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मुंबई अंधेरी ईस्ट सीट पर मशाल बनाम ढाल-तलवार ही नहीं, गुजराती बनाम मराठी की भी जंग

मुंबई की अंधेरी ईस्ट सीट पर उपचुनाव होने जा रहे हैं, जिसके नतीजे उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के सियासी भविष्य को तय करेंगे. इस सीट पर उद्धव खेमे ने ऋतुजा लटके को उतारा है, जो मराठी हैं और एनसीपी-कांग्रेस उसे समर्थन दे रही है. ऐसे ही बीजेपी खुद लड़ने के बजाय एकनाथ शिंदे खेमे से मुरजी पटेल को समर्थन कर रही है, जो गुजराती हैं.

उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 12 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 1:09 PM IST

महाराष्ट्र में सियासी बदलाव के बाद मुंबई के चुनावी मैदान में मशाल बनाम ढाल-तलवार की जंग होगी. मुंबई अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट पर 3 नवंबर को होने वाले उपचुनाव में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे धड़े के बीच पहली अग्निपरीक्षा होगी. उद्धव के साथ कांग्रेस-एनसीपी पूरी मजबूती के साथ खड़ी है तो शिंदे के साथ बीजेपी. इस तरह अंधरी ईस्ट सीट पर शिंदे-उद्धव के बीच ही नहीं, बल्कि महाविकास अघाड़ी और एनडीए के बीच भी मुकाबला है. बाकी विधानसभा सीटों के साथ इस सीट के भी नतीजे 6 नवंबर को आएंगे.

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उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद शिवसेना पर दोनों धड़ की दावेदारी करने के चलते पार्टी के चुनाव निशान धनुष-बाण को निर्वाचन आयोग ने फ्रीज कर दिया. अब इलेक्शन कमीशन ने उद्धव गुट को बतौर चुनाव चिन्ह मशाल और शिंदे गुट को ढाल-तलवार सिंबल दिया है. अंधेरी ईस्ट पर होने वाले उपचुनाव में शिंदे और उद्धव गुट के प्रत्याशी आमने-सामने हैं, जिसके चलते मशाल और ढाल-तलवार के बीच मुकाबला होगा. 

मुंबई अंधेरी ईस्ट सीट शिवसेना से विधायक रहे रमेश लटके के निधन हो जाने से खाली हुई है. अंधेरी ईस्ट सीट पर शिंदे गुट ने मुंबई नगर निगम के पूर्व पार्षद मुरजी पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि उद्धव ठाकरे ने दिवंगत रमेश लटके की पत्नी ऋतुजा लटके को कैंडिडेट घोषित किया है. एनसीपी-कांग्रेस अंधेरी ईस्ट सीट पर उद्धव के प्रत्याशी ऋतुजा लटके को समर्थन कर रही है. वहीं, बीजेपी अपना उम्मीदवार उतारने के बजाय शिंदे के उम्मीदवार के साथ है.

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गुजराती बनाम मराठी के बीच जंग

अंधरे ईस्ट सीट पर शिंदे गुट से उतरे मुरजी पटेल गुजराती भाषी हैं, जबकि उद्धव ठाकरे के खेमे से चुनाव लड़ रही ऋतुजा लटके मराठी हैं. इस सीट पर ज्यादातर हिंदी भाषी और मराठी मतदाता ही निर्णायक स्थिति में है. अंधेरी में केवल नागरदास रोड का जो पट्टा है, सिर्फ उसी में ज्यादातर गुजराती वोटर हैं जबकि बाकी पूरा चुनाव क्षेत्र उत्तर भारतीयों और मराठी का गढ़ माना जाता है. ऐसे में संभावना है कि अंधेरी सीट पर गुजराती बनाम मराठी के बीच जंग होती होती है तो शिंदे के लिए मुकाबला कहीं भारी न पड़ जाए.

