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'बंजारा और धनगर समुदायों की मांग का समर्थन करेंगे', मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे का ऐलान

मराठा आरक्षण के मुद्दे पर आंदोलन कर रहे मनोज जरांगे ने बीते दो नवंबर को 9 दिनों से चल रहा अनशन खत्म कर दिया था. साथ ही उन्होंने सरकार से दो महीने के भीतर मुद्दा सुलझाने की चेतावनी भी दी.

मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे (फाइल फोटो) मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:13 AM IST

महाराष्ट्र में सरकारी नौकरियों और कॉलेज एडमिशन में मराठा आरक्षण की मांग के लिए आंदोलन कर रहे मनोज जरांगे ने बुधवार को कहा कि हम बंजारा और धनगर समुदाय की आरक्षण की मांगों का समर्थन करेंगे.  

मनोज जरांगे ने मराठं के लिए आरक्षण की मांग को लेकर हाल ही में भूख हड़ताल शुरू की थी. वो महाराष्ट्र के बीड जिले के पेंडगांव में एक रैली में बोल रहे थे.  

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हम बंजारा और धनगर समुदाय की मांगों का करेंगे समर्थन: जरांगे 

उन्होंने कहा, "कोई फर्क नहीं पड़ता कि सरकार क्या करती है, हम आरक्षण सुरक्षित रखेंगे. अब से हम बंजारा और धनगर समुदाय को भी उनकी मांगों का समर्थन करेंगे. बंजारा अनुसूचित जनजाति वर्ग में रहना चाहते हैं. धनगर समुदाय भी आरक्षण (एसटी वर्ग में) की मांग कर रहा है." जरांगे ने कहा कि उनका संवैधानिक अधिकार मिलना चाहिए.  

इसके अलावा जरांगे ने बीड पुलिस अधीक्षक से भी मुलाकात की और मांग की कि मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान जिले में हुई हिंसा के संबंध में निर्दोष व्यक्तियों को गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए. 

9 दिन बाद अनशन खत्म करने पर राजी हुए मनोज जरांगे, सरकार को मराठा आरक्षण लागू करने के लिए दिया 2 महीने का वक्त

जरांगे ने दो नवंबर को अनशन किया था खत्म 

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मराठा आरक्षण के मुद्दे पर आंदोलन कर रहे मनोज जरांगे ने बीते दो नवंबर को 9 दिनों से चल रहा अनशन खत्म कर दिया था. साथ ही उन्होंने सरकार से दो महीने के भीतर मुद्दा सुलझाने की चेतावनी भी दी. उन्होंने कहा कि जब तक आरक्षण की मांगें नहीं मानी जातीं तो उनका क्रमिक अनशन जारी रहेगा. 

दो महीने की डेडलाइन... मनोज जरांगे पाटिल की वो शर्तें जिनकी बुनियाद पर मराठा आरक्षण का वादा किया गया है

मनोज जरांगे ने कहा कि हर जिले में लोग अनशन पर बैठ रहे हैं और आंदोलन कर रहे हैं और वे मुझसे कह रहे हैं कि मैं सड़क पर आऊं और आरक्षण के लिए लड़ूं. तो आप बताइए हमें सरकार को समय देना चाहिए या नहीं? और यह कितना समय होना चाहिए? दरअसल उन्हें कम से कम 2 महीने चाहिए. क्योंकि उन्हें पूरे महाराष्ट्र में काम करने की जरूरत है. अगर वे वादा तोड़ेंगे तो हम उन्हें हर जगह रोकेंगे. हम मुंबई की ओर चलेंगे. हम उनके सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक काम बंद कर देंगे. हम कृषि उपज जैसे सब्जियां, दूध और अन्य चीजें उपलब्ध नहीं कराएंगे. 

तय समय में मुकदमे वापस लेगी सरकार 

आरक्षण की मांग पर अड़े मनोज जरांगे ने कहा कि हमें फुल प्रूफ आरक्षण चाहिए. यदि आप वादा तोड़ोगे तो मैं आपकी सरकार को एक मिनट भी नहीं दूंगा. 50 दिनों के बाद भी आपने मामले वापस नहीं लिए, जो अंतरवल्ली सराती के लोगों पर थोपा गया है. सीएम एकनाथ शिंदे ने हमसे कहा कि 2 दिन के अंदर हम सभी केस वापस ले लेंगे. अब मैं आपको बता रहा हूं कि तय समय में सभी मुकदमे वापस ले लिए जाएंगे. 

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