Advertisement

पति-बच्चों ने ले लिया संन्यास, मां-पत्नी पहुंचीं हाई कोर्ट, प्रॉपर्टी ट्रांसफर की मांग पर मिला ये जवाब

मुंबई में एक शख्स ने अपनी पत्नी और मां को छोड़कर संन्यास ले लिया. उस व्यक्ति की बेटी और बेटा पहले ही संन्यासी बन चुके हैं. ऐसे में उसकी मां और पत्नी कोर्ट के पास पहुंची और उन्होंने मांग की कि संन्यासी बन चुके शख्स के RBI बॉन्ड को उनके नाम पर ट्रांसफर कर दिया जाना चाहिए.

Sanyasi Photo: Meta AI Sanyasi Photo: Meta AI
विद्या
  • मुंबई,
  • 28 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 11:45 AM IST

महाराष्ट्र के मुंबई में एक ऐसा केस सामने आया है, जिसमें बच्चों और पति के संन्यास लेने के बाद पत्नी और मां को RBI बॉन्ड (प्रॉपर्टी) ट्रांसफर कराने के लिए भटकना पड़ रहा है.

इस केस में मां और पत्नी का तर्क है कि जब उनके पति/बेटे ने सांसारिक जीवन से संन्यास ले लिया है और परिवार से विरक्त हो गए हैं तो उनके RBI बॉन्ड को परिवार के नाम पर ट्रांसफर कर दिया जाना चाहिए.

Advertisement

अपनी याचिका लेकर सास और बहु ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन वहां से उन्हें निराशा हाथ लगी और कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया.

संन्यास लेने वाले शख्स का नाम मनोज झवेरचंद देधिया है. जबकि, हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाली महिलाओं का नाम निर्मला झवेरचंद देधिया (77) और छाया मनोज देधिया (48) है. 

'संसार त्यागना मृत्यु के समान'

मनोज की मां औ पत्नी ने अपनी याचिका में कहा,'संसार को त्यागना किसी व्यक्ति की मृत्यु के समान है. इसलिए उन्हें मनोज की आर्थिक संपत्ति का उत्तराधिकार दिया जाना चाहिए.'

दोनों बच्चे पहले ही बने संन्यासी

कोर्ट को बताया गया कि मनोज के साथ-साथ उनके दोनों बच्चे भी संन्यास ले चुके हैं. मनोज की बेटी दृष्टि ने 22 जनवरी 2018 को संन्यास ले लिया था और दुनिया को त्यागकर जैन साध्वी बन गई थी. संन्यास के बाद उन्होंने नया नाम 'परमपूज्य साध्वी श्री दिव्यनिधिश्रीजी महाराज साहेब' रख लिया.

Advertisement

बेटे के 1 साल बाद लिया संन्यास

मनोज के बेटे पार्थ ने 30 जनवरी 2019 को संन्यास ले लिया था और नया नाम 'परमपूज्य मुनि श्री प्रगटभूषणविजयजी महाराज साहेब' रख लिया था. इसके बाद 20 नवंबर 2022 को मनोज ने भी संन्यास ले लिया और साधु बन गए. 

संन्यास से पहले की थी पूछताछ

याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश वकील हितेश सोलंकी ने कहा,'नवंबर 2022 में संन्यास लेने से पहले मनोज ने एचडीएफसी बैंक से बॉन्ड ट्रांसफर करने के बारे में पूछताछ की थी. हालांकि, बैंक ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि बैंकिंग नियमों के तहत संन्यास को मौत के समान नहीं माना जाता.'

बैंक के वकील ने दिया ये तर्क

एचडीएफसी बैंक की तरफ से वकील ईश्वर नानकानी ने पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि बैंक रिट क्षेत्राधिकार के अधीन नहीं आता है, क्योंकि यह एक कमर्शियल यूनिट है और इस मामले में विवादित तथ्य शामिल हैं, जिनके लिए सिविल कोर्ट में निर्णय होने की जरूरत है. बैंक की तरफ से यह भी कहा गया कि RBI के बांड सिर्फ 2026 में परिपक्व होंगे. इन्हें सिर्फ प्राकृतिक मौत के मामले में ही ट्रांसफर किया जा सकता है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement