
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी के मौके पर आज नागपुर के रेशम बाग मैदान में 'शस्त्र पूजन' किया और इसके बाद यहां विजयादशमी उत्सव को संबोधित किया. हर साल दशहरा के अवसर पर आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख ने कई मुद्दों का जिक्र किया.
बांग्लादेश का जिक्र करते हुए संघ प्रमुख ने कहा, 'हमारे पड़ोसी बांग्लादेश में जो हुआ? उसके कुछ तात्कालिक कारण हो सकते हैं, लेकिन जो लोग चिंतित हैं, वे इस पर चर्चा करेंगे. लेकिन, उस अराजकता के कारण, हिंदुओं पर अत्याचार करने की परंपरा वहां दोहराई गई. पहली बार, हिंदू एकजुट हुए और अपनी रक्षा के लिए सड़कों पर उतरे. लेकिन, जब तक क्रोध में आकर अत्याचार करने की यह कट्टरपंथी प्रवृत्ति होगी - तब तक न केवल हिंदू, बल्कि सभी अल्पसंख्यक खतरे में होंगे. उन्हें पूरी दुनिया के हिंदुओं से मदद की ज़रूरत है. यह उनकी ज़रूरत है कि भारत सरकार उनकी मदद करें.'
UPDATES
-घर के अंदर भाषा,भोजन, वेशभूषा अपनी होनी चाहिए. अपने देश के स्थानों का भ्रमण कीजिए, भ्रमण ऐसा होना चाहिए जिसमें अपने देश को जनाने को मौका मिले... अपना देश विभिन्नताओं वाला है. कोई कानून बनेगा वो सबको अच्छा लगेगा ऐसा नहीं होगा क्योंकि विविधताएं हैं जो अलगाव नहीं हैं. विविधिताओं को लेकर लड़ना अच्छा नहीं है- मोहन भागवत
-कॉलेज स्कूल में जो शिक्षा मिलती है, वो प्रबोधन होता है. भाषण होता है... समाज में जिनको देखकर लोग चलते हैं..जिनको बड़ा माना जाता है, वो जैसा करते हैं, लोग वैसा करते हैं. उनको करने वालों को यह देखना चाहिए कि उन्हें ऐसा करना है, जिससे समाज को धक्का नहीं लगे- मोहन भागवत
- समाज के सभी वर्गों में व्यक्तियों और कुटुंबों की मित्रता होनी चाहिए. वहां रहने वाले सभी प्रकार के रहने वालों में मेरी मित्रता होनी चाहिए. खान-पान, और बोलचाल अलग होने के बावजूद भी मित्रता होनी चाहिए, तभी समरसता होगी. वाल्मिकी जयंती केवल वाल्मिकी जयंती सबको मनाने चाहिए. सभी को सहभागिता करनी चाहिए. सभी हिंदुओं को सहभाग करने चाहिए. अपने समाज में अनेक जाति वर्ग है जहां अलग अलग संस्थाएं नेतृत्व करती हैं- मोहन भागवत
अभी गणेश उत्सव के दौरान विसर्जनों पर पथराव हुआ, क्यों हुआ कोई कारण नहीं था. ऐसे में प्रशासन को तुरंत एक्शन लेना चाहिए. कई जगह लिया भी गया, कई जगह नहीं भी हुआ..गुंडागर्दी नहीं चलनी चाहिए, किसी को भी चलाने नहीं देनी चाहिए. अपने अधिकार की रक्षा करना अपना अधिकार है. पुलिस प्रशासन का काम है रक्षा करना लेकिन उससे पहले भी अपनों की मदद करना कर्तव्य है. मैं ये वर्णन किसी को डराने के लिए नहीं कर रहा हूं. ये परिस्थिति है, हमें ऐसी परिस्थिति के लिए तैयार रहना होगा- मोहन भागवत
