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महाराष्ट्र के सांगली जिले से अक्सर जलसंकट की खबरे आती रहती हैं. सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां की खेती-किसानी भी प्रभावित रही है. इस तस्वीर को यहां के एक किसान ने बदलने की ठानी है. किसान काका साहेब सावंत हिमाचल के सेबों की खेती को सांगली में कर दिखाया है.
आकालग्रस्त क्षेत्र में लगा दिए सेब के पेड़
काका साहेब सावंत खेती में कई नए-नए प्रयोग करते रहते हैं. उन्होंने अपने बाग में जब सेब के पेड़ लगाएं तो लोग उनका मजाक उड़ाते थे. अब जब इस बंजर जमीन पर सेब के फल लहलहाने लगे हैं तो लोग उनकी सराहना कर रहे हैं. बता दें कि पूरे जत तहसील में भीषण जल संकट है. ऐसे में ड्रिप इरिगेशन तकनीक का सही तरीके से उपयोग कर अपने बाग में लगे सेब के पेड़ों से उन्होंने अच्छा मुनाफा कमाने जा रहे हैं.
सेब की खेती शुरू करने से पहले किया रिसर्च
सेब की खेती करने से पहले काका साहेब सावंत ने रिसर्च किया है. इसके लिए उन्होंने गूगल का सहारा लिया है. इस दौरान उन्होंने पाया कि सेब की फसल को कम पानी में भी लगाया जा सकता है. इसके बाद उन्होंने जोखिम उठाने का फैसला किया. सबसे पहले वह हिमाचल गए. वहां से हरमन 99 प्रजाति के 150 सेब के पौधे लेकर आए. फिर फसल के लिए जमीन तैयार की. पौधों की रोपाई की. इनमें से 25 पौधे खराब हो गए.
3.50 लाख रुपये तक होगी कमाई
काका साहेब सावंत कहते हैं कि सेब के पेड़ों से उन्हें इतना अच्छा मुनाफा मिल जाएगा ये पता नहीं था. एक-एक पेड पर 30 , 40 सेब लगते. ये हिमाचल , कश्मीर से आने वाले सेबों जैसे ही हैं. कलर , टेस्ट ,आकार सब वैसा ही है. एक-एक फल का वजन 150 से 200 ग्राम है. आज की सेब की मार्केट रेट 200 से लेकर 250 तक है. इस हिसाब से काका साहेब सावंत को सेब की खेती से आसानी से 3 से 3.50 लाख रुपये तक कमा सकते हैं. इसके पेड़ों से 20 से 25 सालों तक लगातार उपज हासिल होगी.
(सांगली से स्वाति चिखलकर की रिपोर्ट)