
ठाणे की मुख्य मजिस्ट्रेट कोर्ट से आज महाराष्ट्र के आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) को तगड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने महाराष्ट्र एटीएस से मनसुख हिरेन मौत मामले में जांच रोकने और पूरे मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपने का आदेश दिया है. कोर्ट के आदेश के बाद एटीएस ने एनआईए को केस की फाइल सौंप दी है.
एंटीलिया बम कांड मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने ठाणे मजिस्ट्रेट कोर्ट के समक्ष एक आवेदन दायर किया था जिसमें एटीएस की जांच एनआईए को ट्रांसफर करने की मांग की गई थी. एनआईए के लिए, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश हुए और कहा कि गृह मंत्रालय से अधिसूचना पहले ही पारित हो चुकी है और इसलिए इस मामले को एनआईए को सौंप दिया जाना चाहिए.
हालांकि, एटीएस का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने इस आवेदन का विरोध करते हुए कहा कि एनआईए को मामला सौंपने की अनुमति देने के संबंध में राज्य सरकार की कोई सहमति नहीं है. अनिल सिंह ने तुरंत तर्क दिया कि मामला सीबीआई द्वारा नहीं लिया जा रहा, जिसके लिए राज्य सरकार की सहमति लेने की जरूरत होती है. एनआईए में ऐसे वैधानिक प्रावधान हैं कि एजेंसी राज्य सरकार की सहमति के बिना किसी भी मामले को उठा सकती है.
25 मार्च तक हिरासत में सचिन वाजे
एटीएस ने 23 मार्च को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि मनसुख हिरेन केस उन्होंने पहले ही हल कर लिया था और उन्हें मामले की जांच में निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे की कस्टडी की जरूरत है. एंटीलिया विस्फोटक मामले में वाजे पहले ही एनआईए की हिरासत में है, और इसकी जांच एनआईए पहले से ही कर रही है. एटीएस ने मुंबई में स्पेशल एनआईए कोर्ट के समक्ष एक आवेदन भी दायर कर चुकी है, जिसमें वाजे की कस्टडी की मांग की गई थी.
चीफ मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मामले पर सुनवाई पूरी करने के बाद राज्य जांच एजेंसी को आदेश दिया कि वह तुरंत इस संबंध में जांच रोक दे और मनसुख हिरेन मामले से संबंधित दस्तावेज एनआईए को सौंप दें.
सचिन वाजे की एनआईए की हिरासत की अवधि 25 मार्च को खत्म हो रही है. एनआईए अब उनके आगे की हिरासत की मांग करेगी. इस बीच एजेंसी ने वाजे के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के अतिरिक्त आरोपों को जोड़ दिया है.