
मुंबई का शिवाजी पार्क का शिवसेना से काफी पुराना और गहरा रिश्ता है. बालसाहब ठाकरे अपनी सियासी पारी का आगाज करने और शिवसेना की स्थापना से लेकर विपक्षी पार्टियों के खिलाफ इसी शिवाजी पार्क से दहाड़ा करते थे. यही वजह है कि बालसाहब ठाकरे के सियासी वारिस उद्धव ठाकरे ने अपनी ताजपोशी के लिए शिवाजी पार्क को ही चुना है. उद्धव ठाकरे का शपथ ग्रहण समारोह शिवाजी पार्क में आयोजित किया जाएगा.
शिवसेना के इतिहास में शिवाजी पार्क का काफी महत्व है. क्योंकि पार्टी के संस्थापक बाल ठाकरे ने 1966 में अपनी पहली रैली इसी मैदान में की थी. इसी के बाद से बालसाहब ठाकरे ने इस सिलसिले को जारी रखा. बाला साहब ठाकरे इसी मैदान से हर चुनावी अभियान की शुरुआत करते थे. हर साल विजयदशमी के दिन बालासाहेब ठाकरे इसी शिवाजी पार्क में एक बड़ी रैली करते थे और विपक्षी पार्टियों के खिलाफ दहाड़ा करते थे.
महाराष्ट्र की सियासत में शिवसेना की पहली बार सरकार बीजेपी के समर्थन के साथ 1995 में बनी थी. बाल ठाकरे का दौर था. मनोहर जोशी मुख्यमंत्री बने थे और उनकी ताजपोशी के लिए इसी शिवाजी पार्क को ही चुना गया था. बालासाहेब ठाकरे का निधन 17 नवंबर 2012 को निधन के हुआ था, इसी पार्क में उन्हें मुखाग्नि दी गई थी. बाल ठाकरे के बाद उनकी राजनीतिक विरासत संभाल रहे उद्धव ठाकरे ने शिवाजी पार्क से अपना नाता जोड़े रखा. इसीलिए बाल ठाकरे का स्मारक शिवाजी पार्क में बनाने के लिए शिवसेना ने अपनी हर ताकत लगा दी थी. सरकार ने स्मारक के लिए धन भी आवंटित कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी.
दरअसल छत्रपति शिवाजी महाराज महाराष्ट्र के इतिहास का सबसे बड़े किरदारों में से एक हैं. 16वीं शताब्दी में मराठा साम्राज्य की नींव रखने वाले शिवाजी को महाराष्ट्र में भगवान की तरह पूजा जाता है.1960 में महाराष्ट्र राज्य बनने के बाद यहां की चुनावी राजनीति में छत्रपति शिवाजी का उल्लेख हमेशा आता रहा है. यही वजह है कि बाला साहेब ठाकरे ने शिवसेना की स्थापना के अपना आदर्श शिवाजी को बनाया था.
मुगल सल्तनत के खिलाफ युद्ध करने वाले सेनानी जैसी शिवाजी की 'हिंदुत्व वाली' छवि हमेशा शिवसेना और बीजेपी जैसे राजनैतिक दलों को अच्छी लगी है. वहीं 'मराठा' राजा की छवि कांग्रेस-एनसीपी जैसे दलों को राज्य की मराठा समुदाय को अपनी ओर खींचने के लिए मददगार साबित हुई है.
छत्रपति शिवाजी के जुड़े मुद्दों पर महाराष्ट्र में सरकारें बनी हैं और गिरी हैं. इसीलिए छत्रपति शिवाजी महाराज को शिवसेना ने अपनी राजनीति की केंद्र हमेशा रखा है. बाल ठाकरे के बाद उद्धव ठाकरे ने शिवाजी के साथ अपने रिश्ते को मजबूती से जोड़े रखा है. इसीलिए उद्धव ठाकरे ने अपने शपथ ग्रहण समारोह को शिवाजी पार्क में करने का फैसला किया है.