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मालेगांव ब्लास्ट केस: प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ वारंट जारी, कोर्ट ने 13 नवंबर तक पेश होने को कहा

मुंबई से लगभग 200 किमी दूर उत्तरी महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में 29 सितंबर, 2008 को एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में रखे बम में विस्फोट होने से 6 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक घायल हुए थे. इस मामले की शुरुआती जांच महाराष्ट्र एटीएस द्वारा की गई थी, 2011 में यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी के पास ट्रांसफर कर दिया गया.

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर. (PTI Photo) साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर. (PTI Photo)
aajtak.in
  • मुंबई,
  • 06 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 5:26 AM IST

मुंबई के स्पेशल एनआईए कोर्ट ने मंगलवार को 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी भाजपा नेता प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ कार्यवाही में शामिल नहीं होने पर जमानती वारंट जारी किया. विशेष न्यायाधीश एके लाहोटी ने कहा कि मामले में अंतिम बहस चल रही है और आरोपी की उपस्थिति आवश्यक है. उन्होंने प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ 10,000 रुपये का जमानती वारंट जारी किया. 

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वारंट 13 नवंबर तक वापस किया जा सकता है, जिसका मतलब है कि ठाकुर को तब तक अदालत में पेश होना होगा और इसे रद्द कराना होगा. भाजपा नेता के वकील ने विशेष एनआईए अदालत से उन्हें उपस्थित रहने के लिए उचित समय देने का अनुरोध करते हुए उनकी स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला दिया. लेकिन अदालत ने कहा कि आरोपी प्रज्ञा ठाकुर 4 जून से ही अदालत की कार्यवाही में शामिल नहीं हुई हैं.

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विशेष न्यायाधीश ने कहा, बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने के आधार पर छूट के उनके पिछले आवेदनों पर समय-समय पर विचार किया गया है. अदालत ने पेशी के लिए समय की मांग वाली उनकी याचिका खारिज करते हुए कहा, 'आज, मेडिकल सर्टिफिकेट की फोटो कॉपी के साथ आवेदन दायर किया गया, जिसमें दिखाया गया कि वह आयुर्वेदिक उपचार ले रही हैं, लेकिन मूल प्रमाणपत्र संलग्न नहीं है.'

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मुंबई से लगभग 200 किमी दूर उत्तरी महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में 29 सितंबर, 2008 को एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में रखे बम में विस्फोट होने से 6 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक घायल हुए थे. प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और पांच अन्य पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत विस्फोट की साजिश में कथित संलिप्तता के लिए मुकदमा चल रहा है. इस मामले की शुरुआती जांच महाराष्ट्र एटीएस द्वारा की गई थी, 2011 में यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी के पास ट्रांसफर कर दिया गया.

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