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इस गांव में जहर बन रहा पानी, किडनी फेल्योर से जा रही लोगों की जान

महाराष्ट्र में अकोला जिले के बालापुर, तेल्हारा और अकोट तहसील के सलाइन बेल्ट में हालात बेहद गंभीर हैं. यहां 60 से अधिक गांवों में लोगों को खारा पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है, जिससे सैकड़ों लोग किडनी फेल्योर और अन्य गंभीर बीमारियों का शिकार हो गए हैं.

इस गांव में जहर बन रहा पानी, किडनी फेल्योर से जा रही लोगों की जान इस गांव में जहर बन रहा पानी, किडनी फेल्योर से जा रही लोगों की जान
धनंजय साबले
  • अकोला,
  • 01 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 12:56 PM IST

आजादी के 75 साल बाद भी महाराष्ट्र जैसे विकसित राज्य में हजारों लोगों को पीने योग्य पानी के लिए तरसना पड़ रहा है. यहां अकोला जिले के बालापुर, तेल्हारा और अकोट तहसील के सलाइन बेल्ट में हालात बेहद गंभीर हैं. यहां 60 से अधिक गांवों में लोगों को खारा पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है, जिससे सैकड़ों लोग किडनी फेल्योर और अन्य गंभीर बीमारियों का शिकार हो गए हैं.

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अकोला जिले के बालापुर तालुका के सावरपाटी गांव में लोग सालों से खारे पानी के चलते गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं. गांव के लोग नल और बोरवेल का पानी पीने को मजबूर हैं, जो पूरी तरह से क्षारयुक्त है. नतीजा ये हुआ है कि कई लोगों की किडनी खराब हो चुकी है. गांव के प्रशांत काले की किडनी फेल हो गई. इलाज में 12 लाख रुपये खर्च हुए, जिसमे उन्हें अपनी खेती भी बेचनी पड़ी है लेकिन हालत नहीं सुधरी.

इसी गांव के मयूर विरोकर को भी इस खारे पानी का लगातार सेवन करने से किडनी स्टोन जैसे बीमारी हो गई.  उनका इलाज चल रहा है. सिर्फ सावरपाटी ही नहीं, बालापुर तहसील के निमकर्दा टाकली गांव में भी खारे पानी का कहर जारी है. शोभा साबले ने एक साल के भीतर अपने बेटे प्रकाश के साथ पति गजानन को किडनी फेल्योर के कारण खो दिया. शोभा साबले ने बताया- गांव का पानी खारा है, जिससे मेरे बेटे और पति दोनों की किडनी खराब हो गई. इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. पीने के लिए मीठा पानी तक नहीं मिलता.

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सावरपाटी के सभी गांववालों का कहना है कि प्रशासन सालों से सिर्फ आश्वासन दे रहा है, लेकिन हालात जस के तस हैं. मीठे पानी के लिए लोग 15-20 किलोमीटर दूर जाकर पानी लाते हैं या फिर महंगे दामों पर खरीदने को मजबूर हैं.

स्थानीय निवासी पुरुषोत्तम घोगरे ने बताया 'पानी इतना खारा है कि पीते ही मुंह सूख जाता है. गांव के लोग बीमार हो रहे हैं, लेकिन प्रशासन कुछ नहीं कर रहा.'इस मामले को लेकर स्थानीय पत्रकार देवानंद पाटिल ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि 'हर सरकार वादा करती है, लेकिन सत्ता में आते ही इस समस्या को भूल जाती है. गांववालों की हालत बद से बदतर होती जा रही है.'
 
 बालापुर पंचायत समिति के अतिरिक्त ब्लॉक विकास अधिकारी विनोद काले ने इस मामले में गांवों में मेडिकल जांच कराने का आश्वासन दिया. इस दौरान  गांव वालों ने उन्हें गांव का पानी पिलाया जो बेहद खारा था उन्होंने इसे मुंह में लेते ही बाहर थूक दिया.

उन्होंने कहा कि जल्द ही गांवों में मेडिकल कैंप लगाकर किडनी रोगियों की जांच की जाएगी. पानी की गुणवत्ता भी टेस्ट कराई जाएगी.  वहीं, बालापुर विधानसभा क्षेत्र के शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) विधायक नितिन देशमुख ने आरोप लगाया कि सत्ता बदलने के कारण जलापूर्ति योजना को रोक दिया गया, जिससे यह समस्या और बढ़ गई. अब ये काम दोबारा इसे शुरू कर दिया गया है, अगले 4-5 महीने में लोगों को मीठा पानी मिलेगा. 

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