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मराठी से प्यार, लेकिन हिंदी का भी बढ़ रहा आधार! जानिए किस भाषा में बात करती है 'आमची मुंबई'

मुंबई कई संस्कृतियों और विविधतापूर्ण पहचान का शहर है. इस वक्त मुंबई की आबादी 2 करोड़ 20 लाख है. मराठी महाराष्ट्र की आधिकारिक भाषा है और मुंबई में सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है. लेकिन हिंदी बड़ी तेजी से आगे बढ़ रही है.

मुंबई विविध पहचान का शहर है. (फोटो- डिजाइन आजतक) मुंबई विविध पहचान का शहर है. (फोटो- डिजाइन आजतक)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 07 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 1:15 PM IST

भाषाविद फ्रैंक स्मिथ ने कहा है, "भाषा कोई आनुवंशिक उपहार नहीं है, यह एक सामाजिक उपहार है (Language is not a genetic gift, it is a social gift). मतलब कि कोई भी व्यक्ति जन्म से किसी विशेष भाषा को बोलने की क्षमता लेकर पैदा नहीं होता. भाषा सामाजिक व्यवहार से मिलती है होती है. यह वह उपहार है जो हमें परिवार, दोस्तों, समुदाय और संस्कृति के माध्यम से हमें दिया जाता है. 

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आरएसएस नेता भैया जी जोशी का मुंबई में दिया एक बयान चर्चा में आ गया. भैया जी जोशी ने कहा कि 'मुंबई की कोई एक भाषा नहीं है. इसलिए मुंबई आने या यहां रहने के लिए मराठी सीखने की जरूरत नहीं है.' यह बयान उन्होंने 5 मार्च 2025 को विले पार्ले में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में मराठी में दिया था. 

मुंबई और महाराष्ट्र में मराठी भाषा को सांस्कृतिक और राजनीतिक पहचान का प्रतीक माना जाता है. वहां की राजनीति मराठी अस्मिता से प्रभावित होती है. भैया जी जोशी के बयान को विपक्ष ने तुरंत लपक लिया. उद्धव ठाकरे ने उन पर कार्रवाई की मांग की.

विवाद बढ़ता देख भैया जी जोशी ने कहा कि उनके बयान को गलत समझा गया.उन्होंने बाद में एक बयान में कहा कि उनके बयान से कुछ गलतफहमी हो गई है. वे विविध भाषाओं के सह-अस्तित्व को लेकर बात कर रहा थे, लेकिन वे यह साफ कर देना चाहते हैं कि मुंबई और महाराष्ट्र की भाषा मराठी ही है और यहां रहने वाले सभी लोगों को मराठी भाषा सीखनी चाहिए.

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भैया जी जोशी ने भले ही सफाई दे दी हो लेकिन उन्होंने मुंबई में भाषा से जुड़ा सवाल और इससे जुड़ी राजनीति को फिर से हवा दे दी है. गौरतलब है कि भैया जी जोशी ने कहा था कि घाटकोपर की भाषा गुजराती है. इसी तरह, गिरगांव में आपको हिंदी बोलने वाले कम लोग मिलेंगे. वहां आपको मराठी बोलने वाले लोग मिलेंगे. मुंबई आने वाले लोगों को मराठी सीखने की कोई ज़रूरत नहीं है."

आइए समझते हैं कि महाराष्ट्र की राजधानी और भारत की व्यावसायिक राजधानी मुंबई में कौन सी भाषा कितने लोगों के द्वारा बोली जाती है. 

मुंबई कई संस्कृतियों और विविध पहचान का शहर है. इस वक्त मुंबई की आबादी 2 करोड़ 20 लाख है. मराठी महाराष्ट्र की आधिकारिक भाषा है और मुंबई में सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है. यह मूल महाराष्ट्रीयन आबादी की मातृभाषा है और इसका सांस्कृतिक महत्व भी बहुत ज़्यादा है. 

मराठी

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार  2011 में मुंबई में मराठी को अपनी मातृभाषा बताने वाले लोगों की संख्या 44.04 लाख थी.  2011 में मुंबई में 35 से 42 फीसदी लोग मराठी को अपनी मातृभाषा बताते थे. 2001 के मुकाबले 2011 में इस संख्या में 2.64 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी.

