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मुंबई: कोविड सेंटर घोटाला मामले में उद्धव और आदित्य ठाकरे के करीबी के ठिकानों पर छापेमारी 

मुंबई में कथित कोविड सेंटर घोटाला मामले में ईडी ने छापेमारी की है. उद्धव और आदित्य ठाकरे के करीबी और युवसेना (यूबीटी) के सचिव सूरज चव्हाण व आईएएस संजीव जायसवाल के आवास समेत 16 जगहों पर ईडी जांच कर रही है.

आदित्य ठाकरे के करीबी पर ईडी की रेड (फाइल फोटो) आदित्य ठाकरे के करीबी पर ईडी की रेड (फाइल फोटो)
दिव्येश सिंह
  • मुंबई,
  • 21 जून 2023,
  • अपडेटेड 2:43 PM IST

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की मुश्किलें लगातार बढ़ती ही जा रही हैं. हाल में पूर्व विधायक शिशिर शिंदे और पार्टी प्रवक्ता मनीषा कायंदे ने शिवसेना (यूबीटी) से इस्तीफा दिया था. अब मुंबई में कथित कोविड सेंटर घोटाला मामले में ईडी ने उद्धव और आदित्य ठाकरे के करीबी के ठिकानों पर छापेमारी की है. 

उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे के करीबी माने जाने वाले युवसेना (यूबीटी) के सचिव सूरज चव्हाण और आईएएस संजीव जायसवाल के आवास समेत 16 ठिकानों पर ईडी जांच कर रही है. बीते साल अगस्त महीने में बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज के चार पार्टनर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें सुजीत मुकुंद पाटकर का नाम भी शामिल था. अक्टूबर, 2022 में इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंप दी गई थी.

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किरीट सोमैया ने शिकायत में आरोप लगाया था कि कोविड सेंटर बनाने के लिए एक ऐसी फर्म को कॉन्ट्रैक्ट दिया गया, जिसके पास स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाएं देने का कोई एक्सपीरिएंस नहीं था. इस फर्म को जाली दस्तावेजों के आधार पर ठेका मिला था. 

इस मामले में लाइफलाइन अस्पताल मैनेजमेंट सर्विसेज लिमिटेड के पार्टनर और संजय राउत के करीबी सुजीत पाटकर के खिलाफ आजाद मैदान पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था. इसी मामले में बीते 16 जनवरी को बीएमसी कमिश्नर इकबाल सिंह चहल ने ईडी के अधिकारियों के सामने अपना बयान दर्ज कराया था.  

ईडी ने शिवसेना यूबीटी सांसद संजय राउत के करीबी सहयोगी सुजीत पाटकर और उनके सहयोगियों को दिए गए कोविड सेंटर या फील्ड अस्पताल अनुबंधों के संबंध में चहल को तलब किया था. इंडिया टुडे से बात करते हुए चहल ने कहा था, "जब मार्च-अप्रैल 2020 में कोविड के मामले शुरू हुए, तब बीएमसी के पास केवल 4000 बेड उपलब्ध थे. डब्ल्यूएचओ ने भी अधिक से अधिक बेड उपलब्ध कराने की सलाह दी थी और तब भी राज्य सरकार ने फील्ड अस्पताल बनाने के आदेश जारी किए थे. ये फील्ड अस्पताल खुले मैदान में बनाए जाने थे. इसके लिए विभिन्न एजेंसियों जैसे सिडको, म्हाडा और अन्य की मदद ली गई थी." 

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उन्होंने बताया, " 10 जंबो अस्पताल बनाए गए. जिनमें 15 हजार बेड और एक हजार आईसीयू बेड थे. हमने सरकार को बताया कि इस तरह के अस्पताल बनाने के लिए हमारे पास पर्याप्त टीम नहीं है. फिर हमने राज्य की अन्य एजेंसियों से अस्पताल बनवाने के लिए निर्माण में मदद करने के लिए कहा." 

पुलिस शिकायत के बारे में चहल ने कहा, "अगस्त 2022 में मुंबई पुलिस को फील्ड अस्पताल के संबंध में शिकायत मिली थी. हमने पुलिस से कहा कि हमारे पास जालसाजी का पता लगाने के लिए कोई तंत्र नहीं है और पुलिस विभाग से इसकी जांच करने के लिए कहा. हमने पुलिस को विवरण भी दिया था." 

PMRDA ने किया था ब्लैकलिस्टेड

बीजेपी नेता यह भी आरोप लगाया कि फर्म को पुणे मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए ब्लैकलिस्ट किया गया था, लेकिन फर्म ने बीएमसी से इस तथ्य को छिपाया और जंबो केंद्रों में सेवाएं प्रदान करने के लिए अनुबंध प्राप्त करने में कामयाब रही.

26 जून को हुई थी फर्म की स्थापना

इससे पहले बीजेपी नेता ने आरोप लगाया था कि दहिसर में 100 बेड वाले अस्पताल की सुविधाओं के लिए 25 जून, 2020 को प्री-बिड मीटिंग बुलाई गई थी. उसके बाद एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट 27 जून को बुलाया गया था, जबकि लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज की स्थापना 26 जून को की गई थी. इसलिए फर्म के अस्तित्व में आने से पहले ही वो प्री-बिड में शामिल हुई और दहिसर में कोविड आईसीयू बेड संचालन-प्रबंधन हासिल किया. इसको लेकर शहर की एक अदालत में याचिका भी दायर की गई थी. 

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