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'बर्खास्तगी की जरूरत नहीं, 2 महीने पहले दे चुका हूं शिंदे सरकार से इस्तीफा', छगन भुजबल ने फोड़ा 'सियासी बम'

छगन भुजबल ने शनिवार को खुलासा किया कि उन्होंने दो महीने पहले ही शिंदे सरकार से इस्तीफा दे दिया है. छगन ने कहा कि मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम ने उनसे इस बारे में चुप रहने के लिए कहा था, लेकिन जब लोग मुझे बर्खास्त करने की बात कर रहे हैं तो मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि मैंने नवंबर में ही इस्तीफा दे दिया था.

शिंदे सरकार से इस्तीफा दे चुके हैं छगन भुजबल शिंदे सरकार से इस्तीफा दे चुके हैं छगन भुजबल
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 04 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 9:29 AM IST

महाराष्ट्र सरकार में अजित पवार गुट के मंत्री छगन भुजबल ने खुलासा किया कि उन्होंने बीते साल नवंबर में ही मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. छगन ने राज्य सरकार पर ओबीसी कोटा में मराठा समुदाय को पीछे वाले दरवाजे से प्रवेश की सुविधा देने का आरोप लगाया है.  

अहमदनगर में शनिवार को एक रैली को संबोधित करते हुए एनसीपी नेता भुजबल ने कहा, वह मराठों को आरक्षण मिलने के विरोध में नहीं हैं, लेकिन मौजूदा ओबीसी कोटा शेयर करने के खिलाफ हैं. उन्होंने कहा, "विपक्ष के कई नेता, यहां तक कि मेरी सरकार के नेता भी कहते हैं कि मुझे इस्तीफा दे देना चाहिए. किसी ने कहा कि भुजबल को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाना चाहिए." 

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छगन भुजबल ने कहा, "मैं विपक्ष, सरकार और अपनी पार्टी के नेताओं को बताना चाहता हूं कि 17 नवंबर को अंबाद में आयोजित ओबीसी एल्गर रैली से पहले मैंने 16 नवंबर को ही कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया और उसके बाद कार्यक्रम में शामिल होने गया." 

भुजबल ने आगे कहा कि वह दो महीने से ज्यादा चुप रहे क्योंकि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने उन्हें इस बारे में बोलने से मना किया था. ओबीसी नेता ने कहा, "बर्खास्तगी की कोई जरूरत नहीं है, मैंने अपना इस्तीफा दे दिया है. मैं आखिर तक ओबीसी के लिए लड़ूंगा." 

ओबीसी कोटे से मराठा आरक्षण देने के खिलाफ हैं छगन

दरअसल मराठा आरक्षण की मांग पूरी करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ओबीसी कोटे में से ही मराठाओं को आरक्षण देना चाहती है. इसको लेकर छगन भुजबल लगातार विरोध कर रहे हैं. जिसके बाद सरकार में शामिल नेताओं ने ही उनके इस्तीफे की मांग की थी. इसी को लेकर छगन भुजबल ने ये बयान दिया है.  

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भुजबल ने सरकार पर मराठा आरक्षण नेता मनोज जारांगे की मांगों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया था. एकनाथ शिंदे के एक विधायक ने कहा था कि समाज में दरार पैदा करने की कोशिश के लिए भुजबल को बर्खास्त किया जाना चाहिए.  

हम मराठा समुदाय का विरोध नहीं करते: भुजबल

भुजबल ने कहा, "हम मराठा समुदाय को आरक्षण का विरोध नहीं करते हैं, बल्कि उन्हें अलग से आरक्षण देना चाहिए. इसे हमारे (ओबीसी) कोटे के तहत न दें, लेकिन वे (मनोज जारांगे) कहते हैं कि इसे ओबीसी कोटे से दें." 

उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा एक सर्वेक्षण के माध्यम से मराठा समुदाय के पिछड़ेपन को निर्धारित करने के लिए डेटा एकत्र करने की प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण थी. 

उन्होंने कहा कि राज्य की आबादी में ओबीसी 54-60 फीसदी, एससी/एसटी 20 फीसदी और ब्राह्मण 3 फीसदी हैं, फिर भी सभी विधायक और सांसद मराठा वोट खोने से डरते हैं." भुजबल ने दावा किया कि ओबीसी विधायक रैलियों में भाग लेना तो दूर, फंडिंग में भी मदद नहीं करते हैं.

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