2001 में मुंबई में मराठी को मातृभाषा बताने वाले लोगों की संख्या 45.23 लाख थी. 

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दिलचस्प बात यह है कि यह बदलाव मुंबई के किनारे बसे क्षेत्रों में भी स्पष्ट है, जहां ठाणे और रायगढ़ दोनों जिलों में हिंदी भाषी निवासियों की संख्या में 80 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है. 

गौरतलब है कि अगली जन और भाषा गणना 2021 में होनी थी. लेकिन कोरोना की वजह से ऐसा नहीं हो पाया. इसलिए 2021 के भाषीय आंकड़े उपलब्ध नहीं है.

हिंदी

मुंबई में हिंदी एकमात्र ऐसी भाषा है जिसके बोलने वालों की संख्या में जबर्दस्त बढ़ोतरी हुई है. 2001 में मुंबई में हिंदी को मातृभाषा बताने वालों की संख्या 25.98 फीसदी थी. 2011 में ये संख्या 35.98 लाख हो गई. ये लगभग 40 फीसदी की बढ़ोतरी है. 

माना जाता है कि हिंदी पट्टी प्रदेशों से रोजगार की खोज में मुंबई में पड़े पैमाने पर माइग्रेशन की वजह से मुंबईमें हिंदी बोलने वालों की संख्या बढ़ी है.

बंबईया हिंदी

बंबईया हिंदी, हिंदी, मराठी, गुजराती और अंग्रेजी का मिला जुला रूप है. यह बोलचाल की भाषा है, जो सड़कों पर खूब बोली जाती है. इसे बोलने वालों की कोई खास संख्या नहीं है, क्योंकि यह एक संकर भाषा है, जिसका इस्तेमाल मातृभाषा के बजाय संदर्भ के हिसाब से किया जाता है. और सरकारी आंकड़ों में इसकी अलग कैटेगरी नहीं है.

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गुजराती

मुंबई में गुजराती बोलने वालों की संख्या में भी गिरावट हुई है. 2001 में 14.34 लाख लोगों ने गुजराती को अपनी मातृभाषा के रूप में दर्ज कराया था. लेकिन 2011 में ये संख्या 14.28 लाख हो गई. 

उर्दू

मुंबई में उर्दू को अपनी जुबान बताने वालों की संख्या भी गिरी है. 2001 में 16.87 लाख लोग उर्दू को अपनी मादरी जुबान बताते थे लेकिन 2011 में ये संख्या 14.59 लाख दर्ज की गई. बता दें कि ये आंकड़े 2011 की जनगणना के आधार पर हैं. 2021 की जनगणना देश में नहीं हो सकी है.  

अंग्रेजी

अंग्रेजी को दूसरी भाषा के रूप में व्यापक रूप से बोला जाता है, खासकर शिक्षित और पेशेवर वर्गों के बीच. इसका उपयोग शिक्षा, व्यवसाय और प्रशासन में किया जाता है, लेकिन यह शायद ही कभी मातृभाषा होती है. 

जनगणना में अंग्रेजी बोलने वालों की संख्या का आंकड़ा उपलब्द नहीं है. लेकिन मुंबई की आबादी के एक महत्वपूर्ण हिस्से द्वारा अंग्रेजी को समझा और धाराप्रवाह रूप से बोला जाता है. अनुमान बताते हैं कि लाखों लोग इसे दूसरी भाषा के रूप में उपयोग करते हैं. 

मुंबई शहर की भाषा के गुलदस्ते में तमिल, तेलुगु, कन्नड़, बंगाली, मलयालम, कोंकणी, सिंधी और भोजपुरी जैसी भाषाएं शामिल हैं, जो भारत के विभिन्न भागों से आए प्रवासी समुदायों द्वारा बोली जाती हैं.

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सामूहिक रूप से, ये भाषाएं जनसंख्या का लगभग 10-15% हिस्सा हैं. तमिल, तेलुगु, कन्नड़ दक्षिण भारतीय समुदायों द्वारा बोली जाती हैं, इन भाषाओं को लाखों लोग संप्रेषण के लिए इस्तेमाल करते हैं. इसी सूची में बंगाली भी शामिल है.  इसके अलावा महाराष्ट्र की कोंकणी भाषा को भी बड़ी संख्या में लोग बोलते हैं. 
 

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