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8 साल के बच्चे के साथ किया था कुकर्म, मुंबई की कोर्ट ने दोषी को सुनाई 20 साल की सजा

मुंबई की कोर्ट (Mumbai court) ने 26 साल के युवक को 8 साल के बच्चे के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में दोषी ठहराया है. कोर्ट ने युवक को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई. कोर्ट ने कहा कि इस घटना से पीड़ित को गहरा आघात लगा है, जिसका असर लंबे समय तक रहेगा. इससे वह भविष्य में सामान्य नहीं रह पाएगा.

कोर्ट ने सुनाई सजा. (Representational image) कोर्ट ने सुनाई सजा. (Representational image)
aajtak.in
  • मुंबई,
  • 25 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 8:30 AM IST

मुंबई (Mumbai) की एक विशेष अदालत ने नाबालिग लड़के के साथ यौन उत्पीड़न करने के मामले में 26 साल के युवक 20 साल की सजा सुनाई. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि घटना के बाद पीड़ित को इतना गहरा आघात लगा है कि वह लंबे समय तक सामान्य जीवन नहीं जी सकता.

एजेंसी के मुताबिक, आठ साल का बच्चा अपने घर के पास खेल रहा था, तभी मुंबई का रहने वाला युवक उसके पास पहुंचा और उसे नजदीक के स्थान पर ले गया. युवक ने बच्चे को पैसों का भी लालच दिया. बच्चा जैसे ही युवक के साथ उस स्थान पर पहुंचा तो युवक ने उसका यौन उत्पीड़न किया और घटना के बारे में किसी को बताने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी.

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इसके बाद जब बच्चे के माता-पिता को बेटे के साथ हुई दरिंदगी के बारे में पता चला तो उन्होंने स्थानीय पुलिस स्टेशन में मामले की शिकायत की. इसके बाद 22 जुलाई 2020 को युवक के खिलाफ केस दर्ज किया गया. इसके बाद बच्चे का मेडिकल कराया गया.

कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?

विशेष न्यायाधीश प्रिया बंकर ने 6 अप्रैल को 2020 में मुंबई में हुए अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न के मामले में POCSO के तहत एक युवक को दोषी ठहराया. कोर्ट में सुनवाई के दौरान छह गवाहों से पूछताछ की गई. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पीड़ित के साथ जो कृत्य हुआ है, इससे उसके दिमाग पर लंबे समय तक असर रहेगा.

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कोर्ट ने कहा कि घटना से भविष्य में भी उसके जीवन में मानसिक आघात पहुंच सकता है. उसका जीवन प्रभावित होगा. घटना के कारण हुए आघात की वजह से वह सामान्य जीवन जीने की स्थिति में नहीं है. वहीं आरोपी की तरफ दलील दी गई कि घटना के समय लॉकडाउन लागू था और लोगों को घरों से बाहर निकलने की अनुमति नहीं थी.

हालांकि कोर्ट ने माना कि इस आधार पर सबूतों पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है कि लॉकडाउन के कारण ऐसी घटना होने की कोई संभावना नहीं थी. कोर्ट ने कहा कि हालांकि उस समय लॉकडाउन था, लेकिन पूरी तरह से सब कुछ बंद नहीं था और लोगों को घरों से बाहर निकलने की इजाजत थी.

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