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फरलो पर रिहाई के अंतिम दिन मंत्रालय की इमारत से छलांग लगा की खुदकुशी

करीबी रिश्तेदार के कत्ल के आरोप में 14 साल की जेल और घरवालों की नाराजगी से परेशान एक शख्स ने मुंबई में महाराष्ट्र मंत्रालय की इमारत से खुदकुशी कर ली है.

घटनास्थल पर बरामद मृतक का पैन कार्ड घटनास्थल पर बरामद मृतक का पैन कार्ड
aajtak.in/मुस्तफा शेख
  • नई दिल्ली,
  • 08 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 11:38 PM IST

फरलो पर रिहा 45 साल के एक शख्स ने अपनी रिहाई के अंतिम दिन दक्षिण मुंबई स्थित महाराष्ट्र मंत्रालय की पांचवीं मंजिल से कूद कर खुदकुशी कर ली.

मृतक की पहचान हर्षल राउते के रूप में हुई. दक्षिण मुंबई के सेंट जॉर्ज हॉस्पिटल के अधीक्षक मधुकर गायकवाड़ ने कहा कि उन्हें अस्पताल लेकर पहुंचाया गया जहां उन्हें लाने के साथ ही मृत घोषित कर दिया गया. पुलिस के मुताबिक यह घटना शाम छह बजकर 10 मिनट पर हुई.

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पुलिस के मुताबिक राउते राज्य सचिवालय (मंत्रालय) के भीतर एक खुली जगह पर रक्तरंजित हालत में पाए गए. अतिरिक्त महानिदेशक (जेल) बीके उपाध्याय ने घटना के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि हर्षल रावले को उम्रकैद की सजा मिली हुई थी. वह 10 जनवरी से फरलो पर रिहा था, और आज उनकी रिहाई का आखिरी दिन था.

हर्षल को अपनी करीबी महिला रिश्तेदार की हत्या का दोषी पाया गया है और इसके लिए उन्हें 14 साल की जेल की सजा मिली हुई थी. माना जा रहा है कि वह मंत्रालय अपनी सजा कम कराने के इरादे से आया था. वह हत्या के बाद अपने रिश्तेदारी की उसके प्रति नाराजगी से बेहद तनाव में था और परेशान भी था.

मृतक औरंगाबाद के पैठन में महाराष्ट्र प्रदेश विधि सेवा प्राधिकरण में अर्द्ध विधिक स्वयंसेवक के रूप में कार्यरत थे. घटना के बाद विपक्षी नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल, धनंजय मुंडे और अजित पवार घटना का ब्यौरा हासिल करने के लिए मंत्रालय पहुंचे.

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कुछ दिनों पहले एक किसान धर्मा पाटिल ने भी यहां आकर खुदकुशी कर ली थी. इसका जिक्र शिवसेना सांसद संजय राउत ने राज्यसभा में भी किया था.

क्या है फरलो

फरलो शब्द देश में फिल्म अभिनेता को बार-बार दिए जाने से चर्चा में आया. फरलो मूल रूप से डच शब्द वर्लोफ से बना है. जिसका अर्थ है 'अस्थाई अवकाश'. कई देशों में फरलो का इस्तेमाल कानूनी भाषा से इतर भी किया जाता है.

अमेरिका में फरलो उस जबरन अवकाश को कहा जाता है जब आर्थिक तंगी के कारण कर्मचारियों को अस्थाई तौर पर हटा दिया जाता है. इसी तरह कई देशों में सैन्य कर्मचारियों को भी फरलो के तहत ही अवकाश पर भेजा जाता है.

जबकि भारत में इस शब्द का इस्तेमाल कानूनी दायरे तक ही सीमित है. यहां जेल में सजा काट रहे कैदियों को फरलो के तहत कुछ दिनों के लिए रिहा किया जा सकता है.

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