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मेडिकल में मराठा आरक्षण : सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से मांगा जवाब

मेडिकल और डेंटल कोर्सेज में मराठा एसईबीसी आरक्षण लागू करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इस मामले की सुनवाई कोर्ट सोमवार को करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को कहा कि याचिकाकर्ता ने जो याचिका दाखिल की है उसका निपटारा करना होगा.

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को होगी सुनवाई. सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को होगी सुनवाई.
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 19 जून 2019,
  • अपडेटेड 11:36 AM IST

मेडिकल और डेंटल कोर्सेज में मराठा एसईबीसी आरक्षण लागू करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इस मामले की सुनवाई कोर्ट सोमवार को करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को कहा कि याचिकाकर्ता ने जो याचिका दाखिल की है उसका निपटारा करना होगा.

कोर्ट ने कहा हो सकता है याचिका सही हो या गलत हो, लेकिन इस पर सुनवाई होनी चाहिए.दरअसल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर नागपुर हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है. मराठा एसईबीसी को प्रवेश प्रक्रिया में आरक्षण देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने अध्यादेश निकाला था, जिसे नागपुर हाई कोर्ट में डॉ .समीर देशमुख व अन्य ने चुनौती दी थी. ये याचिका गुरुवार को नागपुर हाईकोर्ट ने तकनीकी कारणों से खारिज कर दी थी.

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पिछली सुनवाई (10 जून) में सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल में मराठा छात्रों के एडमिशन में रिजर्वेशन मामले में कोई बदलाव न करने की बात कही थी. कोर्ट ने कहा था कि पिछले आदेश में किसी तरह के बदलाव की जरूरत नहीं है. इसके मद्देनजर महाराष्ट्र में पीजी मेडिकल सीटों में एडमिशन के लिए आर्थिक रूप से कमजोर तबके लिए 10 प्रतिशत आरक्षण अभी लागू नहीं किया जा सकता.

कोर्ट ने अपने 30 मई के रुख पर कायम रहते हुए कहा कि इसमें फिलहाल कोई तबदीली नहीं की जाएगी. 30 मई को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि आरक्षण अगले सत्र के एडमिशन में लागू किया जाएगा.मामले में याचिकाकर्ता छात्रों के वकील संजय हेगड़े ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से जारी मराठा आरक्षण अध्यादेश का अनुपालन हो क्योंकि एडमिशन प्रॉसेस अध्यादेश की अवधि के दौरान 2 नवंबर 2018 में शुरू हो गई थी. वहीं महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश एनआर नाडकर्णी ने कहा कि अध्यादेश जारी होने के बाद उसे बंबई हाई कोर्ट में चुनौती दी गई और यह केस अभी पेंडिंग है.

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