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तबलीगी जमात से जुड़े 20 विदेशी नागरिक बरी, मुंबई की कोर्ट ने कहा- “इनके खिलाफ कोई सबूत नहीं”

बांद्रा की एक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने तबलीगी जमात से जुड़े 20 विदेशी नागरिकों को बरी कर दिया. उनके खिलाफ कोविड-19 से जुड़े सुरक्षा नियमों के उल्लंघन का आरोप था. इन विदेशियों ने दिल्ली में हुए तबलीगी जमात के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था.

तबलीगी जमात से जुड़े 20 विदेशी नागरिक बरी (फाइल फोटो-PTI) तबलीगी जमात से जुड़े 20 विदेशी नागरिक बरी (फाइल फोटो-PTI)
मुस्तफा शेख
  • मुंबई,
  • 21 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 5:55 PM IST
  • इन पर था कोरोना निर्देशों की अनदेखी का आरोप
  • आरोपियों के खिलाफ कोई आरोप नहीं हुए सिद्ध
  • अब ये विदेशी अपने देशों को लौट सकेंगे

मुंबई में बांद्रा की एक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने तबलीगी जमात से जुड़े 20 विदेशी नागरिकों को बरी कर दिया. उनके खिलाफ कोविड-19 से जुड़े सुरक्षा नियमों के उल्लंघन का आरोप था. इन विदेशियों ने दिल्ली में हुए तबलीगी जमात के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. उन पर आरोप था कि वो ये बात छुपा कर और कोरोना निर्देशों की अनदेखी करते हुए मस्जिद में इकट्ठा रह रहे थे. दो अलग अलग फैसलों में कोर्ट ने इंडोनेशिया और किर्गिज रिपब्लिक के इन नागरिकों को बॉम्बे पुलिस एक्ट के तहत एक भी आरोप का दोषी नहीं माना. 

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मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (अंधेरी) आर आर खान ने अपने आदेश में कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं कि अभियोजन पक्ष के पास ये दिखाने के लिए कोई सबूत मौजूद नहीं है कि अभियुक्तों ने आदेश की कोई अवहेलना की." 

अब ये विदेशी अपने देशों को लौट सकेंगे. ये सभी पिछले सात महीने से शहर में अटके हुए थे. डीएन नगर पुलिस ने अप्रैल में उन्हें दो अलग-अलग केसों में बुक किया था. केस में वकील ए एन शेख और अमीन सोल्कर ने इन विदेशी नागरिकों की पैरवी की.  

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बता दें कि दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज में हुए तबलीगी जमात के कार्यक्रम को कोरोनावायरस को फैलाने वाला बड़ा कलस्टर माना गया था. इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले प्रतिनिधियों के खिलाफ मुंबई समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में केस दर्ज किए गए थे. उन पर आरोप थे कि लॉकडाउन की बंदिशों के बावजूद वो विभिन्न मस्जिदों में गए और लोगों से मिले थे.   

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कोर्ट के मुताबिक गवाहों के बयान रिकार्ड पर मौजूद दस्तावेजी सबूतों से विपरीत निकले. कोर्ट ने कहा, “अभियोजन ने पंचनामा की तैयारी भी नहीं की और किसी अन्य स्वतंत्र गवाह का बयान भी कभी रिकॉर्ड नहीं किया. ऐसे में अभियोजन ने अपने आरोप के समर्थन में कोई वैध सबूत पेश नहीं किया.” 

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