- हम देख रहे हैं कि भारत वर्ष में इस प्रकार मन वचनों पर कुप्रभाव हो रहा है. कोई बात छिपती नहीं है. बच्चों के हाथ पर भी मोबाइल है. वो क्या देख रहे हैं इस पर किसी का नियंत्रण नहीं है. इस पर नियंत्रण करना घर परिवार और विधि व्यवस्था पर भी जरूरी है. इसके कुपरिणाम भी हैं. कई जगह युवा पीढ़ी नशे के जाल में फंस रही है... एक द्रौपद्री के वस्त्र का हरण हुआ, महाभारत हो गया. सीता हरण हुआ रामायण हो गया...आरजी कर अस्पताल में क्या हुआ वो लज्जित करने वाला हो गया है.ऐसा नहीं होना चाहिए था. होने के बाद भी वहां जिस तरह की टालमटोली हुई वो अपराध और राजनीति के गठबंधन को दिखाता है- मोहन भागवत
-अपने यहां सिंगल यूज प्लास्टिक नहीं चलना चाहिए, पेड़ लगाओ. गमलों में भी खेती हो सकती है. घर की हरियाली बढ़ाओं. गांव-शहर मोहल्ले में पेड़ लगाओ.. कई पेड़ हमने फैशन के चलते लगाए जिनको काटने के लिए अब सरकार कह रही है क्योंकि उससे विकार आते हैं. हमारे यहां नीम का पेड़ है जो गुणकारी है- मोहन भागवत
-जागृति की समस्या है. पर्यावरण की समस्या जिससे सारी दुनिया ग्रसित हो गई है. भारत भी इससे अछूता नहीं है. बारिश नहीं होगी तो इतनी नहीं होती है कि मुंह में छाले पड़ जाते हैं. जब बारिश होती है तो इतनी होती है कि सारे छाले बहा ले जाती है. पहले दुनिया में ये दिक्कत थी लेकिन अब अपने देश में भी ये हो रहा है... जंगल कट गए. हरियाली नष्ट हो गई. नदियां सूख गई हैं. हमें अपने विचार में बदलाव करना होगा. जो पर्यावरण के प्रति पांरपिरक रास्ते हैं उन्हें अपनाना होगा. जैसे जैविक खेती है, उसका 10 हजार साल का इतिहास है, कैमिकल खेली 200 साल में ही तबाह हो गई है- मोहन भागवत
- पहले जैसा आपस में युद्ध करना आसान नहीं है अब युद्ध को मंत्र विप्लव कहते हैं अपनी परंपरा में. उनको देश में भी अपने जैसे कई लोग मिल जाते हैं. लेकिन समाज में यह टकराव बड़े बन गए तो किसी एक का पक्ष लेकर उनके पीछे खड़े रहने को पर्याय राजनीति कहते हैं. उनकी आड़ में ये अपनी पद्धतियां चलाते हैं. इसे लेकर पाश्चात्य देशों से कई पुस्तकें निकल रही हैं, ये मैं अपने मन से नहीं कह रह हूं... भारत के सीमावर्ती देशों में इसके चलते क्या-क्या हो रहा है ये हम देख सकते हैं- मोहन भागवत
-भारत आगे बढ़ रहा है, भारत आगे ना बढ़े ऐसा चाहने वाली शक्तियां भी दुनिया में हैं. भारत को दबाने के लिए वह तरह तरह के प्रयास करेंगे, चालें चलेंगे और ऐसा हो भी रहा है... हम सबको मदद करते हैं. शत्रुता करने वालों को भी आवश्यकता में मदद करते हैं. ऐसा स्वभाव दुनिया में नहीं है. इसलिए भारत आगे बढ़ रहा है. कोई भी देश जो आगे बढ़ रहा है उसकी राह में अडंगा लगाने वाले लोग भी होते हैं. इसलिए दूसरे देशों सरकारों को कमजोर करना दुनिया में चलते रहता है- - मोहन भागवत
- बांग्लादेश में क्या हुआ ? उत्पात के कारण वहां के हिन्दू समाज पर अटैक हुआ .. हिन्दू पर अत्याचार हुआ .. हिन्दू वहां अपने बचाव के लिए सड़क पर आया इसलिए बचाव हुआ थोड़ा .. कट्टरपंथी जब तक है तब तक अल्पसंख्यकों के ऊपर अत्याचार होगा .. हिन्दू को सोचना होगा कि अगर हम दुर्बल है और असंगठित है तो गलत है .. जहां है वहां संगठित रहो .. हिंसक मत बनो, लेकिन दुर्बल नहीं रहना है .. उसके तत्कालीक कारण है वो ठीक है. जो और कारण हैं.. उस उत्पात के कारण हिंदू समाज पर फिर से हमला हुआ. वहां कट्टरपन की मानसिकता जब तक है तब तक वहां हिंदुओं ही नहीं बल्कि अन्य अल्पसंख्यकों पर हमले का खतरा बरकरार रहेगा. दुर्बल रहना अपराध है, हिंदू समाज को समझना चाहिए. संगठित होकर ही आप किसी चीज का मुकाबला कर सकते हैं - मोहन भागवत
