
महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार और महा विकास अघाड़ी (एमवीए) में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. एक ओर जहां विज्ञापन और सीटों के बंटवारे को लेकर बीजेपी और शिंदे गुट की शिवसेना के बीच लगातार तकरार हो रही है तो वहीं दूसरी ओर एमवीए में भी लोकसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे पर फैसला नहीं हो पा रहा है. अभी तक दोनों की गठबंधनों में से कोई भी सीटों के बंटवारे को फॉर्मूला नहीं ला पाया है. आइए जानते हैं दोनों गठबंधनों में अभी क्या हालात हैं? सीटों को लेकर क्या विवाद है?
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पिछले दिनों शिंदे गुट ने एक विज्ञापन जारी किया था, जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम एकनाथ शिंदे तो थे लेकिन डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस नहीं थे. इसमें एक सर्वे के जरिए यह भी दावा किया गया कि सीएम के रूप में शिंदे फडणवीस की तुलना में ज्यादा लोगों को पसंद हैं. हालांकि विवाद बढ़ने के एक दिन बाद एक नया विज्ञापन जारी किया गया, जिसमें शिंदे और फडणवीस को एकसाथ दिखाया गया, लेकिन मामला शांत नहीं हुआ. इसके बाद बयानबाजी शुरू हो गई. बीजेपी सांसद अनिल बोंडे ने बुधवार को सीएम शिंदे पर निशाना साधते हुए कह दिया कि मेंढक कितना भी फूल जाए लेकिन हाथी नहीं बन सकता. इस पर शिंदे के विधायक संजय गायकवाड़ ने पलटवार किया कि बीजेपी के पूर्व के मंत्रियों को उनकी पार्टी के “50 टाइगर्स” की वजह से ही कैबिनेट में जगह मिल सकी है.
वहीं लोकसभा चुनाव से पहले सीटों को लेकर दोनों दल आमने-सामने आ गए हैं. दरअसल पिछले दिनों बीजेपी विधायक संजय केलकर ठाणे, कल्याण- डोंबिवली और पालघर जिले की सीटों पर पार्टी द्वारा लोकसभा चुनाव लड़ने का दावा ठोंक दिया. इतना ही नहीं उन्होंने सीएम के बेटे और कल्याण से सांसद श्रीकांत शिंदे पर तंज कसते हुए कहा, 'हमारे जिले के कई लोग, हमारे सहयोगी भी, 2014 से बीजेपी की लहर की वजह से जीतते हैं. केलकर ने यह बयान ठाणे में आयोजित बीजेपी के एक कॉन्क्लेव में दिया, जहां पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री भी मौजूद थे. उनका यह बयान तब सामने आया था जब शिंदे की शिवसेना की ओर से कहा गया कि कल्याण और ठाणे लोकसभा सीटों से लोकसभा का चुनाव वही लड़ेगी. इन इलाकों में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का वर्चस्व है.
महाराष्ट्र में बीजेपी ने 8 जून को राज्य की 48 लोकसभा सीटों के लिए 'चुनाव प्रमुखों' की घोषणा की. इस दौरान महाराष्ट्र के बीजेपी चीफ चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि हम 48 में से 45 लोकसभा सीटें जीतेंगे. इसके बाद उन्होंने कहा कि जिन सीटों पर शिवसेना के उम्मीदवार उतरेंगे बीजेपी के चुनाव प्रमुख उनकी जीत के लिए काम करेंगे. यानी कहा जा सकता है कि बीजेपी शिंदे को बहुत ज्यादा सीटें देने के मूड में नहीं है, वह खुद ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है.
गत महीने पहले शिंदे ने लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी की रणनीति तय करने के लिए सांसदों के साथ बैठक की थी. इसमें फैसला किया गया कि 48 में से उन 22 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जिन पर अविभाजित शिवसेना ने 2019 के आम चुनावों में चुनाव लड़ा था.
हालांकि सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने इस फॉर्मूले को खारिज कर दिया था. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त कहा था, 'बीजेपी और शिवसेना (शिंदे) के बीच सीटों का बंटवारा ग्राउंड रियलिटी पर आधारित होगा. 22 सीटों पर अकेले शिंदे की शिवसेना का दावा करना व्यावहारिक नहीं है.
महाराष्ट्र में 48 लोकसभा सीटें हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 25 तो शिवसेना ने 23 सीटों पर पर उम्मीदवार उतारे थे. इस चुनाव में बीजेपी ने 23 तो शिवसेना ने 18 सीटों पर जीत दर्ज कराई थी. हालांकि शिवसेना में दो फाड़ होने के बाद शिंदे के पास अब 13 सांसद ही हैं.
महाविकास अघाड़ी यानी कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना (यूबीटी) ने अगले साल होने वाला लोकसभा चुनाव एक साथ लड़ने का फैसला किया है. हालांकि तीनों के बीच अभी तक सीटों के बंटवारे को लेकर कोई फॉर्मूला नहीं निकल पा रहा है.
- शिवसेना (यूबीटी) 19 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है. दरअसल पिछले दिनों संजय राउत ने कहा था कि महाराष्ट्र से 18 और दादरा-नगर हवेली सहित 19 लोकसभा सीटें हम फिर से जीतेंगे.
यानी उद्धव उन 19 सीटों पर फिर से चुनाव लड़ना चाहती है, जो उसने 2019 के लोकसभा चुनाव में जीती थीं. वह तब 23 सीटों पर चुनाव लड़े थे.
हालांकि सत्ता गंवाने के बाद और उनके 13 सांसदों के पाला बदलने के बाद उद्धव ठाकरे पहले से काफी कमजोर हुए हैं, ऐसे में मनमुताबिक सीटों पर चुनाव लड़ना उनके लिए इतना आसान नहीं होगा.
- कांग्रेस ने पिछले दिनों 41 लोकसभा सीटों की समीक्षा की थी. हालांकि बाद में सामने आया कि पार्टी 29 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पार्टी का मानना है कि इन सीटों पर उसके पास मजबूत उम्मीदवार हैं. इसके अलावा पार्टी विदर्भ की 10 में से 8 सीटों पर दावा करना चाहती है.
चर्चा है कि एमवीए में केवल कांग्रेस ही है, जिसकी विदर्भ में मजबूत पकड़ है. हालांकि अभी तक पार्टी ने फाइनल फैसला नहीं लिया है. वैसे पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 25 सीटों पर किस्मत आजमाई थी लेकिन वह केवल एक सीट पर ही कब्जा कर पाई थी.
- एनसीपी ने भी लोकसभा सीटों की समीक्षा शुरू कर दी है. हालांकि अभी तक यह सामने नहीं आ पाया है कि एनसीपी कितनी सीटों पर दावा करना चाहती है. वैसे पिछले दिनों एनसीपी नेता अजित पवार ने कहा था कि एमवीए के सहयोगियों को 48 में से उन 25 सीटों पर सीटों के बंटवारे पर चर्चा करना चाहिए, जिन पर अभी बीजेपी या अन्य दलों का कब्जा है.
चर्चा यह है कि एनसीपी रामटेक, गढ़चिरौली और अमरावती सीटों पर दावा कर सकती है. महाराष्ट्र एनसीपी अध्यक्ष जयंत पाटिल ने पिछले दिनों कहा था, “आम राय यह है कि एनसीपी को रामटेक और गढ़चिरौली सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए, जबकि अमरावती उसकी अपनी सीट है.
एनसीपी ने पिछली बार 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन वह केवल 4 सीटें की जीत पाई थी. ऐसे में उम्मीद है कि वह इस बार कम से कम 19 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर सकती है.