साथ चुनाव लड़ा था और 56 सीटें जीती थी. जून 2022 में जब शिंदे गुट ने शिवसेना और उद्धव ठाकरे से बगावत की, तब उन्हें 16 विधायकों का समर्थन था. यानी बगावत करने वाले सदस्यों की संख्या दो तिहाई नहीं थी. ऐसे में उन पर अयोग्यता की तलवार लटकी थी. अविभाजित शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में सुनील प्रभु ने शिंदे और अन्य 15 विधायकों के खिलाफ विधानसभा सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने का नोटिस दिया था. शिंदे गुट के बागी विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. इस बीच, शिंदे गुट के विधायकों की संख्या 40 हो गई. यानी पहले जब बागी विधायकों को नोटिस दिया गया, तब उनकी संख्या सिर्फ 16 थी. उसके बाद 14 और विधायकों के साथ आने से कुल बागी विधायकों की संख्या 40 हो गई है. चुनाव आयोग ने भी शिंदे गुट को असली शिवसेना मानते ही चुनाव चिह्न 'धनुष वान' देने का फैसला किया था.
महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता के मामले में विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर आज अपना फैसला सुनाएंगे. उन्होंने शिवसेना के दोनों गुटों के विधायकों की सुनवाई पूरी कर ली है. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 31 दिसंबर, 2023 तक फैसला सुनाने की डेडलाइन दी थी, लेकिन बाद में उन्हें 10 दिन की और मोहलत दी गई. ऐसे में फैसला सुनाने की समयसीमा का आज आखिरी दिन है.