शिवसेना के रमेश लटके यहां से विधायक चुने जाते रहे हैं. इसकी एक वजह यह थी कि वह तीन बार स्थानीय नगरसेवक रहे थे और उनका अपने इलाके में अच्छा जनसंपर्क था. इसके अलावा दूसरी बड़ी वजह मराठी वोटरों का एकजुट होकर उनके पक्ष में वोटिंग करना. यह वजह है कि उद्धव ठाकरे ने रमेश लटके की पत्नी ऋतुजा लटके को उपचुनाव में उतारकर सहानुभूति हासिल करने का दांव चला है.

ऋतुजा लटके को सहानुभूति का सहारा

बीजेपी ने खुद चुनाव लड़ने के बजाय अपनी पार्टी के नेता को एकनाथ शिंद खेमे चुनाव मैदान में उतारा है, ताकि उद्धव खेमा सहानुभूति हासिल न कर सके. शिंदे गुट के प्रत्याशी उतरने से बीजेपी और शिंदे का वोट मिल सकते हैं. बीजेपी के चुनाव लड़ने से शिवसेना के वोटर नहीं टूटते, इसलिए बीजेपी ने शिंदे गुट से कैंडिडेट को चुनाव में उतारा, ताकि उद्धव खेमे को कड़ी चुनौती पेश की जा सके. 

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बता दें कि 2014 में बीजेपी ने मराठी वोटों के सियासी समीकरण को तोड़ने की बड़ी कोशिश की थी. रणनीतिक रूप से उसने अंधेरी ईस्ट सीट अपने उत्तर भारतीय उम्मीदवार सुनील यादव को चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन 2014 की मोदी लहर के बावजूद शिवसेना उम्मीदवार रमेश लटके जीतने में सफल रहे थे. 2019 में बीजेपी-शिवसेना मिलकर चुनाव लड़ी थी तब मुरजी पटेल बीजेपी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़े थे. इस तरह रमेश लटके दोबारा से विधायक बने थे. इस बार मुरजी पटले को शिंदे गुट ने उतारा है. 

अंधेरी ईस्ट को 'मिनी हिंदुस्तान' कहते हैं
अंधेरी सीट पर मराठी वोट के साथ यूपी, बिहार, झारखंड, मुस्लिम, गुजराती, मारवाड़ी, जैन, साउथ इंडियन, कैथोलिक और पंजाबी वोटर्स बड़ी संख्या में है. इसके अलावा पारसी वोट भी इस सीट पर है, इसलिए इस सीट को मिनी हिंदुस्तान भी कहा जाता है. इस सीट पर मराठी और उत्तर भारतीय वोटर ही सबसे अहम हैं. शिंदे ने गुजराती भाषी प्रत्याशी मुरजी पटेल को उतारा तो उद्धव ने मराठी दांव चला है.

उपचुनाव में शिवसेना के रमेश लटके न तो जीवित हैं और न ही बीजेपी के सुनील यादव. इसका खामियाजा शिवसेना और बीजेपी दोनों को उठाना पड़ सकता है. खासकर बीजेपी के लिए चिंता की बात यह है कि उद्धव गुट को इस बार कांग्रेस और एनसीपी दोनों का समर्थन है. कांग्रेस का इस सीट पर अच्छा आधार है, क्योंकि 2014 में कांग्रेस को 37 हजार और 2019 में 27 हजार से ज्यादा वोट मिले थे. कांग्रेस के इस वोट का लाभ इस बार उद्धव के प्रत्याशी को मिल सकता है. 

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वहीं, शिंदे गुट से उतरे गुजराती भाषी मूरजी पटेल को उत्तर भारतीयों का समर्थन चुनौती होगी. उत्तर भारतीय नेताओं को भी लग रहा है कि अगर मूरजी पटेल यहां से चुनाव जीत गए, तो उत्तर भारतीयों की दावेदारी हमेशा के लिए इस सीट से उनके हाथ से निकल जाएगी. ऐसे में उत्तर भारतीयों का वोट कितना पटेल वोट हासिल कर पाता है, इस पर सबकी नजरें होंगी. परंपरागत रूप से मराठी बहुल इस सीट सीट पर गुजराती बनाम मराठी के बीच मुकाबला है और उत्तर भारतीय किंगमेकर की भूमिका में है. ऐसे में देखना है कि अंधेरी ईस्ट पर कौन सियासी बाजी मारता है? 

 

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