-परिस्थितियां कभी चुनौतीपूर्ण होती हैं तो कभी अच्छी... मानव जीवन पहले की तुलना में भौतिक रूप से अधिक खुशहाल है लेकिन हम देखते हैं कि इस खुशहाल और विकसित मानव समाज में भी कई संघर्ष जारी हैं. इजरायल के साथ हमास के साथ जो युद्ध छिड़ा वो कैसा व्यापक हुआ, उससे दुनिया पर क्या असर पड़ेगा उसकी चिंता विश्व को है. कौन-कौन इसमें झुलसेगा, इसकी चिंता सबको है. भारत लगातार हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है. समाज की समझदारी भी बढ़ रही है. जम्मू कश्मीर के चुनाव भी शांति पूर्ण संपन्न हुए हैं. इसके साथ ही देखते हैं कि दुनिया में भारत की साख बढ़ी है. हमारा योग दुनिया में ना केवल फैशन बना है बल्कि उसके महत्व को दुनिया भी स्वीकार कर रही है. भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है, सामरिक बल भी बढ़ रहा है- मोहन भागवत
-अहिल्या बाई होल्कर एक एक उत्कृष्ट राज्यकर्ता थीं, जिन्होंने ना केवल अपने राज्य को संभाला बल्कि अपनी दूरदर्शिता की वजह से उन्होंने देशभर में जगह जगह मंदिर, धर्मशालाओं का निर्माण कर अपनी संस्कृति को बचाने का भी प्रयास किया. भारत के पुनरत्थान के पीछे दयानंद स्वरस्वती का भी अहम योगदान था- मोहन भागवत
- पद्म भूषण और पूर्व इसरो प्रमुख के. राधाकृष्णन ने कहा, "डॉ. मोहन भागवत जी से अनुग्रहपूर्ण निमंत्रण प्राप्त करना मेरे लिए सम्मान की बात है. विजयादशमी के इस पावन अवसर पर यहां उपस्थित होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है. पांच गुना परिवर्तन - 'पंच-परिवर्तन' प्रक्रिया की दहलीज पर इस प्रशंसनीय दर्शकों को संबोधित करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है..."
- RSS के नेता सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा, "राज्य अलग-अलग हैं और उनकी भाषाएं अलग-अलग हैं, यहां तक कि इन राज्यों की छोटी-छोटी संस्कृतियां भी अलग-अलग हैं. एक अवांछित भ्रम पैदा किया जा रहा है कि एक भाषा सर्वोच्च है. भारत में बोली जाने वाली हर भाषा एक राष्ट्रीय भाषा है चाहे वह तमिल, मलयालम, मराठी, गुजराती, बंगाली या हिंदी हो. इन सभी भाषाओं के पीछे विचार एक है. भाषाएं अलग-अलग हैं लेकिन हमारी सोच एक ही है..."
प्रसिद्ध वैज्ञानिक और पद्मभूषण से सम्मानित पूर्व अध्यक्ष भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रमुख डॉक्टर के. राधाकृष्णन को इस बार कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है.
आज RSS की स्थापना के 99 साल भी पूरे हो रहे हैं. वह विजयादशमी का ही दिन था जब 1925 में संघ की स्थापना हुई थी. विजयदशमी उत्सव संघ के लिए कई मायनों में अहम होता है. संघ प्रमुख के संबोधन में संघ के भविष्य के कार्यक्रम और नीतियों की स्पष्टता देखने को मिलती है. मोहन भागवत की स्पीच से जुड़े हर लाइव अपडेट्स हम आपको यहां दे रहे हैं-